लासा बुखार क्या है, यह कैसे फैलता है और इसके सबसे सामान्य लक्षण क्या हैं ? सबकुछ जानिए
लंदन, 15 फरवरी: कोविड के ओमिक्रॉन वेरिएंट के कहर के बीच ब्रिटेन में लासा बुखार से हुई मौत ने लासा वायरस को लेकर हड़कंप की स्थिति पैदा कर दी है। ब्रिटिश स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक 2009 के बाद इस बीमारी के पहले तीन मामले सामने आए हैं, जिसमें से एक मरीज ने उत्तरी लंदन के एक अस्पताल में 11 फरवरी को दम तोड़ दिया है। सभी संक्रमित इंग्लैंड के एक ही परिवार के हैं और हाल ही में पश्चिमी अफ्रीका की यात्रा करके लौटे हैं। लासा वायरस उसी परिवार से जुड़ा है, जिससे इबोला और मार्गबर्ग वायरस है। आइए इस पुराने संक्रामक रोग, लेकिन नई चिंताजनक बीमारी के बारे में सबकुछ जानते हैं।
लासा बुखार क्या है ?
लासा वायरस अफ्रीकी देश नाइजीरिया के एक शहर के नाम पर पड़ा है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड पॉल्यूशन के मुताबिक 1969 में इस वायरस से संक्रमण का पहला मामला लासा में ही सामने आया था। इस बीमारी का पता तब चला जब नाइजीरिया में दो नर्सों की इससे मौत हो गई थी। आमतौर पर इस बीमारी से मौत लक्षण आने के दो हफ्ते बाद होती है और यह मल्टी-ऑर्गन फेलियर की वजह से होती है। लासा वायरस चूहे से फैलता है और शुरू में पश्चिमी अफ्रीकी देशों, जैसे कि सिएरा लियोन, लाइबेरिया, गयाना और नाइजीरिया में सामने आया था, जहां अब एंडेमिक की स्थिति में है।
लासा बुखार कितना घातक है ?
वैसे तो लासा बुखार से मौत की दर कम यानी की करीब एक फीसदी ही है। लेकिन, ओमिक्रॉन वेरिएंट के बीच यह चिंता की वजह इसलिए बना है, क्योंकि कुछ संक्रमितों में मृत्यु दर बहुत ही ज्यादा है। खासकर तीन महीने की गर्भवती महिलाओं में। यूरोपीयन सेंटर फॉर डिजीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल के मुताबिक इसके 80 फीसदी मामले एसिम्पटोमेटिक होते हैं, जिसकी वजह से इसका पता ही नहीं लग पाता। कुछ मरीजों को अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ता है और उनकी बीमारी काफी गंभीर हो सकती है। लासा वायरस से पीड़ित अस्पताल में दाखिल होने वाले मरीजों में से 15 फीसदी तक की मौत हो सकती है।
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लासा वायरस कैसे फैलता है?
अगर कोई व्यक्ति घर में या किसी भी स्थान में लासा वायरस से संक्रमित चूहों के मल-मूत्र से दूषित चीजों के संपर्क में आता है तो वह भी इससे संक्रमित हो सकता है। यह संक्रमण संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से भी फैल सकता है, लेकिन इसकी संभावना थोड़ी कम होती है। अगर कोई व्यक्ति बीमार शख्स के शारीरिक तरल पदार्थ या आंख, नाक या मुंह के म्युकस मेंब्रेन जैसे हिस्सों के संपर्क में आता है तो संक्रमित होने की संभावना रहती है। अस्पताल जैसी जगहों पर इस तरह के संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है।
लासा वायरस के संक्रमण का कब खतरा नहीं है ?
अगर कोई व्यक्ति संक्रमित शख्स के संपर्क में लक्षण आने से पहले आता भी है तो आमतौर पर उसके बीमार होने की संभावना नहीं होती। इसी तरह से यह वायरस गले लगने, हाथ मिलाने या संक्रमित व्यक्ति के नजदीक बैठने से नहीं फैलता।
लासा बुखार के लक्षण क्या हैं और यह कितने दिन में आते हैं ?
संक्रमित चूहे या व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद लक्षण आने में 1 से 3 हफ्ते का समय लगता है। हल्के लक्षणों में हल्का बुखार, थकान, कमजोरी और सिरदर्द शामिल हैं। गंभीर बीमारी की स्थिति में खून निकलना, सांस लेने में तकलीफ, उल्टी, चेहरे में सूजन, छाती, पीठ और पेट में दर्द के अलावा आघात या शॉक जैसे लक्षण देखने को मिल सकते हैं।
लासा बुखार का सबसे सामान्य लक्षण है बहरापन
सीडीसी के मुताबिक लासा बुखार से जुड़ा सबसे सामान्य लक्षण है-बहरापन। लासा वायरस से संक्रमित होने वाले लगभर एक-तिहाई लोग अलग-अलग स्तर के बहरापन की शिकायत करते हैं। कुछ मामलों में तो हमेशा के लिए बहरे हो जाने की आशंका रहती है। महत्वपूर्ण बात ये है कि बहरापन की शिकायत हल्के और गंभीर दोनों तरह के लक्षणों वाले रोगी करते हैं।
लासा वायरस के संक्रमण से कैसे बचें ?
लासा वायरस से बचने का सबसे अच्छा तरीका ये है कि चूहों के संपर्क में आने से बचें। जहां यह वायरस एंडेमिक अवस्था में है, वहीं पर सिर्फ चूहे से बचाव जरूरी नहीं है। इसकी गंदगी से स्वच्छता बाकी जगहों के लिए भी आवश्यक है। इसलिए घरों में चूहे के प्रवेश को रोकने के लिए सारी एहतियात बरतें और भोजन सामग्री को ऐसे डिब्बों में बंद करें, जहां तक चूहों का पहुंचना मुश्किल हो। सीडीसी की सलाह है कि चूहे को पकड़ने के हर तरीके अपनाए जाएं।(तस्वीरें- सांकेतिक)