US Election 2020: जो बाइडेन या डोनाल्ड ट्रंप- व्हाइट हाउस में किसके पहुंचने पर भारत होगा फायदा
वॉशिंगटन। बस 48 घंटे बचे हैं और उसके बाद दुनिया का पता लग जाएगा कि अगले 4 सालों तक सबसे ताकवतर ऑफिस व्हाइट हाउस पर किसका राज होगा और कौन अमेरिका का कमांडर-इन-चीफ बनेगा। यह चुनाव भले ही अमेरिका का राष्ट्रीय चुनाव हो लेकिन दुनियाभर की नजरें इस पर टिकी रहती हैं। इस बार अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव इतना आसान नहीं हैं। डेमोक्रेट जो बाइडेन, रिपब्लिकन प्रतिद्वंदी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से चुनावों से कुछ ही घंटे पहले नेशनल सर्वे में आगे चल रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का एक बड़ा धड़ा मान रहे हैं कि इस बार की स्थितियां साल 2000 जैसी होने वाली हैं। अगर दोनों पक्षों ने अपनी हार नहीं स्वीकारी तो फिर सुप्रीम कोर्ट ही फैसला करेगा।
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दो दशकों में मजबूत हुए रिश्ते
भारत और अमेरिका के संबंध पिछले दो दशकों में बहुत मजबूत हुए हैं। ऐसे में यहां पर भी सबकी नजरें नतीजों पर टिकी हुई हैं। साल 2016 की तरह ही इस बार भी सभी सर्वे और पोल राष्ट्रपति ट्रंप के विरोध में हैं। अमेरिका की लोकप्रिय चुनावी सर्वे वेबसाइट फाइवथर्टीएट ने ट्रंप के जीतने के मौके बस 10 प्रतिशत ही बताएं हैं। जब पॉपुलर वोट की बात आती है तो इसी साइट ने ट्रंप को 100 में से तीन वोट मिलने का अनुमान जताया है। वहीं जो बाइडेन को 100 में से 28 पॉपुलर वोट मिलने के चांस बताए गए हैं। साइट की तरफ से साल 2016 में हिलेरी क्लिंटन के लिए भी इसी तरह की भविष्यवाणी की गई थी। भारत और अमेरिका के रिश्तों की बात करें तो साल 2016 में जहां से ओबामा प्रशासन के साथ रिश्ता खत्म हुआ था, साल 2017 में ट्रंप प्रशासन के साथ वहां से और मजबूत हो गया।
सितंबर 2019 से भारतीयों को लुभाने की कोशिशें
सितंबर 2019 में टेक्सास के ह्यूस्टन में 'हाउडी मोदी' आयोजित हुआ जिसमें 50,000 भारतीय अमेरिकी शामिल हुए। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक-दूसरे का हाथ पकड़े स्टेज पर पहुंचे थे। फरवरी 2020 में भारत के अहमदाबाद में 'नमस्ते ट्रंप' कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम में टेक्सास से दोगुने यानी करीब एक लाख लोग शामिल हुए। अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम में दुनिया ने भारत और अमेरिका के रिश्तों की नई जुगलबंदी देखी थी। रिपब्लिकन पार्टी को पारंपरिक तौर पर भारत के विरोध में देखा जाता था लेकिन पहले जॉर्ज बुश और फिर ट्रंप ने इस विचारधारा को बदला। आज अमेरिका में बसे भारतीय रिपब्लिकन पार्टी को सबसे करीब देखते हैं।
साल 2008 में ओबामा बने थे पहली पसंद
साल 2008 में 93 प्रतिशत भारतीयों ने बराक ओबामा को वोट डाला था। इसमें से 16 प्रतिशत भारतीयों ने साल 2016 में ट्रंप को वोट किया। साल 2020 में माना जा रहा है कि जिन 93 प्रतिशत भारतीयों ने ओबामा को वोट डाला था उसमें से 28 प्रतिशत ट्रंप के लिए वोट कर चुके हैं। पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच जो दोस्ती है, उसका फायदा इन चुनावों में रिपब्लिकन पार्टी को मिल सकता है। भारत में भी सरकार अमेरिकी चुनावों और इसके नतीजों पर करीब से नजर रख रही है। 29 इलेक्टोरल वोट्स वाला फ्लोरिडा, 20 वोट के साथ पेंसिलवेनिया और 16 वोट वाला मिशीगन इस बार चुनावों के नतीजों पर सबसे ज्यादा असर डालने वाला है। ये ऐसे राज्य हैं जहां पर एनआरआई वोटर्स की संख्या काफी प्रभावशाली है और अगर चुनाव में पेंच फंसा तो फिर ये राज्य नतीजा तय करेंगे।
भारत और अमेरिका दोनों की चीन से ठनी
भारत और अमेरिका दोनों के रिश्ते इस समय चीन के साथ बिगड़े हुए हैं। कोरोना वायरस की वजह से अमेरिका में अब तक 230,000 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा ट्रेड वॉर, साउथ चाइना सी, ताइवान और दूसरे कुछ और मुद्दों की वजह से चीन-अमेरिका में ठनी हुई है। वहीं अगर बात भारत की करें तो पिछले 30 सालों में यह देश पाकिस्तान से ज्यादा बड़ा खतरा बन चुका है। मई माह से लद्दाख में तनाव जारी है। 15 जून को गलवान घाटी में हुई हिंसा में 20 भारतीय सैनिकों शहीद हो गए। इसके अलावा कई और मुद्दे जैसे हिंद महासागर, श्रीलंका में प्रभाव बनाने की कोशिशें, पाकिस्तान और अब म्यांमार के साथ नेपाल और बांग्लादेश में चीन मजबूती से पैर जमाने की कोशिशें कर रहा है। ऐसे में भारत की चिंताएं बढ़ना लाजिमी है। भारत और अमेरिका के रिश्ते कैसे होंगे, चीन पर कितना समर्थन मिलेगा, ये सब बातें अब ओवल ऑफिस में कौन पहुंचेगा, इस पर निर्भर करेगा। जहां पिछले दिनों क्वाड सक्रिय हुआ है तो कल से मालाबार एक्सरसाइज शुरू होने वाला है। इस युद्धाभ्यास में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया की नौसेनाएं शामिल हो रही हैं।
चीन के खिलाफ कुछ भी कहने से बचते बाइडेन
डेमोक्रेट जो बाइडेन सार्वजनिक तौर पर चीन के खिलाफ कुछ भी कहने से बच रहे हैं। उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से चीन के ऊपर की गई टिप्पणियों पर भी कुछ नहीं कहा है। माना जा रहा है कि बाइडेन जब अपना पहला कार्यकाल शुरू करेंगे तो वह फिलहाल कुछ नरम रवैये के साथ चीन को समझने की कोशिशें करेंगे। हो सकता है कि क्वाड पर भी असर पड़े। ऐसे में चीन को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपने पैर मजबूती से जमाने में मदद मिलेगी। भारत और अमेरिका के बीच साल 2019 के अंत में व्यापार भी बढ़ा है और यह 146 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया है। जबकि साल 2016 में यह 113.6 बिलियन डॉलर पर था। अमेरिका ने चीन को इस जगह से हटाया है। अब अमेरिका, भारत के लिए नौंवा सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ट्रंप दोबारा व्हाइट हाउस पहुंचते हैं तो भारत को अगले 4 सालों तक कुछ फायदा हो सकता है।
भारत आ सकती हैं अमेरिकी कंपनियां
कोविड के बाद ट्रंप, चीन से सप्लाई चेन को हटाने की कोशिशें करेंगं। ऐसे में हो सकता है कि भारत उन अमेरिकी कंपनियों का पहला लक्ष्य बने जो अभी चीन में हैं। अमेरिकी कंपनी एप्पल ने पहले ही भारत में अपनी उत्पादन क्षमता को बढ़ाया। इस वर्ष जून से पहले ही भारत ने 1000 कंपनियों को आकर्षित करने का प्लान बनाना शुरू कर दिया है। एच1बी वीजा से लेकर रक्षा संबंध और इस्लामिक आतंकवाद कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिन पर ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल में बड़े फैसले ले सकते हैं। ट्रंप का दूसरा कार्यकाल ट्रेड पर कुछ अनिश्चितता पैदा करता है। लेकिन वहीं कई मोर्चों पर बाइडेन का पहला कार्यकाल जटिलताओं और दुविधाओं से भरा रहने वाला है। नजरें इस बार नतीजों पर टिकी हैं क्योंकि अगले 4 साल भारत-अमेरिका के संबंध कैसे होंगे ये अब अपने आप में बड़ा सवाल है।