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बोरिस जॉनसन, ब्रिटिश मीडिया या लिज ट्रस के हवा-हवाई वादे... ऋषि सुनक की हार की वजहें क्या हैं?

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लंदन, 05 सितंबरः कंजरवेटिव पार्टी की नेता लिज ट्रस ब्रिटेन की नई प्रधानमंत्री बन गयी हैं। बोरिस जॉनसन के पद से हटने के पीएम पद के लिए लिज ट्रस और ऋषि सुनक के बीच चुनाव हुआ था जिसमें ट्रस को जीत मिली है। डिबेट के दौरान ही सुनक लिज से काफी पिछड़े नजर आए। ब्रिटेनवासी लिज ट्रस की बातों से ज्यादा प्रभावित हुए। हालांकि सुनक ने ऊर्जा संकट के बीच कमजोर वर्ग के लोगों को फ्री बिजली देने का वादा करके ट्रंप कार्ड खेलने की कोशिश जरूर की मगर वे मतदाताओं को लुभाने में नाकाम रहे।

ट्रस को मिला बोरिस का साथ

ट्रस को मिला बोरिस का साथ

इस चुनाव में लिज के पक्ष में जो सबसे महत्वपूर्ण चीज थी वह था बोरिस जॉनसन का समर्थन। बोरिस जॉनसन भले ही प्रधानमंत्री के पद से हट चुके हों मगर उन्होंने राजनीति को अलविदा नहीं कहा है। सालों से राजनीति करने वाले बोरिस जॉनसन की कंजरवेटिव पार्टी में गहरी पकड़ है। वह ऋषि ही थे जिन्होंने बोरिस का साथ सबसे पहले छोड़ा था। पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने सुनक की उम्मीदवारी के खिलाफ सीक्रेट अभियान भी छेड़ दिया था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस अभियान को 'बैक एनीवन बट ऋषि' नाम दिया गया। जबकि लिज ट्रस ने आखिरी वक्त तक बोरिस का साथ दिया था। जाहिर सी बात है, लिज ट्रस को बोरिस जॉनसन का साथ मिलना था।

टैक्स कटौती पर अलग राय

टैक्स कटौती पर अलग राय

ट्रस ने अपने अभियान में देश के समक्ष मौजूदा वित्तीय स्थिति से निपटने के लिए तत्काल कर कटौती का संकल्प जताया था। जबकि इसके विपरीत सुनक का दृष्टिकोण बढ़ती महंगाई से निपटने पर ध्यान केंद्रित करने तथा संकट के लिए मदद की पेशकश करने के साथ लक्षित उपायों की पेशकश करना रहा। लिज ट्रस के करों में कटौती कर आमजनों को राहत देने की घोषणा ने जनता को अधिक लुभाया। इस वजह से उन्हें कंजरवेटिव पार्टी के सदस्यों का अधिक समर्थन मिला। सुनक का सुशिक्षित ब्रिटेन और सशक्त ब्रिटेन का नारा मतदाताओं को लुभा नहीं पाया। हालांकि बाद में सुनक ने 2029 तक आयकर में 20 फीसदी कटौती की घोषणा जरूर की मगर तब तक देर हो चुकी थी। मतदाता अपना मन बना चुके थे।

विलासितापूर्ण जीवन जीना कर गया नुकसान

विलासितापूर्ण जीवन जीना कर गया नुकसान

लिज ट्रस के जीतने का एक और कारण ऋषि सुनक की पत्नी अक्षता मूर्ति के इर्द-गिर्द रची गई कहानी है, जो भारतीय उद्योगपति नारायण मूर्ति की बेटी है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने के लिए सुनक की व्यक्तिगत संपत्ति बाधक बन गयी। उनकी संपत्ति वोटरों के बीच एक बड़ा मुद्दा बन गयी। मतदाताओं के मन में ये सवाल उठा कि एक प्रधानमंत्री जो अकूत संपत्ति का मालिक है वह कैसे महंगाई से त्रस्त एक आम आदमी का दुख दर्द समझ सकता है।

लोकलुभावन वादे नहीं कर पाए सुनक

लोकलुभावन वादे नहीं कर पाए सुनक


लिज ट्रस ने मतदाताओं की नब्ज पकड़ रखी थी। उन्हें पता था कि मतदाता कैसे आकर्षित होंगे। वहीं सुनक वस्तुनिष्ठ ढंग से सोचते रहे। टैक्स कटौती के वादे का जिक्र हम ऊपर कर ही चुके हैं। भले ही लिज का चुनावी दावा धरातल पर उतर पाएगा या नहीं ये वक्त की बात है मगर मतदाताओं को इस वादे ने लुभाया। भले ही ऋषि सुनक, लिज ट्रस के चुनावी वादे को परियों की कहानी बतातें फिरें, मतदाताओं से बेईमान होने का आरोप लगाते रहें। जनता को वहीं पसंद आया जो वह सुनना चाहती थी। महंगाई से त्रस्त जनता को सशक्त ब्रिटेन के नारे से बेहतर टैक्स में कटौती वाली घोषणा ने अधिक लुभाया।

ब्रिटिश मीडिया की रवैया

ब्रिटिश मीडिया की रवैया


ब्रिटिश मीडिया भी ऋषि की हार की अहम वजह रहा। मीडिया ने बार-बार सुनक की संपत्ति को लेकर लेख लिखे। सुनक की पत्नी अक्षता मूर्ति का टैक्स चोरी करने का आरोप लगाया। इसके अलावा जिसने सबसे अधिक ऋषि सुनक की छवि को नुकसान पहुंचाया वह था... उनकी संपत्ति को ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ से दोगुना बताना। ब्रिटिश मीडिया ने इस बात को इतना घिसा की लोगों के मन में यह घर कर गया कि इतना अधिक पैसे कमाने वाले ऋषि की पत्नी, ब्रिटेन को टैक्स क्यों नहीं देती। भले ही वह कानूनी रूप से भारतीय नागरिक थी बावजूद उन्हें विलेन की तरह पेश किया गया। कई बार तो ब्रिटिश मीडिया में उनके परिवार के एक-एक सदस्य के कपड़ों की कीमत तक पर आर्टिकल छप गए... जाहिर है ऋषि सुनक के मामले में ब्रिटिश मीडिया सख्त रहा।

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English summary
What is the reason behind Rishi Sunak's defeat in the election of PM
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