
भारत ने मिस्र के राष्ट्रपति को ही गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि क्यों बनाया? जानिए बेहद खास वजह
Republic Day 2023 Chief guest: मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल सीसी गणतंत्र दिवस 2023 के मौके पर भारत के मुख्य अतिथि होंगे। भारतीय विदेश मंत्रालय ने अब्देल फतह अल सीसी को गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि बनाने की घोषणा की है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि, अब्देल फतह अल सीसी को भारतीय गणतंत्र के महाउत्सव में आमंत्रित किया गया था और उन्होंने भारत के आमंत्रण को स्वीकार कर लिया है।

अब्देल फतह अल सीसी होंगे मुख्य अतिथि
भारत ने 2023 में गणतंत्र दिवस के लिए मुख्य अतिथि के रूप में मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी को आमंत्रित किया है और भारत सरकार का ये फैसला भारत और अरब देशों के बीच मजबूत होते हुए रिश्ते को दर्शाता है। भारत के पहले ही संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब के साथ मजबूत संबंध हैं और अब भारत ने अरब दुनिया के बाकी देशों से भी मजबूत संबंध स्थापित करने की कोशिश शुरू कर दी है। पिछले दो सालों के बाद पहली बार गणतंत्र दिवस के मौके पर कोई विदेशी मेहमान शामिल हो रहा है। कोविड संकट की वजह से पिछले दो सालों से गणतंत्र दिवस पर कोई विदेशी मेहमान शामिल नहीं हो पा रहा था। साल 2021 में भारत ने तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को आमंत्रित किया था, लेकिन उस वक्त पूरी दुनिया में काफी तेजी से कोविड केस बढ़ने के बाद उनका दौरा कैंसिल करना पड़ा था।

अरब देशों से मजबूत होती दोस्ती
भारतीय विदेश मंत्रालय के मुताबिक, इस साल 16 अक्टूबर को भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मिस्र की यात्रा की थी और दौरान राष्ट्रपति अब्देल फतह अल सीसी को आमंत्रित किया गया था। आपको बता दें कि, मिस्र 2023 में भारत की अध्यक्षता में जी20 शिखर सम्मेलन में आमंत्रित नौ अतिथि देशों में शामिल है। 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह के लिए मुख्य अतिथि के रूप में निमंत्रण भारत के करीबी सहयोगियों और साझेदारों के लिए आरक्षित एक सांकेतिक सम्मान है। साल 2021 और 2022 में समारोह में कोई मुख्य अतिथि नहीं था और ब्राजील के पूर्व राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो 2020 समारोह में भाग लेने वाले अंतिम मुख्य अतिथि थे। आपको बता दें कि, भारत और मिस्र ने इसी साल दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित होने को लेकर 75वीं वर्षगांठ मनाई है।

मिस्र के राष्ट्रपति को आमंत्रित करने की वजह?
68 साल के अब्देल फतह अल सीसी, मिस्र के राष्ट्रपति बनने से पहले एक सैन्य जनरल थे, जो बाद में सेना छोड़कर राजनीति में शामिल हो गये और वो पहले मिस्र के नेता हैं, जो भारतीय गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में शामिल होंगे। पिछले कुछ दशकों में भारत और मिस्र की दोस्ती काफी मजबूत हुई है और मोदी सरकार ने अरब देशों से दोस्ती बढ़ाने पर काफी ध्यान दिया है। भारत और मिस्र, दोनों ही देश गुटनिरपेक्ष के संस्थापक सदस्य थे, जिसे शुरू करने का श्रेय भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को दिया जाता है और उसी वक्त से दोनों देशों के बीच के संबंध मधुर रहे हैं। भारत के पूर्व राजदूत तलमीज अहमद, जिन्होंने अरब देशों में, खासकर सऊदी अरब, ओमान और संयुक्त अरब अमीरात में भारतीय राजदूत के दौर पर काम किया है, उन्होंने हिन्दुस्तान टाइम्स से कहा कि, मिस्र के राष्ट्रपति सीसी को भेजा गया निमंत्रण कई कारकों से प्रेरित प्रतीत होता है, जिसमें एक गंभीर आर्थिक संकट के बाद मिस्र का पुनरुत्थान, इसकी स्वतंत्र विदेश नीति और अफ्रीका में मिस्र का बढ़ता प्रभाव शामिल है। उन्होंने कहा कि, भारत ने मिस्र के राष्ट्रपति को आमंत्रित कर अपने पारंपरिक रिश्ते को सहेजने और मजबूती देने का काम किया है।

मिस्र से भटक गया था भारत का ध्यान
अहमद ने कहा कि, मिस्र जब गंभीर घरेलू राजनीतिक मुद्दों जैसे अरब स्प्रिंग विरोध और एक गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा था, उस वक्त भारत का ध्यान ऊर्जा, व्यापार, निवेश और लाखों प्रवासियों की उपस्थिति जैसे हितों के कारण दूसरे खाड़ी देशों की तरफ चला गया था। लेकिन अब ऐसा लगता है, कि मिस्र की स्थिति ठीक हो गई है और पिछले तीन-चार वर्षों में मिस्र ने एक बार फिर से जियो पॉलिटिक्स में अपनी भूमिका पर जोर देना शुरू कर दिया है और इसने ऐसी पहल की है, जो खाड़ी देशों से स्वतंत्र हैं, जैसे कि सीरिया, यमन और तुर्की पर मिस्र की स्थिति दूसरे खाड़ी देशों से अलग और स्वतंत्र रही है। मिस्र ने भी इराक के साथ अपने संबंध बनाए हैं और ईरान के साथ भी बातचीत शुरू की है। इसके साथ ही रक्षा और सुरक्षा सहयोग को लेकर भी पिछले कुछ वर्षों में भारत-मिस्र संबंधों में काफी प्रगाढ़ता आई है और भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी 19-20 सितंबर के दौरान काहिरा की यात्रा के दौरान राष्ट्रपति सिसी से मुलाकात की थी।

भारत-मिस्र रक्षा संबंध कैसा है?
मिस्र के दौरे के दौरान भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उनके मिस्र के समकक्ष जनरल मोहम्मद जकी ने सभी क्षेत्रों में रक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है और भारत और मिस्र के रक्षा उद्योगों के बीच सहयोग बढ़ाने के प्रस्तावों की पहचान करने पर सहमति व्यक्त जताई है। दोनों पक्ष ट्रेनिंग के लिए संयुक्त अभ्यास और सैन्य कर्मियों के आदान-प्रदान को बढ़ाने पर भी सहमत हुए हैं, जो विशेष रूप से उग्रवाद और आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए साथ मिलकर काम करेंगे। रिपोर्ट के मुताबिक, मिस्र की नजर भारत के स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान तेजस को खरीदने पर है और मिस्र भारत से कम से कम 70 तेजस फाइटर क्राफ्ट खरीदना चाहता है। मिस्र के वायु सेना प्रमुख महमूद फआद अब्द अल-गवाद ने रक्षा उपकरणों की खोज के लिए जुलाई में भारत का दौरा किया था, वहीं, अक्टूबर 2021 में दोनों देशों के बीच पहला वायुसेना अभ्यास हुआ था। माना जा रहा है, कि भारत और मिस्र के बीच तेजस फाइटर जेट को लेकर डील जल्द ही फाइनल हो सकता है।

भारत-मिस्र में व्यापारिक साझेदारी
भारत के लिए मिस्र अफ्रीका और पश्चिम एशिया के बीच एक कड़ी के रूप में एक रणनीतिक महत्व रखता है, जिसे नई दिल्ली अपने विस्तारित पड़ोस के हिस्से के रूप में वर्णित करता है। मिस्र परंपरागत रूप से अफ्रीका में भारत के सबसे महत्वपूर्ण व्यापारिक भागीदारों में से एक रहा है और भारत 2020-21 में मिस्र का आठवां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया है। भारत और मिस्र के बीच साल 2012-13 में 5.45 अरब डॉलर की व्यापारिक भागीदारी थी, जो 2016-17 में ऊर्जा संकट और आर्थिक मंदी की वजह से गिरकर 3.23 अरब डॉलर हो गया था। लेकिन, साल 2017-18 में एक बार फिर से इसमें वृद्धि आने लगी और ये 2020-21 में 4.15 अरब डॉलर पर पहुंच गया था।
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