बृहस्पति के 'चंद्रमा' पर मिले जीवन के दुर्लभ निशान, वैज्ञानिकों के हाथ लगे एलियन जिंदगी के अहम सबूत
बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा पर वैज्ञानिकों को जलवाष्प मिले हैं, जिसके बाद एलियन जिंदगी की संभावना जताई जा रही है।
नई दिल्ली, अक्टूबर 15: हबल टेलीस्कोप से पहली बार बृहस्पति के उपग्रह पर जीवन होने के कुछ संकेत मिले हैं। हबल टेलीस्पोप ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि, बृहस्पति ग्रह के उपग्रह यूरोपा पर जिंदगी के निशान हो सतते हैं। इस टेलीस्कोप के द्वारा यूरोपा पर भाप देखा गया है, जिसके बाद संभावना जताई जा रही है कि, यूरोपा पर जीवन भी मौजूद हो सकता है। हालांकि, अभी तक पता चला है कि, ये वाष्प सिर्फ एक गोलार्ध पर मौजूद है।
बृहस्पति के चंद्रमा पर जीवन
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के एक बयान के अनुसार, जल वाष्प यूरोपा उपग्रह के अनुगामी गोलार्ध पर है, ये चंद्रमा जैसे उपग्रह का वह हिस्सा होता है, जो हमेशा अपनी कक्षा में गति की दिशा के विपरीत होता है। हालांकि, अभी तक वैज्ञानिक इस बात को नहीं समझ पाए हैं कि, जलवाष्प सिर्फ अनुगामी गोलार्ध पर ही क्यों है, अग्रणी गोलार्ध पर क्यों नहीं। रिसर्च में हबल टेलीस्कोप द्वारा रिकॉर्ड किए गई तस्वीरों और स्पेक्ट्रा और एक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है, जिसके अध्ययन से यह निर्धारित किया गया है कि, बृहस्पति के एक और चंद्रमा गैनीमेड के वातावरण में जल वाष्प मौजूद है। आपको बता दें कि, बृहस्पति के पांच चंद्रमा हैं, जिनमें से एक यूरोपा पर जीवन होने की संभावना जताई जा रही है।
बृहस्पति का उपग्रह है यूरोपा
यूरोपा, बृहस्पति का चौथा सबसे बड़े चंद्रमा है, जिसपर जल वाष्प की उपस्थिति को 2013 में स्थापित किया गया था, जब हबल टेलीस्कोप ने एक तस्वीर खींचा था, जिसमें 60 मील से अधिक ऊंचे प्लम की तस्वीरें देखी गईं थीं। हालांकि, इस अध्ययन से इस बात का पता चल रहा है कि, 1999 से 2015 के बीच जितने बड़े हिस्से में जलवाष्प के उठने का अंदाजा लगाया गया था, उससे ज्यादा हिस्से में जलवाष्प मौजूद है।
Recommended Video
रिसर्च से बढ़ी उम्मीदें
इस रिसर्च को लिखने वाले एक मात्र वैज्ञानिक केटीएच रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, स्पेस एंड प्लाज्मा फिजिक्स के लोरेंज रोथ ने कहा कि, 'गैनीमेड पर जल वाष्प का अवलोकन और यूरोपा के पीछे की तरफ बर्फीले चंद्रमाओं के वायुमंडल के बारे में हमारी समझ को आगे बढ़ाता है।'' उन्होंने कहा कि, 'हालांकि, यूरोपा पर एक स्थिर जल बहुतायत का पता लगाना गैनीमेड की तुलना में थोड़ा अधिक आश्चर्यजनक है क्योंकि यूरोपा की सतह का तापमान गैनीमेड की तुलना में कम है।' मई में एक अलग अध्ययन में पाया गया कि, बर्फ के गोले में वास्तव में पानी का पॉकेट हो सकता है जो जीवन का समर्थन कर सकती है।
कैसे होगा जीवन की खोज
दो महीने बाद ही वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया था कि, समुद्र में जीवन के संकेत खोजने के लिए रोबोट को एक फुट तक बर्फ खोदनी पड़ सकती है। यूरोपा पृथ्वी के चंद्रमा से थोड़ा छोटा है और यह हर 3.5 दिन में बृहस्पति की परिक्रमा करता है। ऐसा माना जाता है कि, इसमें एक लोहे का कोर, एक चट्टानी मेटल और पृथ्वी की तरह खारे पानी से बना महासागर है। हबल के स्पेस टेलीस्कोप इमेजिंग स्पेक्ट्रोग्राफ का उपयोग करके यह खोज 1999, 2012, 2014 और 2015 से यूरोपा के पराबैंगनी ऑब्जर्वेशन के आधार पर है। हबल नासा, ईएसए और कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी, सीएसए के बीच एक संयुक्त परियोजना है। ऐसा माना जाता है कि, रिलेंटलेस रेडिएशन के टकराने की वजह से चंद्रमा के दूर का भाग 'अंधेरे में चमकता है'।
यूरोपा पर पानी का महासागर
गेनीमेड पर सूरज की रोशनी ज्यादा तेज पड़ती है और वहां का तापमान 60 डिग्री फॉरेनहाइट तक रहता है। जबकि, यूरोपा पर दिन के वक्त का तापमान -260 ° F है, लेकिन इस तापमान के साथ भी निष्कर्ष बताते हैं कि पानी की बर्फ ठोस से वाष्प में बदल रही है, जैसा कि गैनीमेड पर होता है। वैज्ञानिकों को पता चला है कि, यूरोपा में पानी से बना एक तरल महासागर है जो मनुष्यों या शायद अलौकिक लोगों के लिए मेहमाननवाज हो सकता है। 2020 में एक ब्रिटिश अंतरिक्ष वैज्ञानिक ने कहा कि, यह 'लगभग एक निश्चित दौड़' है कि यूरोपा परग्रही जीवन का घर है, यह इतना अधिक है कि यह सुझाव देता है कि वे जीवों की तरह 'ऑक्टोपस' हैं।
काली मौत: दुनिया में फिर ब्यूबोनिक प्लेग महामारी फैलने का गंभीर खतरा, शीर्ष रूसी डॉक्टर की चेतावनी