अमेरिका में गर्भपात का कानून हुआ रद्द, सुप्रीम कोर्ट ने पलटा ऐतिहासिक फैसला
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात के संवैधानिक अधिकार को समाप्त कर दिया है। देश की सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात के संवैधानिक अधिकार से जुड़े 50 साल पुराने फैसले को पलट दिया है।
वाशिंगटन, 24 जूनः अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात के संवैधानिक अधिकार को समाप्त कर दिया है। देश की सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात के संवैधानिक अधिकार से जुड़े 50 साल पुराने फैसले को पलट दिया है। इसका मतलब यह है कि अमेरिका में गर्भपात के अधिकार खत्म हो गए हैं। यह डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि वह इस अधिकार की समर्थक रही है। आशंका जताई जा रही है कि इस फैसले से विरोध प्रदर्शन तेज हो सकता है।
गर्भपात के मुद्दे पर समाज बंटा
अमेरिका में पिछले 50 सालों से गर्भपात कानून को लेकर विवाद बना रहा है और अमेरिकी समाज भी गर्भपात करवाने के लिए कानून हो या ने हो इस मुद्दे पर बंटा रहा है। पिछले एक साल से ये मुद्दा सुर्खियों में बना हुआ है। पिछले महीने की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट का इससे जुड़ा एक ड्राफ्ट लीक हो गया था, जिसके बाद पूरे देश में प्रदर्शन होने लगे थे।
पिछले महीने ही लीक हुआ था ड्राफ्ट
मीडिया में लीक ड्राफ्ट के मुताबिक, गर्भपात के अधिकार को खत्म करने की तैयारी थी। ड्राफ्ट में यह सुझाव दिया गया था कि सुप्रीम कोर्ट ने 1973 के रो बनाम वेड के फैसले को पलटने के लिए मतदान किया है। इसके खिलाफ अमेरिका में प्रदर्शन शुरू हो गए। अमेरिकी की एक बड़ी आबादी का मानना है, कि गर्भपात करवाना उनका मौलिक अधिकार है और सुप्रीम कोर्ट उनसे यह अधिकार नहीं छीन सकता है।
संवेदनशील रहा है गर्भपात का मुद्दा
गर्भपात
अमेरिका
में
हमेशा
ही
सामाजिक
तनाव
का
मुद्दा
रहा
है।
रिपब्लिकन
पार्टी
सहित
बाकी
कंजरवेटिव
समूह
और
ईसाई
चर्च
महिलाओं
को
गर्भपात
का
अधिकार
देने
के
खिलाफ
मुहिम
चलाते
रहे
हैं।
जबकि
डेमोक्रेटिक
पार्टी
और
अन्य
प्रगतिशील
खेमे
इस
अधिकार
के
समर्थक
रहे
हैं।
अमेरिका
में
गर्भपात
को
जायज
ठहराने
वाला
कोई
कानून
नहीं
है।
सुप्रीम
कोर्ट
के
1973
में
दिए
एक
फैसले
के
तहत
इसे
वैध
ठहराया
गया
था।
अब
लगभग
50
साल
बाद
इसे
पलट
दिया
है।
कानून बना सकती है बाइडेन सरकार
बीते महीने राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक बयान जारी कर कहा था कि गर्भपात कराने या ना कराने के बारे में फैसला लेना महिलाओं का मूलभूत अधिकार है। उन्होंने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट फैसले को पलट देता है, तो फिर गर्भपात के अधिकार को सुरक्षित करने के लिए कांग्रेस को कानून बनाना चाहिए। बर्नी सैंडर्स सहित कई प्रोग्रेसिव सांसदों ने भी उनका समर्थन किया था।
फैसले का करें सम्मान- रिपब्लिकन पार्टी
वहीं, दूसरी तरफ रिपब्लिकन पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करने की बात कही थी। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप गर्भपात के अधिकार के खिलाफ लगातार मुहिम चलाते रहे हैं। राष्ट्रपति रहते हुए उन्होंने कई जज नियुक्त किए। तब उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा था कि वे सुप्रीम कोर्ट में ऐसे जज चाहते हैं, जो गर्भपात को संवैधानिक अधिकार घोषित करने के 1973 के निर्णय को पलट दें। ट्रंप ने अपने कार्यकाल के आखिर में एक जज की नियुक्ति कर दी थी जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में कंजर्वेटिव विचारधारा का बहुमत हो गया था, तब ही ये माना जा रहा था कि सुप्रीम कोर्ट में ये फैसला पलटा जा सकता है।
आसान नहीं कानून बनाना
विश्लेषकों
का
कहना
है
कि
राष्ट्रपति
बाइडन
और
दूसरे
डेमोक्रेटिक
नेता
गर्भपात
के
अधिकार
को
सुरक्षित
करने
के
लिए
कानून
बनाने
की
बात
भले
ही
करें
मगर
ऐसा
करना
आसान
नहीं
होगा।
गर्भपात
के
लिए
कानून
पारित
होने
के
लिए
100
सदस्यीय
सीनेट
में
फिलिबस्टर
नियम
के
तहत
60
सदस्यों
का
समर्थन
जरूरी
होगा।
डेमोक्रेटिक
पार्टी
के
पास
50
सीनेटर
ही
हैं।
उप-राष्ट्रपति
का
एक
अतिरिक्त
वोट
उनके
पक्ष
में
है।
फिर
भी
कुल
समर्थक
सदस्यों
की
संख्या
51
ही
होती
है।
हालांकि
राष्ट्रपति
के
पास
फिलिबस्टर
नियम
को
रद्द
करने
का
अधिकार
है,
लेकिन
जो
बाइडन
ऐसा
करने
से
हिचकते
रहे
हैं।
पक्ष में था सुप्रीम कोर्ट का पुराना फैसला
अमेरिका में सबसे पहले गर्भपात को लेकर विवाद साल 1973 में शुरू हुआ था, जब अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट की 9 सदस्यीय बेंच ने 7-2 के बहुमत गर्भपात कानून के खिलाफ फैसला सुनाया था। उस वक्त सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, कि गर्भपात करना महिलाओं का निजी अधिकार है। इसके बाद साल 1992 में भी अमेरिका में इसी तरह का एक मामला आया और उस वक्त भी सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात कानून के खिलाफ ही फैसला सुनाया था। उस वक्त अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए यहां तक कहा था, कि एक मां गर्भपात करने लिए पूरी तरह से स्वतंत्र है और इसमें किसी भी तरह की दखलअंदाजी नहीं दी जा सकती है।
तस्वीर- प्रतीकात्मक
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