रूबल हुआ मजबूत तो पुतिन ने ठोकी अपनी पीठ, महंगाई पर कही ये बात
मास्को, 13 मईः रूस और यूक्रेन के बीच छिड़े युद्ध ने गैस, पेट्रोल और खाद्य चीजें महंगी कर दी हैं। लगातार बढ़ती इस मंहगाई का जिम्मेदार रूस को बताया जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने कहा कि मुद्रास्फीति यानी महंगाई 40 साल में सबसे टॉप पर है और इसकी वजह रूस है। लेकिन रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बढ़ती महंगाई के आरोप से पल्ला झाड़ लिया और रूस की मुद्रा के मजबूत होने पर अपनी पीठ भी ठोकी। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में बढ़ रही महंगाई का जिम्मेदार रूस इसका जिम्मेदार नहीं है। उलटे उन्होंने पश्चिमी देशों को इसका जिम्मेदार बता दिया।

दुनिया भर में आएगी भुखमरी
पुतिन ने कहा कि इसके जिम्मेदार हम नहीं हैं, पश्चिमी देशों के रूस पर कड़े प्रतिबंध लगा देने से ग्लोबल संकट पैदा हुआ है। इसका सबसे अधिक नुकसान भी पश्चिमी देशों को ही होगा। इन प्रतिबंधों के कारण दुनिया भर में भुखमरी जैसे हालात पैदा होंगे, जिसके जिम्मेदार पश्चिमी देश होंगे। ये देश अपना प्रभुत्व बनाए रखने के लिए आमलोगों के हितों की अनदेखी कर रहे हैं।

रूस को मिली आर्थिक मजबूती
पुतिन ने कहा कि पश्चिमी देशों द्वारा थोपे गए प्रतिबंधों से पैदा हुई मुश्किलों से निपटने के लिए हम तैयार हैं। इसका श्रेय हमारी आर्थिक पॉलिसी को जाता है। हाल के वर्षों में हमारी सरकार कुछ ऐसे बुनियादी फैसले किए हैं जिससे रूस की आर्थिक संप्रभुता को मजबूती मिली है। इसके अलावा टेक्नोलॉजी और फूड सिक्योरिटी के मामले में भी हमारा देश सक्षम बना है।

रूबल मजबूत होकर 65 के स्तर पर पहुंचा
पुतिन ने कहा कि रूबल की मजबूती रूस की मजबूती का संकेत है। हमारी इकोनॉमी की मजबूती का संकेत है। पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद हमारी मुद्रा रूबल इस साल दुनिया में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली करेंसी रही। बता दें कि जहां लगभग देशों की करेंसी डॉलर के सामने कमजोर हो रही है वहीं रूस की रूबल ने उलट परिणाम दिखाया है। गुरुवार को डॉलर के मुकाबले रूबल मजबूत होकर 65 के स्तर पर पहुंच गया।

रूस में गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि इस साल देश में गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन होने जा रहा है। रूस गेहूं के सबसे बड़े उत्पादक देशों में से एक है। पुतिन सरकार का कहना है कि उसके सामने सबसे बड़ी समस्या सप्लाई चेन में आयी बाधा है। इसका असर रूस के आयात व निर्यात दोनों पर पड़ा है।