अमेरिका में क्यों नहीं रुकती बंदूकों से होती गोलीबारी
अमेरिका में जब भी ऐसी किसी गोलीबारी की ख़बर आती है, तो ये सवाल उठने लगता है कि अमेरिका में ऐसी घटनाएँ क्यों होती हैं, उन पर रोक क्यों नहीं लगती.
अमेरिका में लगभग 50 साल पहले वहाँ के राष्ट्रपति लिन्डन बेन्स जॉनसन ने कहा था - "अमेरिका में अपराधों में जितने लोगों की जान जाती है उनमें मुख्य वजह आग्नेयास्त्र (फ़ायरआर्म्स) होते हैं" और "ये मुख्य तौर पर इन हथियारों को लेकर हमारी संस्कृति के लापरवाही भरे रवैये और उस विरासत का परिणाम है जिसमें हमारे नागरिक हथियारबंद और आत्मनिर्भर रहते रहे हैं".
उस समय, अमेरिका में लगभग 9 करोड़ बंदूक थे. मगर आज 50 साल बाद, वहाँ और भी ज़्यादा बंदूकें हैं, साथ ही मारे जाने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ती जा रही है.
मंगलवार रात टेक्सस के एक प्राइमरी स्कूल में एक बंदूकधारी ने बंदूक से 21 लोगों को मार डाला जिनमें 19 बच्चे थे.
बंदूक और इस तरह के हथियारों से अमेरिका में गोलीबारी में सामूहिक हत्याओं की ख़बरें अक्सर आती रहती हैं.
अकेले इस साल अमेरिका के स्कूलों में गोलीबारी की 27 घटनाएँ हो चुकी हैं. इससे 10 दिन पहले न्यूयॉर्क में सामूहिक गोलीबारी की एक घटना हुई थी जिसमें 10 लोग मारे गए थे.
ऐसे में अमेरिका में जब भी ऐसी किसी गोलीबारी की ख़बर आती है, ये सवाल उठने लगता है कि अमेरिका में ऐसी घटनाएँ क्यों होती हैं, उन पर रोक क्यों नहीं लगती.
https://www.youtube.com/watch?v=aL3nqtJVfjY
अमेरिका में कितनी बंदूकें हैं?
दुनिया भर में लोगों के हाथों में कितनी बंदूकें हैं ये बताना कठिन है. मगर स्विट्ज़रलैंड की एक नामी रीसर्च संस्था ने स्मॉल आर्म्स सर्वे नाम के एक अध्ययन में अनुमान लगाया था कि 2018 में दुनिया भर में 39 करोड़ बंदूकें थीं.
अमेरिका में प्रति 100 नागरिकों के पास 120.5 हथियार हैं. जबकि 2011 में ये आँकड़ा 88 था. दुनिया के किसी भी देश के मुक़ाबले अमेरिका के लोगों के पास सबसे ज़्यादा हथियार हैं.
हाल में जो आँकड़े आए हैं, उनसे भी ऐसा संकेत मिलता है कि अमेरिका में पिछले कुछ वर्षों में बंदूक रखने वालों की संख्या में भारी इज़ाफ़ा हुआ है.
एक रिपोर्ट के अनुसार जनवरी 2019 से अप्रैल 2021 के बीच 75 लाख अमेरिकी लोगों ने पहली बार बंदूक खरीदे.
इसका मतलब ये हुआ, कि अमेरिका में और एक करोड़ 10 लाख लोगों के घर में बंदूक आ गई, जिनमें से 50 लाख बच्चे थे. बंदूक ख़रीदने वाले इन लोगों में आधी संख्या औरतों की थी.
पिछले साल एक और रिपोर्ट में बताया गया कि कोरोना महामारी के दौर में बंदूकों की वजह से बच्चों के हाथों गोलीबारी होने की और बच्चों के हताहत होने की घटनाओं में जो वृद्धि हुई है उसका संबंध बंदूकों की बढ़ती ख़रीदारी से है.
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अमेरिका में बंदूकों से कितने लोगों की मौत हुई?
अमेरिका में 1968 से 2017 के बीच बंदूकों से लगभग 15 लाख लोगों की जान गई.
ये संख्या अमेरिका में 1775 की स्वतंत्रता की लड़ाई के बाद से जितनी भी लड़ाइयाँ हुई हैं, उनमें हर युद्ध में भी मारे जाने वाले सैनिकों की संख्या से ज़्यादा है.
अमेरिका के यूएस सेंटर्स फ़ॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (सीडीसी) के अनुसार केवल 2020 में, अमेरिका में 45,000 से ज़्यादा लोग बंदूकों की वजह से मारे गए. इनमें हत्याएँ भी शामिल हैं और आत्महत्याएँ भी.
और हालाँकि चर्चा अमेरिका में हुई सामूहिक हत्याओं की ज़्यादा होती है, मगर वास्तव में ऊपर जो संख्या है उनमें 24,300 मौतें यानी 54% आत्महत्याएँ थीं.
2016 में हुए एक अध्ययन में कहा गया कि आत्महत्याओं का हथियारों के पास होने से बड़ा संबंध होता है.
https://www.youtube.com/watch?v=LQHMWLTo6Fs
क्यों नहीं लग पा रही बंदूकों पर लगाम?
इसका सीधा जवाब ये है कि, ये अमेरिका के लिए एक राजनीतिक मुद्दा है.
इसमें बहस के एक तरफ़ हथियारों पर रोक लगाने वाले हिमायती हैं, और दूसरी तरफ़ वो अमेरिकी जो हथियार रखने के उस हक़ को बचाए रखना चाहते हैं जो उन्हें अमेरिकी संविधान से मिला है.
बंदूकों पर नियंत्रण के लिए क्या क़ानून में सख़्ती की ज़रूरत है - इसे लेकर 2020 में अमेरिका में हुए एक सर्वे में केवल 52% लोगों ने इसका समर्थन किया, जबकि 35% लोगों का मानना था कि किसी बदलाव की ज़रूरत नहीं.
और 11% लोग ऐसे भी थे जिनका मानना था कि अभी जो क़ानून हैं उन्हें और नरम बनाया जाना चाहिए.
इस सर्वे में ये भी पाया गया कि डेमोक्रेटिक पार्टी के 91% समर्थकों ने लगभग एकमत से क़ानून को सख़्त किए जाने की हिमायत की.
वहीं रिपब्लिकन पार्टी के केवल 24% समर्थक इसके पक्ष में थे.
बंदूकों पर सख़्ती के विरोधी कौन हैं?
बंदूकों पर नियंत्रण का विरोध कौन करता है
अमेरिका में बंदूकों का समर्थन करनेवाली एक बड़ी लॉबी है जिसका नाम है नेशनल राइफ़ल एसोसिएशन (एनआरए).
इनके पास इनता पैसा है कि इसके ज़रिये ये अमेरिकी संसद के सदस्यों को प्रभावित कर लेते हैं.
पिछले कई चुनावों में, एनआरए और उसके जैसे अन्य संगठनों ने बंदूकों पर रोक लगाने वाले गुटों की तुलना में बंदूकों के समर्थन को लेकर कहीं ज़्यादा पैसा ख़र्च किया है.
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