Tokyo Olympics: अरबों डॉलर के नुकसान के बावजूद ओलंपिक की मेजबानी में क्या है फायदा ? जानिए
टोक्यो, 4 अगस्त: दुनियाभर के विकसित और विकासशील देशों में ओलंपिक खेलों की मेजबानी करने की होड़ लगी रहती है। दशकों के स्लॉट पहले से ही बुक हो जाते हैं। जबकि, ओलंपिक खेलों के आयोजन करने वाले देशों पर बहुत ज्यादा आर्थिक बोझ पड़ता है और उसकी तुलना में कमाई बिल्कुल ही नहीं हो पाती। टोक्यो ओलंपिक का ही उदाहरण लें तो 23 जुलाई, 2021 से 8 अगस्त, 2021 के इस आयोजन में आयोजकों को मोटे तौर पर 8 अरब अमेरिकी डॉलर से ज्यादा के नुकसान होने का अनुमान है। फिर सवाल है कि सभी देश ओलंपिक की मेजबानी करना क्यों चाहते हैं, यह प्रतिष्ठा की बात क्यों मानी जाती है ?
टोक्यो ओलंपिक 2020 की अनुमानित लागत
टोक्यो ओलंपिक पर आयोजकों को 15.4 अरब अमेरिकी डॉलर से ज्यादा का खर्च आने का अनुमान है। इसका बजट ऑर्गेनाइजिंग कमिटी फॉर ओलंपिक गेम्स (ओसीओजी), टोक्यो मेट्रोपॉलिटन गवर्नमेंट (टीएमजी) और जापान सरकार ने मिलकर तैयार किया है। कोविड-19 की वजह से इस बार का बजट अभी तक करीब 90 करोड़ डॉलर और बढ़ गया है। बजट में एक बड़ा खर्च स्थायी (इंफ्रास्ट्रक्चर) चीजों पर की गई है, जो कि 3.2 अरब डॉलर है। इसमें ऑर्गेनाइजिंग कमिटी का एक भी पैसा नहीं लगा है। इसके लिए 2.1 अरब डॉलर टोक्यो मेट्रोपॉलिटन गवर्नमेंट और 1.1 अरब डॉलर का भार जापान सरकार खर्च कर रही है। बाकी कई अस्थाई खर्च भी हैं। जैसे कि ऊर्जा, टेक्नोलॉजी, वेन्यू से जुड़ा बजट, ट्रांसपोर्ट, सिक्योरिटी और अन्य। वेन्यू से जुड़े बजट पर सबसे मोटा खर्च हो रहा है, जो कि 8.7 अरब डॉलर का है। इसका भी सबसे बड़ा भाग टीएमजी ही उठा रही है। अलबत्ता मार्केटिंग पर 1.3 अरब डॉलर का खर्च ओलंपिक कमिटी के जिम्मे है।
टोक्यो ओलंपिक 2020 का अनुमानित राजस्व
ऑर्गेनाइजिंग कमिटी फॉर ओलंपिक गेम्स ने इसबार के ओलंपिक से करीब 6.7 अरब डॉलर के राजस्व का अनुमान लगाया है। यानी इस गेम पर जितना खर्च हो रहा है, आमदनी उससे आधे से भी कम है। सबसे ज्यादा 3.3 अरब डॉलर की कमाई लोकल स्पॉन्सरशिप से होने का अनुमान है। जबकि इंटरनेशनल ओलंपिक कमिटी का योगदान 80 करोड़ डॉलर रहने की उम्मीद है। बाकी आमदनी लाइसेंस वितरण, टिकट बिक्री और दूसरे स्रोतों से होनी है। इसमें पर्यटकों से होने वाले आमदनी का ब्योरा नहीं है।
ओलंपिक की मेजबानी करने में क्या है फायदा ?
बड़ा सवाल यही है कि जब आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपैया वाली बात है तो फिर दुनियाभर के देश और बड़े शहर इसके आयोजन के लिए लालायित क्यों रहते हैं? इसकी वजह ये है कि कुछ हफ्तों चलने वाले इस गेम के जरिए कोई देश और बड़े शहर अपने भविष्य को संवारना चाहते हैं। हमने देखा है कि जापान सरकार और टोक्यो मेट्रोपॉलिटन गवर्नमेंट के बजट का एक बहुत बड़ी हिस्सा यानी 3.2 अरब डॉलर इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च किया गया है। वेन्यू से जुड़े खर्च को जोड़ दें तो यह और भी ज्यादा हो जाता है। बड़े बिजनेसमैन और आरपीजी इंटरप्राजेज के चेयरमैन हर्ष गोयनका का कहना है कि ओलंपिक के जरिए देशों को कई तरह के फायदे मिलते हैं, जैसे कि-
- इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास
- पर्यटन
- विदेशी निवेश
- रोजगार सृजन
- वैश्विक कद
- राष्ट्र गौरव
हालांकि, उन्होंने टोक्यो ओलंपिक का कुल खर्च 28 अरब डॉलर होने का अनुमान जताया है।
पिछले कुछ ओलंपिक बन गए हैं उदाहरण
1992 के बार्सिलोना ओलंपिक का उदाहरण लें तो उसे टूरिज्म की सक्सेस स्टोरी के लिए जाना जाता है। खेलों के बाद यह शहर यूरोप के 11वें लोकप्रिय पर्यटन स्थल से 6ठे स्थान पर पहुंच गया था। सिडनी और वैंकूवर में भी काफी हद तक यही कहानी दिखाई पड़ी थी। इसी तरह से इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार और निवेश बढ़ने से रोजगार के मौके बढ़ना स्वाभाविक है। जाहिर है कि ऐसे आयोजन किसी भी देश के लिए लंबे समय के निवेश की तरह है। हालांकि कुछ एक्सपर्ट इस थ्योरी को पक्का नहीं मानते। इसके लिए लंदन, बीजिंग और साल्ट लेक सिटी का उदाहरण दिया जाता है, जहां ओलंपिक साल में पर्यटन में गिरावट दर्ज किए जाने का दावा किया जाता है।