इमरान ख़ान ने कश्मीर पर बयान देते हुए क्या ग़लती कर दी?
इमरान ख़ान ने एक ट्विटर पर लिखा था, "मैं मानवाधिकार काउंसिल में शामिल उन 58 देशों की सराहना करता हूं, जिन्होंने 10 सितंबर को कश्मीर में बल प्रयोग को रोकने, प्रतिबंधों को हटाने, कश्मीरियों के अधिकारों की रक्षा करने और संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रस्तावों के मुताबिक कश्मीर मुद्दे के समाधान की मांग पर भारत के ख़िलाफ़ पाकिस्तान का साथ देकर हमारी मांगों को बल दिया है."
भारत ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के उस दावे पर सवाल उठाए हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि कश्मीर मसले पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से जुड़े 58 देश उनके साथ हैं.
इमरान ख़ान ने एक ट्विटर पर लिखा था, "मैं मानवाधिकार काउंसिल में शामिल उन 58 देशों की सराहना करता हूं, जिन्होंने 10 सितंबर को कश्मीर में बल प्रयोग को रोकने, प्रतिबंधों को हटाने, कश्मीरियों के अधिकारों की रक्षा करने और संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रस्तावों के मुताबिक कश्मीर मुद्दे के समाधान की मांग पर भारत के ख़िलाफ़ पाकिस्तान का साथ देकर हमारी मांगों को बल दिया है."
I commend the 58 countries that joined Pakistan in Human Rights Council on 10 Sept reinforcing demands of int community for India to stop use of force, lift siege, remove other restrictions, respect & protect Kashmiris' rights & resolve Kashmir dispute through UNSC resolutions.
— Imran Khan (@ImranKhanPTI) 12 September 2019
उनके इस ट्वीट पर भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने सवाल उठाए.
नई दिल्ली में उनकी प्रेस वार्ता के दौरान इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "मैं सबसे पहले आपको यह कहूंगा कि आपको उनसे पूछना चाहिए कि वे जिन देशों की बात कर रहे हैं उसकी लिस्ट आपको दें. हमारे पास ऐसी कोई लिस्ट नहीं है. आपको यह समझना होगा कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार काउंसिल में भारत और पाकिस्तान समेत 47 सदस्य देश हैं. पाकिस्तान अपने ही अल्पसंख्यकों की आवाज़ों को ही रौंद रहा है."
रवीश कुमार ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में हमारे शिष्टमंडल ने भारत का पक्ष रख दिया है. उन्होंने कहा कि भारत ने 'पाकिस्तान के इस झूठ और तथ्यात्मक रूप से ग़लत बयान' पर जवाब देने के अधिकार के तहत अपनी प्रतिक्रिया दी है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर मुद्दे के राजनीतिकरण की पाकिस्तान की कोशिश को अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने ख़ारिज कर दिया है.
उन्होंने कहा, "विश्व समुदाय आतंकवादी इंफ्रास्ट्रक्चर को समर्थन देने और उसके वित्तपोषण में पाकिस्तान की भूमिका से अवगत है. यह पाकिस्तान का दुस्साहस है कि वो आतंकवाद का केंद्र है और मानवाधिकार के मुद्दे पर विश्व समुदाय की ओर से बोलने का दिखावा कर रहा है."
इससे पहले रविवार को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने आरोप लगाते हुए कहा था, "पाकिस्तान हताशा में जम्मू-कश्मीर में स्थिति बिगाड़ने की कोशिशें कर रहा है क्योंकि उसने उन लोगों के सामने अपना वजूद खो दिया है जिन्हें वो झूठे सपने बेचा करता था."
रवीश कुमार ने भी गुरुवार को इसी तर्ज़ पर कहा कि यह पाकिस्तान बहुत उतावला हो रहा है और वो एक झूठ के सहारे वैश्विक समुदाय की ओर से दावा कर रहा है.
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
भारतीय सोशल मीडिया यूज़र्स इमरान ख़ान के इस बयान पर तंज़ कसने से नहीं चूके.
शिव नाम के एक यूज़र ने लिखा कि क्या इन 58 देशों में बलूचिस्तान, सिंधुदेश और पस्तुनिस्तान भी शामिल हैं.
Does this 58 countries include Baluchistan, Sindhudesh and Phastunistan? Current #unhrc has 47 member countries.
— Shiva ಶಿವ शिव 🇮🇳 (@ShiChikkalli) 12 September 2019
एक और यूज़र रीता ने इमरान से उन देशों की लिस्ट की मांग की.
Do you have a list or will you be publishing the names of the countries.
— Dr Rita Pal (@dr_rita39) 12 September 2019
एक अन्य यूजर ने लिखा, "पाकिस्तान में इन दिनों हर कोई वैज्ञानिक बन गया है. अब इमरान ख़ान और कुरैशी ने भी 11 नए देशों का आविष्कार कर दिया है. पाकिस्तान के नेतृत्व को सलाम."
So out of 47 member countries 58 has supported Pakistan in UNHRC. Every one is a scientist in Pakistan these days. Suddenly @SMQureshiPTI and @ImranKhanPTI invented 11 more countries. Hats off to the leadership of Pakistan.
— Da_Lying_Lama (@freakykalin) 12 September 2019
क्या इमरान ख़ान ने वाक़ई तथ्यात्मक ग़फ़लत की?
चलिए आपको बताते हैं कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में कितने सदस्य देश हैं, यह कैसे काम करता है और इसकी संरचना क्या है.
मानवाधिकार परिषद (यूएनएचसी)
दूसरे विश्व युद्ध के बाद जब 1945 में संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना हुई थी तभी युद्ध में मची तबाही को देखते हुए मानवाधिकारों के संरक्षण और प्रोत्साहन के लिए मानवाधिकार काउंसिल भी स्थापित किया गया था.
इसे संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग के विकल्प के तौर पर बनाया गया था. इसका मक़सद दुनिया भर में मानवाधिकार के मुद्दों पर नज़र रखना है.
यूएनएचसी ने उत्तर कोरिया, सीरिया, म्यांमार और दक्षिणी सूडान जैसे देशों में अहम भूमिकाएं निभाई है.
वहीं साल 2013 में चीन, रूस, सऊदी अरब, अल्जीरिया और वियतनाम को यूएनएचसी का सदस्य चुने जाने पर दूसरे मानवाधिकार समूहों ने इसकी आलोचना की थी.
मानवाधिकार काउंसिल के कितने सदस्य?
इस मामले में भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार की बात सही है.
वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में 47 सदस्य देश हैं, जो संयुक्त राष्ट्र की महासभा के सदस्यों के प्रत्यक्ष और गुप्त मतदान के ज़रिए चुने जाते हैं.
परिषद के सदस्य तीन साल के लिए चुने जाते हैं. लगातार दो कार्यकाल के लिए चुने जाने के बाद, उन्हें लगातार तीसरी बार सदस्य नहीं चुना जा सका.
लिहाजा एक देश अधिकतम लगातार छह साल के लिए इस काउंसिल का सदस्य बना रह सकता है.
मानवाधिकार परिषद में भारत-पाकिस्तान
जहां पाकिस्तान तीन सालों के लिए 2018 में मानवाधिकार परिषद का सदस्य बना, वहीं भारत इसी वर्ष सदस्य चुना गया है.
इस परिषद में सदस्य भौगोलिक आधार पर विभिन्न महादेशों से देश चुने जाते हैं.
अफ़्रीका से मानवाधिकार परिषद में 13 सदस्य हैं. वर्तमान में ये सदस्य देश हैं- बुर्किना फासो, कैमरून, इरिट्रिया, सोमालिया, टोगा, अंगोला, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कांगो, नाइजीरिया, सेनेगल, मिस्र, रवांडा, ट्यूनिशिया और दक्षिण अफ़्रीका.
एशिया-प्रशांत क्षेत्र से इस काउंसिल में 13 देश हैं. ये हैं- भारत, बहरीन, बांग्लादेश, फिजी, फिलिपींस, अफ़ग़ानिस्तान, नेपाल, क़तर, पाकिस्तान, चीन, इराक, जापान और सऊदी अरब.
वहीं लैटिन अमरीका और कैरिबियाई देशों की संख्या आठ है, जो बुल्गारिया, चेक रिपब्लिक, स्लोवाकिया, यूक्रेन, क्रोएशिया और हंगरी हैं.
पश्चिम यूरोप से सात सदस्य देश हैं. अर्जेंटीना, बहामास, उरुग्वे, चिली, मैक्सिको, पेरू, ब्राज़ील और क्यूबा.
तो पूर्वी यूरोप के छह देश शामिल हैं. ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, इटली, ऑस्ट्रेलिया, स्पेन, ब्रिटेन और आइसलैंड.
अमरीका 2017 में मानवाधिकार परिषद का सदस्य चुना गया था लेकिन जून 2018 में वह परिषद पर 'राजनीतिक पक्षपात' से प्रेरित बताते हुए इससे हट गया था.