उइगर मुसलमानों की निगरानी के चलते अमेरिका 33 चीनी कंपनियों को करेगा बैन
वॉशिंगटन। अमेरिका ने ऐलान किया है कि वह 33 चीनी कंपनियों को बैन करेगा। अमेरिका ने यह फैसला उइगर मुसलमानों के साथ होने वाले बुरे बर्ताव के चलते लिया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि चीनी कंपनियों और संस्थाओं को बैन करने का फैसला किया है क्योंकि ये चीन की जिनपिंग सरकार उइगर मुसलमानों की जासूसी करा रही है या फिर ये चीनी सेना से जुड़ी हुई हैं। अमेरिका के वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से राष्ट्रपति ट्रंप के इस फैसले के बारे में जानकारी दी गई है।
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हांगकांग पर बड़ा कानून लाने की तैयारी में जिनपिंग
अमेरिकी सरकार का यह फैसला ऐसे समय में आया है जब चीन में कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व की तरफ से हांगकांग पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगाने की तैयारी कर ली गई है। वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि सात कंपनियों और दो संस्थानों को लिस्ट में डाला गया क्योंकि वे उइगर और अन्य लोगों के मानवाधिकारों के हनन के चीनी मिशन से जुड़ी हैं जिनके तहत बड़ी तादाद में लोगों को बेवजह हिरासत में लिया जाता है, उनसे बंधुआ मज़दूरी करवाई जाती है और हाई-टेक तकनीक के सहारे उन पर नजर रखी जाती है। इसके आलावा दो दर्जन अन्य कंपनियों, सरकारी संस्थाओं और व्यावसायिक संगठनों को भी चीनी सेना के लिए सामान की सप्लाई करने की वजह से लिस्ट में डाला गया है।
अमेरिकी कांग्रेस में पास हुआ एक प्रस्ताव
ब्लैकलिस्ट होने वाली ये कंपनियां आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) और फेशियल रिक्गनीशन जैसी टेक्नोलॉजी से जुड़ी हुई हैं। यह फैसला तब आया है जब अमेरिका की ही कई बड़ी कंपनियों जिनमें इंटेल कॉर्प और एनविडिया कॉर्प ने इनमें बड़ा इनवेस्टमेंट किया है। चीन की ब्लैकलिस्ट की गई कंपनियों में नेटपोसा का नाम शामिल है जो चीन की एक बड़ी एआई कंपनी जिसकी फेशियल रिक्गनीशन पर काम करनेवाली सहयोगी कंपनी पर मुसलमानों की निगरानी करने में शामिल होने का आरोप लगा है। गौरतलब है कि अमेरिका की सीनेट ने पिछले दिनों एक प्रस्ताव पास किया है। इस प्रस्ताव में चीन की कम्युनिस्ट सरकार से वहां के उइगर और दूसरे मुसलमान अल्पसंख्यकों के खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघन पर जवाब मांगा है।