इमरान ख़ान मुज़फ़्फ़राबाद जाकर क्या हासिल करना चाहते हैं?
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान शुक्रवार को पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर की राजधानी मुज़फ़्फ़राबाद में होंगे. भारत की ओर से जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा वापस लिए जाने और वहां संचार साधनों पर लगी पाबंदियों के बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री का यह दूसरा मुज़फ़्फ़राबाद दौरा है. कहना है कि वो भारत प्रशासित कश्मीर के लोगों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए ये दौरा कर रहे हैं.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान शुक्रवार को पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर की राजधानी मुज़फ़्फ़राबाद में होंगे.
भारत की ओर से जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा वापस लिए जाने और वहां संचार साधनों पर लगी पाबंदियों के बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री का यह दूसरा मुज़फ़्फ़राबाद दौरा है.
इमरान ख़ान का कहना है कि वो भारत प्रशासित कश्मीर के लोगों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए ये दौरा कर रहे हैं.
25 सितम्बर तक कश्मीरियों के लिए एकजुटता प्रदर्शित करने की योजना का ऐलान वो पहले ही कर चुके हैं. इससे पहले वो पिछले शुक्रवार को भी यहां आए थे.
कहा जा रहा है कि उनके इस दौरे में उनकी पार्टी के समर्थक, पाकिस्तान प्रशासित सरकार और आम लोग भी शामिल होंगे.
इमरान ख़ान का पहला दौरा बिल्कुल अचानक था और इसकी पहले से कोई तैयारी नहीं की गई थी. लोगों को भी ऐन वक्त पर पता चला था. इस मायने में ये दौरा थोड़ा अलग है.
लेकिन भारत प्रशासित कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म होने के बाद पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में भी सरगर्मी बढ़ गई है.
जो राजनीतिक पार्टियां हैं उनका पाकिस्तान समर्थित स्टैंड है जबकि 'आज़ाद कश्मीर' की मांग करने वाले संगठन भी सक्रिय हुए हैं.
पीएम राजा फ़ारूक़ हैदर का साथ
लेकिन आम लोगों में इस बात की दिलचस्पी ज़्यादा है कि भारत प्रशासित कश्मीर को लेकर पाकिस्तान का क्या रुख़ रहता है.
और इसलिए इस दौरे पर आम लोगों की भी नज़रें लगी हुई हैं क्योंकि जिस तरह दोनों मुल्कों में तनाव चल रहा है लोग जानना चाहते हैं कि आख़िर हो क्या रहा है.
इमरान ख़ान के इस दौरे में जो जलसा होने वाला है वो मुज़फ़्फ़राबाद के मुख्य इलाक़े में स्थित ख़ुर्शीद हसन ख़ुर्शीद फ़ुटबॉल स्टेडियम में होगा.
ख़ुर्शीद हसन ख़ुर्शीद पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के राष्ट्रपति रहे हैं और उनका ताल्लुक श्रीनगर से था. पाकिस्तान के क़ायद-ए-आज़म मोहम्मद अली जिन्ना के वो सेक्रेटरी भी थे. इस स्टेडियम के सामने ही उनकी मज़ार है.
आम तौर पर जब पाकिस्तान के बड़े नेता यहां आते हैं उनका जलसा इसी फ़ुटबॉल स्टेडियम में होता है.
पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर जिसे वहां 'आज़ाद कश्मीर' कहा जाता है, के प्रधानमंत्री राजा फ़ारूक़ हैदर नवाज़ शरीफ़ की पार्टी 'पाकिस्तान मुस्लिम लीग- नून' पार्टी से संबंध रखते हैं. उनकी पार्टी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के बीच गहरे मतभेद रहे हैं.
हालांकि राजा फ़ारूक़ हैदर मुज़फ़्फ़राबाद में होने वाले कार्यक्रम में इमरान ख़ान के साथ मंच साझा करेंगे. फ़ारूक़ हैदर से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि इस तरह एकजुटता दिखाने से अच्छा संदेश जाता है.
उन्होंने कहा, "अगर पाकिस्तान में किसी और पार्टी की सरकार है और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में किसी और पार्टी की तो इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता. पाकिस्तान का वज़ीर-ए-आज़म कोई भी हो हम सभी के लिए सम्माननीय है."
क्या कहते हैं स्थानीय लोग
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की यात्रा को लेकर स्थानीय लोग उम्मीद लगा रहे हैं कि वह कोई बड़ी घोषणा करेंगे.
स्थानीय पत्रकार और सेंट्रल प्रेस क्लब के अध्यक्ष तारिक़ नक़ाश कहते हैं, "उम्मीद है वज़ीर-ए-आज़म कोई नई बात कहेंगे, कोई नया पैग़ाम देंगे कि डिप्लोमैटिक फ़्रंट पर वह क्या करने जा रहे हैं."
तारिक़ का यह भी मानना है कि इमरान ख़ान को नई और प्रभावी रणनीति का ऐलान करना चाहिए.
वह कहते हैं, "हर तरफ़ से आवाज़ें आ रही हैं कि आज़ाद कश्मीर हुकूमत की प्रोफ़ाइल और इसकी भूमिका को बढ़ाया जाना चाहिए. उसमें अगर हुर्रियत के रहनुमाओं को भी शामिल करने की व्यवस्था की जाए तो दुनिया शायद उसके माध्यम से कश्मीरियों की आवाज़ अच्छी तरह सुन पाएगी. हम उम्मीद करते हैं कि इमरान ख़ान कुछ ऐसा ऐलान करेंगे जिससे हम कश्मीर के मामले में कोई प्रगति होगी."
वहीं लेखक अब्दुल हकीम कश्मीरी का मानना है कि पाकिस्तान को इस मामले पर अपनी रणनीति स्पष्ट करनी होगी.
वह कहते हैं, "इस वक्त ऐसी भी धारणा भी बनी हुई है कि हिंदुस्तान ने जो फ़ैसला किया है, वह बड़े खेल का हिस्सा है और पाकिस्तान सरकार उसमें शामिल है. मुज़फ़्फ़राबाद में आकर इमरान ख़ान को पैग़ाम देना होगा कि हम इस अफ़वाह का खंडन करते हैं. इसके साथ-साथ यह भी तय करना होगा कि हिंदुस्तान की तरफ़ से किए गए लॉकडाउन को कैसे ख़त्म किया जा सकता है. क्या इसे लेकर मौजूदा रणनीति क़ामयाब है और अगर यह रणनीति क़ामयाब नहीं तो कश्मीरियों को कैसे आगे करें कि वे अपनी बात दुनिया के सामने रख सकें."
तारिक़ नक़ाश की तरह वह भी मानते हैं कि 'आज़ाद कश्मीर की सरकार' पर बड़ा क़दम उठाना चाहिए.
अब्दुल हकीम कश्मीरी कहते हैं, "यह तय करना होगा कि क्या आज़ाद कश्मीर की सरकार को पूरे जम्मू-कश्मीर का प्रतिनिधित्व करने वाली सरकार घोषित किया जाना चाहिए. मेरे ख़याल से इस बारे में भी पाकिस्तान को दो-टूक बात करनी चाहिए."