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कौन हैं Anup Chetia जिन्होंने किया CAA का विरोध, अब बेटी के बांग्लादेशी से शादी करने पर हुए ट्रोल

साल 2015 में मोदी सरकार के अनुरोध के बाद बांग्लादेश ने उल्फा महासचिव अनूप चेतिया को भारत प्रत्यर्पित कर दिया था, जिसकी मांग भारत सरकार पिछले दो दशकों से कर रही थी।

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ULFA leader Anup Chetia's daughter marriage: अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ खून बहाने वाले प्रतिबंधित संगठन उल्फा के संस्थापक नेता अनुप चेतिया अपनी बेटी की शादी को लेकर ट्रोल हो रहे हैं, क्योंकि उनकी बेटी ने बांग्लादेशी युवक से शादी रचाई है। अनुप चेतिया उर्फ गोलाप बरुआ की बेटी बान्या बरुआ ने बांग्लादेशी युवक और सहपाठी अनिर्बान चौधरी से शादी की है, जिसके बाद सोशल मीडिया पर उन्हें ट्रोल किया जा रहा है और उनसे सीएए समेत कई मुद्दों पर जवाब मांगा जा रहा है। ऐसे में आइये जानते हैं, कि अनुप चेतिया कौन हैं और उन्हें ट्रोल करने के पीछे क्या वजह है?

बेटी की शादी पर हुए ट्रोल

बेटी की शादी पर हुए ट्रोल

गोलाप बरुआ की बेटी बान्या बरुआ को ढाका के मास्टरमाइंट इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ाई करते वक्त अनिर्बान चौधरी से प्यार हो गया था और फिर अब जाकर दोनों ने शादी कर ली है। गोलाप बरुआ ने बेटी की लव मैरिज को मंजूरी दी है। सबसे खास बात ये है, कि जब गोलाप बरुआ बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ अभियान चला रहे थे, उस वक्त उनकी बेटी बांग्लादेशी हिन्दू युवक के साथ प्यार के पींगे पढ़ रही थी। गोलाप बरुआ प्रतिबंधित विद्रोही समूह 'यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम' (उल्फा) के संस्थापकों में से एक हैं, जो कई सालों तक बांग्लादेश की जेल में बंद रह चुके हैं। वहीं, जब मोदी सरकार सीएए कानून लेकर आई थी, उस वक्त गोलाप बरुआ ने उसका विरोध किया था, लिहाजा अब उन्हें ट्रोल किया जा रहा है।

कौन हैं गोलाप बरुआ उर्फ अनुप चेतिया

कौन हैं गोलाप बरुआ उर्फ अनुप चेतिया

साल 2015 में मोदी सरकार के अनुरोध के बाद बांग्लादेश ने उल्फा महासचिव अनूप चेतिया को भारत प्रत्यर्पित कर दिया था, जिसकी मांग भारत सरकार पिछले दो दशकों से कर रही थी। जाली पासपोर्ट का इस्तेमाल करके अवैध रूप से बांग्लादेश में प्रवेश करने के लिए चेतिया को 1997 में गिरफ्तार कर लिया गया था और उनके पास से हथियारों के साथ साथ कई देशों की करेंसी पाई गई थी। जिसके बाद साल 2002 में बांग्लादेश की एक अदालत ने आतंकवादी धाराओं के तहत अनुप चेतिया को सात साल जेल की सजा सुनाई थी। अनूप चेतिया, जिनका असली नाम गोलाप बरुआ है, वो उल्फा के संस्थापक सदस्य और उसके महासचिव हैं। उन्हें सुनील बरुआ, भाईजान या अहमद के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि, अब वो जमानत पर रिहा हैं, लेकिन कई विश्लेषकों को अब इस बात पर संदेह है, कि उल्फा में अब उनकी कितनी पकड़ है।

आसाम में हुआ था जन्म

आसाम में हुआ था जन्म

आसाम के तिनसुकिया जिले के जेरई गांव में जन्मे अनुप चेतिया 1990 के दशक की शुरुआत में भारत से भाग गए थे। उन्हें मार्च 1991 में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन असम के तत्कालीन मुख्यमंत्री हितेश्वर सैकिया ने उन्हें जेल से रिहा कर दिया था, जिसके बाद वह भारत से भाग गए। वह भारत में हत्या, अपहरण और जबरन वसूली से संबंधित अपराधों के लिए असम के मोस्ट वांटेड में से एक थे। उल्फा के शीर्ष नेता के रूप में उनका मुख्य काम असम की स्वतंत्रता की लड़ाई थी। लेकिन, चेतिया को बांग्लादेश पुलिस ने दिसंबर 1997 में गिरफ्तार किया था और बाद में दो अदालतों ने सीमा पार घुसपैठ, नकली पासपोर्ट ले जाने और अवैध रूप से विदेशी मुद्रा रखने के लिए सात साल की जेल की सजा सुनाई थी। उन्होंने बांग्लादेश में तीन बार 2005, 2008 और 2011 में अपनी 1997 की गिरफ्तारी के बाद राजनीतिक शरण मांगी थी।

राजनीतिक शरण के लिए यूएन से अपील

राजनीतिक शरण के लिए यूएन से अपील

अपने कार्यकाल के खत्म होने के बावजूद अनुप चेतिया साल 2003 में बांग्लादेश की उच्च अदालत के आदेश के तहत जेल में ही बंद थे और इसके पीछे की वजह ये थी, कि उन्होंने यूएन सचिव को चिट्ठी लिखकर राजनीतिक शरण मांगी थी। जिसके बाद कोर्ट ने "जब तक कि उनकी शरण याचिका पर निर्णय नहीं लिया जाता था, तब तक अधिकारियों को उन्हें सुरक्षित हिरासत में रखने के लिए कहा था"। जबकि, भारत दो दशकों से अधिक समय से उसके प्रत्यर्पण की मांग कर रहा था, लेकिन बांग्लादेश ने दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि नहीं होने की वजह से उन्हें भारत को सौंपने से इनकार कर दिया था। वहीं, साल 2013 में अनुप चेतिया ने बांग्लादेश के कुछ मीडिया घरानों को एक पत्र भेजकर कहा था, कि "भारत सरकार मुझे भारत में प्रत्यर्पित करने के अपने प्रयास में बार-बार विफल रही है। लेकिन अब मैंने असम वापस जाने की अपनी पहल पर फैसला किया है। मैं कब तक ऐसी अनिश्चितता की स्थिति में रह सकता हूं?"

भारत क्यों कर रहा था प्रत्यर्पण की कोशिश

भारत क्यों कर रहा था प्रत्यर्पण की कोशिश

भारत सरकार लंबे वक्त से आसाम को शांत रखने के लिए उल्फा से शांति वार्ता करने की इच्छुक थी, लिहाजा भारत की कोशिश अनुप चेतिया के जरिए किसी शांति वार्ता की स्थिति तक पहुंचना था। भारत सरकार की कोशिश थी, कि उसे वापस देश में लाया जाए, ताकि वह उल्फा के अध्यक्ष अरबिंद राजखोवा और भारत सरकार के नेतृत्व वाले गुट के बीच चल रही शांति वार्ता में शामिल हो सके। साल 2015 में अनुप चेतिया के एक लिखित आवेदन के बाद शेख हसीना सरकार ने आखिरकार चेतिया को भारतीय अधिकारियों को सौंप दिया, जिसमें उसे भारत लौटने का इच्छुक बताया गया था। वहीं, बाद में अनुप चेतिया शांतिवार्ता के पक्षधर बन गये।

सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन

सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन

अनुप चेतिया ने साल 2018 में UNHRC के 38वें सत्र के दौरान तत्कालीन नागरिकता संशोधन विधेयक के बारे में स्वदेशी फोरम, असम की ओर से बोलते हुए, कहा था, कि यह बिल असम के स्वदेशी समुदायों को अल्पसंख्यक बना देगा। अपने संगठन के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा था कि, सरकार असम के लोगों के अधिकारों की रक्षा के अपने कर्तव्य को निभाने में नाकाम रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, गोलाप बरुआ की बेटी अपने भाई के साथ बांग्लादेश में फर्जी पहचान के साथ रहती थी और भारत लौटने के बाद उसने अपनी वास्तविक पहचान को अपनाया।

बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ बाप ने ULFA बनाकर उठाए थे हथियार, बेटी ने वहीं के लड़के से रचाया ब्याहबांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ बाप ने ULFA बनाकर उठाए थे हथियार, बेटी ने वहीं के लड़के से रचाया ब्याह

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English summary
Who is ULFA leader Anup Chetia, who is getting trolled for his daughter's marriage to Bangladeshi youth?
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