तुर्की क्यों बढ़ा रहा है इसराइल की ओर दोस्ती का हाथ
तुर्की और इसराइल के रिश्तों में वर्षों से तनाव रहा है. दोनों देशों ने, एक-दूसरे के यहाँ राजदूत तक नहीं रखे हैं. लेकिन अब तुर्की के विदेश मंत्री और ऊर्जा मंत्री इसराइल क्यों जा रहे हैं?
तुर्की के विदेश मंत्री मावलूत चावुशोगलू और ऊर्जा मंत्री फ़तीह डोनमेज़ बुधवार को इसराइल के दौरे पर जा रहे हैं. कई वर्षों से दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव रहा है.
ख़बरों के मुताबिक ये बीते 15 सालों में तुर्की के किसी भी मंत्री का पहला इसराइल दौरा है.
लेकिन चावुशोगलू और डोनमेज़ इसराइली समकक्षों से मिलने से पहले फ़लस्तीन क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं.
हाल के दिनों में तुर्की और इसराइल आपसी संबंधों को बेहतर करने का प्रयास करते दिखे हैं. मार्च में इसराइल के राष्ट्रपति इस्साक हरज़ोग तुर्की गए थे. दोनों देशों के रिश्तों में साल 2010 एक मील का पत्थर है.
तुर्की और इसराइल फिर एक दूसरे के क़रीब आ रहे हैं?
इस वर्ष इसराइली कमांडो दल ने तुर्की के समुद्री जहाज़ मावी मार्मरा पर सवार होकर ग़ज़ा की आर्थिक नाकेबंदी तोड़ने की कोशिश कर रहे दस तुर्क कार्यकर्ताओं को मार दिया था.
दोनों देशों के बीच कूटनीतिक दरार साल 2016 में तब ख़त्म हुई जब इसराइल ने उस घटना के लिए मुआवज़ा देने का ऐलान किया.
लेकिन फ़लस्तीन के मुद्दे और यरुशलम के स्टेटस पर तनाव बरकरार रहा.
तुर्की सिर्फ़ इसराइल ही नहीं बल्कि कई क्षेत्रीय ताक़तों के साथ अपने संबंधों को बेहतर करने की कोशिश में है. उसने हाल में संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब और मिश्र के साथ रिश्तों को मज़बूत करने की कोशिश की है.
दोनों देशों में कूटनयिक संबंध नहीं
दोनों देशों के बीच इस वक़्त राजदूतों के स्तर पर कूटनयिक संबंध नहीं हैं. साल 2018 में फ़लस्तीन में प्रदर्शनकारियों पर इसराइली सशस्त्र बलों की गोलीबारी में हुई मौतों के बाद तुर्की ने अपना राजदूत वापस बुला लिया था.
चावुशोगलू ने कहा है कि वो इसराइली विदेश मंत्री येर लैपिड से राजदूतों की बहाली के लिए बातचीत करेंगे.
फ़लस्तीन के इलाक़ों और यरुशलम के स्टेटस पर मतभेद दोनों देशों के बीच नज़दीकी संबंधों के आड़े आते रहे हैं. तुर्की के अधिकारी कहते रहे हैं कि इसराइल से संबंध फ़लस्तीन की क़ीमत पर सामान्य नहीं किए जाएंगे.
तुर्की ने हाल ही में अल-अक़्सा मस्जिद में हुई झड़पों की भी कड़ी निंदा की थी और इस मुद्दे को संबंध सुधारने की दिशा में एक रोड़ा बताया था.
हालांकि, 11 मई को अल जज़ीरा की पत्रकार शिरीन अबू अकलेह के मारे जाने पर तुर्की चुप रहा है. न ही उसके विदेश मंत्रालय की ओर से कोई बयान जारी किया गया और न ही राष्ट्रपति अर्दोआन ने सार्वजनिक रूप से इस पर कुछ कहा है.
फ़लस्तीनी मुद्दे का क्या होगा?
राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन यह भी कह चुके हैं कि इसराइल के साथ राजनीतिक और आर्थिक संबंध 'यरुशलम मुद्दे से अलग हैं.'
अंकारा में फ़लस्तीन के राजदूत फ़ईद मुस्तफ़ा ने तुर्की के सरकार समर्थक सबाह अख़बार से 23 मई को कहा था कि इसराइल के साथ अंकारा के सामान्य होते संबंधों का अर्थ फ़लस्तीनी हितों को नज़रअंदाज़ नहीं करना है.
सबाह अख़बार ने यह भी लिखा कि चावुशोगलू अपने फ़लस्तीनी समकक्ष रियाद अल-मालिकी से भी इस दौरे के दौरान मुलाक़ात करेंगे और तुर्की-फ़लस्तीन अंतर-सरकारी परिषद की बैठक करेंगे.
इसराइली मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, चावुशोगलू इसराइली अधिकारियों या सुरक्षा के बिना अल अक़्सा जाना चाहते हैं.
फ़रवरी में राष्ट्रपति के प्रवक्ता इब्राहिम कालिन और उप-विदेश मंत्री सादात ओनाल ने इस क्षेत्र का दो दिवसीय दौरा किया था. कालिन ने अल-अक़्सा मस्जिद के आगे तस्वीर भी खिंचवाई थी.
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गैस के कारण दोनों आएंगे क़रीब?
धर्म-निरपेक्षतावादी विपक्षी अख़बार जम्हूरियत ने रिपोर्ट लिखी है कि इस दौरे के दौरान एक दूसरा संभावित मुद्दा ऊर्जा सहयोग हो सकता है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि तुर्की के रास्ते यूरोप जाने वाली इसराइली प्राकृतिक गैस को ले जाने के संबंध में कोई 'ठोस विकास' होने की उम्मीद कम है, यह दौरा 'आपसी विश्वास को स्थापित करने की दिशा में पहला क़दम होगा.'
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यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद तुर्की अधिकारियों और मीडिया संस्थानों ने हाल ही में इस तरह के ऊर्जा सहयोग परियोजनाओं की संभावनाएं जताई थीं क्योंकि यूरोप अब रूस के अलावा भी ऊर्जा स्रोतों की संभावनाओं को तलाश रहा है.
मार्च में हेरज़ोंग के दौरे के दौरान अर्दोआन ने कहा था कि तुर्की ऊर्जा और ऊर्जा सुरक्षा परियोजनाओं पर इसराइल के साथ सहयोग के लिए तैयार है.
हाल ही में उन्होंने यह भी कहा था कि दोनों देश पूर्वी भूमध्यसागर में तेल एवं प्राकृतिक गैस की प्रक्रिया में तेज़ी लाएंगे. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वो इसको लेकर 'बहुत आशावान' हैं.
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