क्या ‘चीनी कार्ड’ खेल कर राष्ट्रपति चुनाव जीतेंगे डोनाल्ड ट्रंप ?
नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी राजनीति स्थिति कमजोर होते देख कर 'चीन कार्ड’ खेल दिया है। वे 2020 का चुनाव इस तुरूप के पत्ते से जीतना चाहते हैं। ठीक उसी तरह जैसे 2016 में रूस के इस्तेमाल से चुनाव जीता था। जनमत सर्वेक्षण के लिए मशहूर अमेरिकी संस्था गैलप के मुताबिक कोरोना संकट की वजह से राष्ट्रपति ट्रंप की रेटिंग में छह फीसदी की गिरावट आयी है। बगदादी को मारने के सफल अभियान के बाद ट्रंप की लोकप्रियता में तेजी से इजाफा हुआ था। तमाम कमियों के वावजूद अमेरिकी नागरिकों ने उस समय ट्रंप के साहसिक फैसले का समर्थन किया था। लेकिन कोरोना की महामारी ने ट्रंप का बना बनाया खेल को बिगाड़ दिया। अब चीन को खलनायक बना कर वे चुनावी वैतरणी पार करना चाहते हैं।
ट्रंप का चीन कार्ड
कोरोना के कहर ने डोनाल्ड ट्रंप के राजनीतिक भविष्य पर सवालिया निशान लगा दिया है। उनके दोबारा राष्ट्रपति बनने की संभावनाओं पर ग्रहण लगता दिख रहा है। नवम्बर 2020 में राष्ट्रपति चुनाव होना है। चुनाव से ठीक पहले कोरोना ने अमेरिका में भयंकर जनसंहार किया है। दुनिया में सबसे अधिक मौत अमेरिका में ही हुई है। ये सिलसिला अभी जारी है। अपनी राजनीति स्थिति कमजोर होते देख ट्रंप ने ‘चीन कार्ड'खेल दिया है। ट्रंप ने अमेरिका में तबाही के लिए चीन को जिम्मेदार ठहरा दिया है। वे लगातार कह रहे हैं कि चीन ने अमेरिका को डैमेज करने के लिए जानबूझ कर कोरोना वायरस फैलाया है। वे बार-बार धमकी दे रहे हैं कि अमेरिका चीन से इसका बदला जरूर लेगा। यानी डोनाल्ड ट्रंप अपने खिलाफ बन रही जनभवना को चीन की तरफ शिफ्ट करना चाहते हैं। ट्रंप ने अब राष्ट्रपति चुनाव को भी चीन से जोड़ दिया है। उनका कहना है, वे दोबारा राष्ट्रपति नहीं बन पाएं इसलिए चीन ने कोरोना वायरस फैलाया है।
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65 हजार मौत ! आज तक अमेरिका में ऐसा नहीं हुआ
आज तक अमेरिका किसी देश से नहीं हारा लेकिन कोरोना से बुरी तरह हार गया। मौत का आंकड़ा 65 हजार के पार पहुंच गया है। आज तक अमेरिका में कभी इतने लोग नहीं मरे। वियनाम युद्ध अमेरिका के लिए एक बुरा सपना है। इस लड़ाई में अमेरिका के करीब 58 हजार सैनिक मारे गय़े थे। लेकिन कोरोना की मौत ने वियनाम युद्ध के आंकड़े को भी पार कर लिया है। महाबली अमेरिका के लोग अपने देश की दुर्दशा से बेहद सहमे हुए हैं। देश के कई लोगों का मानना है कि राष्ट्रपति ट्रंप की लापरवाही से स्थिति इतनी खराब हुई। उन्होंने समय रहते इसकी रोकथाम के लिए कदम नहीं उठाये। अब वे अपनी नाकामी छिपाने के लिए चीन का नाम घसीट रहे हैं। कोरोना वायरस चीन की प्रयोगशाला से फैला है कि नहीं, इसकी कोई प्रमाणिक जानकारी सामने नहीं आयी है। जब तक इसका प्रमाण नहीं मिलता तब तक कुछ कहना नहीं ठीक नहीं।
ट्रंप का आरोप
डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति चुनाव को चीन से जोड़ कर देश के नैरेटिव को बदलने की कोशिश की है। ट्रंप के मुताबिक चीन उनकी सख्ती से चिढ़ता है। चीन चाहता है कि किसी तरह ट्रंप चुनाव हार जाएं ताकि चीन-अमेरिका व्यापार पर बंदिशें कम हो सकें। चीन उनके प्रतिद्वंद्वी और डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता जो बोडेन को जीताने की कोशिश कर रहा जिससे कि उसे अमेरिका में व्यापारिक सहूलियतें हासिल हो सकें। कोरोना संकट के कारण चीन की अर्थव्यवस्था बुरी तरह बिखर गयी है। इससे चीन बौखलाया हुआ है। ट्रंप का कहना है कि चूंकि चीन उन्हें अपनी राह का रोड़ा मान रहा है, इसलिए उसने कोरोना को हथियार की तरह इस्तेमाल किया।
2016 में ट्रंप की जीत और रूस
अमेरिकी सीनेट इंटेलिजेंस कमेटी की जांच रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ था कि 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में रूस ने डोनाल्ड ट्रंप की मदद की थी। रूस की इंटरनेट रिसर्च एजेंसी का मुख्यालय सेंट पिटर्सबर्ग में है। इस एजेंसी ने सोशल मीडिया पर ट्रंप के लिए समर्थन जुटाया था। इतना ही नहीं इस रूसी एजेंसी ने ट्रंप के प्रतिद्वंदवी और डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन को नुकसान पहुंचाने के लिए नाकारात्म अभियान चलाया था। यह सब रूस के राष्ट्रपति पुतिन के कहने पर किया गया था। पुतिन, ट्रंप की जीत को अपने लिए फायदेमंद मान रहे थे। इतना ही नहीं ट्रंप पर इस बात का भी आरोप है कि उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी जो बिडेन को नुकसान पहुंचाने के लिए यूक्रेन से मदद मांगी थी। अब डोनाल्ड ट्रंप ने जीत के लिए चीन को मोहरा बनाया है। चीन पर कोरोना वायरस से जुड़ी जानकारी छिपाने और मौत की संख्या को कम बताने का आरोप है। कुछ मीडिया रिपोर्ट में चीन का फर्जीवाड़ा पकड़ा भी गया है। इससे ईरान, ब्राजील, ब्रिटेन और अमेरिका और जर्मनी जैसे देशों में चीन के खिलाफ गुस्सा है। जर्मनी ने तो चीन से 12 लाख करोड़ रुपये का हर्जाना देने की मांग कर दी है। ट्रंप चीन के खिलाफ इसी गुस्से को अपने हक में इस्तेमाल करना चाहते हैं।