अमेरिका से नहीं डरी मोदी सरकार, भारत पर प्रतिबंध लगाएंगे राष्ट्रपति बाइडेन तो क्या होगा असर?
भारत से पहले तुर्की ने रूस से एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम का सौदा किया था, जिसके बाद अमेरिका समेत नाटो देशों ने तुर्की को प्रतिबंधित कर दिया है। अमेरिकी प्रतिबंध के बाद तुर्की की हथियार खरीद पर असर पड़ा है
वॉशिंगटन, नवंबर 16: अमेरिका की धमकियों को नजरअंदाज करते हुए भारत सरकार ने रूस के साथ एस-400 मिसाइल सौदा को खत्म नहीं किया और अब रूस ने एस-400 मिसाइलों की खेप की डिलीवरी भारत में देनी भी शुरू कर दी है। मोदी सरकार ने अमेरिकी प्रतिबंध की एक पल के लिए भी परवाह नहीं की और भारत की सुरक्षा को मजबूत करने पर ही अपना ध्यान लगाए रखा। लेकिन, सवाल ये है कि, अगर बाइडेन सरकार भारत के खिलाफ कदम उठाते हुए प्रतिबंध लगाती है, तो फिर क्या होगा? भारत के पास अमेरिकी प्रतिबंधों का जबाव क्या होगा?
अमेरिका लगाएगा प्रतिबंध?
भारत और रूस के बीच एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम डील को लेकर अमेरिका ने अभी तक नरमी के संकेत नहीं दिए हैं। हालांकि, कुछ अमेरिकी सांसद, जिनमें रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक दोनों ही दलों के हैं, वो भारत के पक्ष में बाइडेन सरकार से अपील करते हुए जरूर दिखाई दिए हैं, लेकिन बाइडेन सरकार अभी भी सख्त दिखाई दे रही है। अमेरिकी सांसद ने जब भारत के पक्ष में संसोधन प्रस्ताव पेश किया, तो अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने इसको लेकर कहा कि, रूस से एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने को लेकर भारत के खिलाफ अमेरिका क्या कदम उठाएगा, क्या भारत के खिलाफ प्रतिबंध लगाया जाएगा, इसको लेकर अभी फैसला नहीं किया गया है।
भारत को छूट पर फैसला नहीं
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि, अमेरिका की नीति में किसी भी देश के खिलाफ छूट देने का कोई प्रावधान नहीं है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि, अमेरिकी कानून सीएएटीएसए यानि, 'काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शन एक्ट' के तहत किसी भी देश को किसी भी विशेष परिस्थिति में किसी भी तरह का छूट देने का प्रावधान नहीं है। यानि, अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के बयान के हिसाब से माने तो अमेरिका भारत के ऊपर प्रतिबंधों का ऐलान कर सकता है।
तुर्की पर लग चुका है प्रतिबंध
भारत से पहले तुर्की ने रूस से एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम का सौदा किया था, जिसके बाद अमेरिका समेत नाटो देशों ने तुर्की को प्रतिबंधित कर दिया है। तुर्की ने साल 2019 में रूस से एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम प्रणाली हासिल की थी, जिसपर अमेरिका ने कहा था कि, तुर्की का ये डील यूरो-अटलांटिक गठबंधन के लिए खतरा है। जिसके बाद अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने तुर्की के ऊपर प्रतिबंध लगाने की घोषणा कर दी थी। हालांकि, अमेरिकी प्रतिबंध की रूस और तुर्की की तरफ से जमकर आलोचना की गई थी, लेकिन अमेरिकी प्रतिबंध के बाद तुर्की की हथियार खरीद पर असर पड़ा है। इस डील की वजह से अमेरिका पहले ही तुर्की को एफ-35 फाइटर जेट प्रोग्राम से बाहर का रास्ता दिखा चुका है।
तुर्की भी है अमेरिका के लिए अहम
आपको बता दें कि, 30 देशों के सैन्य गठबंधन नैटो में तुर्की के पास दूसरी सबसे बड़ी सेना है और वो अमेरिका का महत्वपूर्ण साझेदार है और चूंकी तुर्की की सीमा सीरिया, इराक और ईरान से भी लगती है, लिहाजा तुर्की की रणनीतिक अहमियत अमेरिका के लिए और भी ज्यादा बढ़ जाती है। सीरिया संघर्ष में तुर्की ने अमेरिका की काफी मदद की है, लेकिन यूरोपीय संघ के साथ साथ तुर्की का अमेरिका के साथ भी रिश्ते खराब हुए हैं। ये देश आरोप लगाते हैं कि, तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन साल 2016 के तख्तापलट के नाकाम होने के बाद देश में मनमाने तरीके से काम कर रहे हैं। वहीं, राष्ट्रपति के ऊपर देश में कट्टरपंथी तत्वों को बढ़ावा देने के भी आरोप लग रहे हैं। लेकिन, विश्लेषकों का मानना है कि, तुर्की और भारत में काफी ज्यादा अंतर है और अमेरिका के लिए फौरन भारत पर प्रतिबंध लगाना आसान नहीं होगा।
अमेरिका ने बताया था खतरनाक
भारत और रूस के बीच एस-400 मिसाइल सिस्टम को लेकर जब डील हुई थी, उस वक्ते अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की सरकार थी और उस वक्त भारत के दौरे पर पहुंची अमेरिका की तत्कालीन उप-विदेश मंत्री वेंडी शर्मन ने भारत-रूस एस-400 डील को खतरनाक बताया था और भारत से आग्रह किया था कि, वो रूस के साथ करार को खत्म कर दें। लिहाजा, भारत पर अभी भी यही खतरा मंडरा रहा है। रूस के साथ इस सौदे को लेकर अमेरिका हमेशा से ही काफी ज्यादा सख्त रहा है और तुर्की पर सख्त फैसला ले भी चुका है। अमेरिका तुर्की पर आर्थिक प्रतिबंध भी लगा चुका है, ऐसे में बड़ा सवाल यही है, कि क्या अमेरिका भी भारत पर प्रतिबंध लगाएगा? और अगर अमेरिका भारत पर प्रतिबंध लगाता है, तो इसका असर क्या होगा?
प्रतिबंध लगेगा तो क्या होगा असर?
विश्लेषकों का मानना है कि, अमेरिका अब उस स्थिति में नहीं है कि वो भारत पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान कर दे, क्योंकि तुर्की और भारत में काफी ज्यादा फर्क है। जानकार बताते हैं कि, अगर अमेरिका भारत पर प्रतिबंध लगाता है, तो फिर दोनों देशों के संबंध बुरी तरह से खराब हो जाएंगे और इसका सीधा असर अमेरिका का चीन के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान पर पड़ेगा। विश्व के तमाम देशों का मानना है कि, चीन को रोकने की क्षमता सिर्फ भारत में है, क्योंकि भारत चीन का पड़ोसी देश है और अगर भारत को नाराज किया गया, तो चीन को रोकने का अभियान ठप पड़ सकता है।
अमेरिका को चेतावनी
कई अमेरिकी विश्लेषकों ने बाइडेन सरकार को चेतावनी भी दी है, कि अगर अमेरिका भारत पर प्रतिबंध लगाता है, तो वो अमेरिका की सबसे बड़ी गलती होगी। सिडनी में सेंटर फॉर इंडिपेंडेंट स्टडीज सेंटर के स्कॉलर स्लावतोर बैबोनेस ने पिछले साल फरवरी में लिखा था कि, ''अमेरिका को भारत के इस फैसले का विरोध नहीं, बल्कि स्वागत करना चाहिए, क्योंकि इस डील से चीन के खिलाफ भारत और ज्यादा मजबूत हो रहा है''।
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