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दक्षिण कोरिया में परमाणु बमों से लैस पनडुब्बियां तैनात करेगा अमेरिका, किम जोंग को जंग का न्योता?

1991 से पहले अमेरिका के सैकड़ों परमाणु हथियार दक्षिण कोरिया की सुरक्षा के लिए तैनात रहते थे, लेकिन 1992 में दक्षिण और उत्तर कोरिया के बीच परमाणु हथियार नहीं रखने को लेकर समझौता हो गया, जिसे किम जोंग ने तोड़ दिया।

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South Korea-US deal

South Korea-US deal: संयुक्त राज्य अमेरिका और दक्षिण कोरिया के बीच हथियारों को लेकर ऐसी डील की गई है, जिसके बाद उत्तर कोरिया का बौखलाना तय माना जा रहा है। वहीं, कई सैन्य जानकारों का कहना है, कि इस डील के साथ ही, भविष्य में होने वाले जंग की बुनियाद रख दी गई है।

संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक-योल के बीच परमाणु-सशस्त्र अमेरिकी पनडुब्बियों और अन्य सैन्य संपत्तियों की दक्षिण कोरिया में तैनाती को लेकर सहमति बन गई है। इस समझौते का मकसद, दक्षिण कोरिया को उत्तर कोरिया के खिलाफ अमेरिकी प्रतिरोध का मजबूत वचन देना है।

यानि, इस समझौते के बाद परमाणु हथियारों से लैस अमेरिकी पनडुब्बियां दक्षिण कोरिया की हिफाजत करने के लिए दक्षिण कोरिया के इलाकों में तैनात की जाएंगी।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ने दोनों देशों के बीच डिप्लोमेटिक संबंध स्थापित होने के 70 साल के मौके को खास बनाने के लिए एक सम्मेलन का आयोजन किया था, जिसमें इस समझौते को लेकर सहमति बनी है, जिसे 'वॉशिंगटन डिक्लरेशन' कहा गया है।

अमेरिका की आधिकारिक यात्रा पर यून

फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के बाद दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून, केवल दूसरे ऐसे वैश्विक नेता हैं, जिन्हें 2021 में कार्यभार संभालने वाले बाइडेन के व्हाइट हाउस में एक आधिकारिक राजकीय यात्रा के लिए आमंत्रित किया है। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में दक्षिण कोरिया अमेरिका के लिए प्रमुख सहयोगी देश है, लिहाजा बाइडेन प्रशासन ने दक्षिण कोरिया को प्राथमिकता दी है।

वहीं, रिपोर्ट ये भी है, कि पीएम मोदी को भी व्हाइट हाउस की यात्रा के लिए न्योता दिया गया है और मई या जून महीने में पीएम मोदी, अमेरिका की यात्रा कर सकते हैं।

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून ने कहा, कि नया 'प्रतिरोध समझौता' द्विपक्षीय रणनीति के "अभूतपूर्व विस्तार और मजबूती" का प्रतिनिधित्व करता है। दोनों देशों के बीच ये समझौता उस वक्त हुआ है, जब उत्तर कोरिया ने अपने हथियारों के परीक्षण की गति बढ़ा दी है और इसी महीने उत्तर कोरिया ने सॉलिड-ईंधन अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल का सफल टेस्ट करने का दावा किया है।

राष्ट्रपति यून ने कहा, कि "राष्ट्रपति बाइडेन ने कोरिया गणराज्य के लिए विस्तारित प्रतिरोध के लिए अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की है।"

South Korea-US deal

उत्तर कोरिया पर रखी जाएगी नजर

रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर कोरिया के खतरों से संबंधित रणनीति बनाने और जानकारियों को शेयर करने के लिए दोनों देश मिलकर "परमाणु परामर्श समूह" भी स्थापित करेंगे। ये समूह संयुक्त अभियानों की योजना बनाने और उन्हें क्रियान्वित करने के तरीकों पर चर्चा करेगा "जो कोरिया की अत्याधुनिक पारंपरिक ताकतों को अमेरिकी परमाणु क्षमताओं के साथ जोड़ता है।"

हालांकि, जो बाइडेन ने इस दौरान प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ किया, कि परमाणु हथियारों की तैनाती उत्तर कोरिया द्वारा परमाणु हमले की आक्रामकता को देखते हुए की जा रही है, लेकिन इसके इस्तेमाल का अधिकारी सिर्फ अमेरिका के पास रहेगा।

1980 के पास परमाणु हथियारों की फिर तैनाती

अमेरिका के एक वरिष्ठ अधिकारी ने संवाददाताओं से कहा, कि कोरियाई प्रायद्वीप में परमाणु-सशस्त्र पनडुब्बियों की तैनाती "1980 के दशक की शुरुआत से नहीं हुई है।" उन्होंने कहा, कि ये परमाणु हथियार "रणनीतिक संपत्ति" की एक सरणी का हिस्सा होंगी, जो नियमित रूप से दक्षिण कोरिया में तैनात की जाएंगी।" जिसका मकसद हमारी प्रतिरोधक क्षमता को और मजबूत करना होगा।

आपको बता दें, कि अमेरिकी परमाणु-सशस्त्र बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियों ने शीत युद्ध के दौरान 1970 के दशक के अंत में दक्षिण कोरिया में लगातार बंदरगाहों का दौरा किया था और वो एक ऐसी अवधि थी, जब अमेरिका के पास दक्षिण कोरिया में सैकड़ों परमाणु हथियार तैनात थे।

1991 में, अमेरिका ने कोरियाई प्रायद्वीप से अपने सभी परमाणु हथियार वापस ले लिए। वहीं, 1992 में सियोल और प्योंगयांग ने एक संयुक्त घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें कहा गया था, कि दोनों देश "परमाणु हथियारों का परीक्षण, निर्माण, उत्पादन, प्राप्त, अधिकार, भंडारण, तैनाती या उपयोग" नहीं करेंगे, जिसे बाद में उत्तर कोरिया ने तोड़ दिया।

लेकिन, उत्तर कोरिया के बार बार इस समझौते का उल्लंघन करने के बाद एक बार फिर से अमेरिका ने दक्षिण कोरिया की सुरक्षा के लिए अपनी परमाणु पनडुब्बियों को भेजने का फैसला किया है।

South Korea-US deal

अमेरिका क्यों भेज रहा है परमाणु हथियार?

उत्तर कोरिया ने परमाणु हथियार का निर्माण कर लिया है, जिसके बाद दक्षिण कोरिया में भी परमाणु बम बनाने के लिए सरकार पर प्रेशर बढ़ता जा रहा है।

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आसन इंस्टीट्यूट फॉर पॉलिसी स्टडीज ने 6 अप्रैल को एक सर्वे जारी किया था, जिसमें 64 प्रतिशत दक्षिण कोरियाई लोगों ने परमाणु हथियार विकसित करने का समर्थन किया था, जबकि 33 प्रतिशत ने इसका विरोध किया था।

इस बीच, उत्तर कोरिया द्वारा इस महीने की शुरुआत में पहली बार एक सॉलिड-ईंधन अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण कर दक्षिण कोरिया की चिंताओं का काफी बढ़ा दिया है, लेकिन अमेरिका नहीं चाहता है, कि दक्षिण कोरिया परमाणु हथियारों का निर्माण करे, लिहाजा उसने दक्षिण कोरिया की सुरक्षा के लिए अमेरिकी परमाणु हथियारों को भेजने का समझौता किया है। हालांकि, बाइडेन ने साफ कर दिया है, कि उस हथियार के इस्तेमाल का अधिकारी अमेरिका के पास होगा।

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English summary
US to deploy nuclear-armed submarines in South Korea Biden announced.
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