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टोक्यो ओलंपिक: 18 साल का वो अनजान तैराक जिसने इतिहास रच दिया

400 मीटर फ़्रीस्टाइल के फ़ाइनल राउंड में जिसने सबसे ख़राब टाइमिंग के साथ जगह बनाई थी, उसी तैराक ने किया कमाल.

By BBC News हिन्दी
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Hafnaoui Ahmed
Getty Images
Hafnaoui Ahmed

महज़ 18 साल की उम्र में अहमद हफ़नोई ने टोक्यो ओलंपिक में इतिहास रच दिया है.

400 मीटर फ़्रीस्टाइल तैराकी में गोल्ड मेडल जीतने के साथ ही वे टोक्यो ओलंपिक में ऐसा करने वाले पहले अफ़्रीकी एथलीट बन गए हैं.

दिलचस्प यह है कि 18 साल के अहमद क्वालीफ़ाइंग राउंड में सबसे धीमे तैराक साबित हुए थे, लेकिन उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में अब तक का सबसे हैरतअंगेज़ प्रदर्शन करते हुए फ़ाइनल राउंड में गोल्ड मेडल जीत लिया.

उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के जैक मैकलॉगलिन (रजत पदक विजेता) और अमेरिकी केयर्न स्मिथ (कांस्य पदक विजेता) को पीछे छोड़ा.

अहमद 400 मीटर फ़्रीस्टाइल की 15वीं बेस्ट टाइमिंग के साथ टोक्यो ओलंपिक पहुंचे थे. फ़ाइनल राउंड में प्रवेश करने वाले वे सबसे धीमे तैराक थे यानी क्वालीफ़ाइंग राउंड में वे आठवें स्थान पर थे. इस वजह से उन्हें आउटर लेन में जगह मिली थी, जहां से किसी तैराक के लिए जीतना मुश्किल होता है.

लेकिन फ़ाइनल राउंड की तैराकी में वे क्वालीफ़ाइंग राउंड के प्रदर्शन को कहीं पीछे छोड़ चुके थे. उन्होंने तीन मिनट 43.36 सेकेंड के साथ गोल्ड मेडल पर कब्ज़ा जमाया. इस दौरान उन्होंने अब तक के अपने व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन को तीन सेकेंड बेहतर किया.

अपने प्रदर्शन से हैरान तैराक

अहमद ने मेडल हासिल करने के बाद कहा, "पहले तो मैं फ़ाइनल में पहुंचकर ही अचरज में था और अब गोल्ड मेडल जीत कर हैरान हूं. जब मैंने वॉल को टच किया तो सबसे पहले ख़ुद को देखा. मैं अचरज से भरा हुआ था. मुझे इसकी उम्मीद नहीं थी."

अहमद अपनी जीत को लेकर ऐसे आश्चर्यचकित हुए कि वो मेडल लेने के लिए अपनी टीम की पूरी जर्सी पहनना भी भूल गए और केवल टीशर्ट और शार्ट्स में उन्होंने मेडल लिया.

अहमद बीच में गोल्ड मेडल के साथ
Reuters
अहमद बीच में गोल्ड मेडल के साथ

वैसे अहमद हफ़नोई ओलंपिक में तैराकी में गोल्ड मेडल जीतने वाले ट्यूनीशिया के दूसरे एथलीट है. उनसे पहले यह करिश्मा डबल चैम्पियन ऑस मेलुली ने किया है जो टोक्यो में 10 किलोमीटर मैराथन तैराकी इवेंट में हिस्सा लेंगे.

यह कुल मिलाकर ओलंपिक इतिहास में ट्यूनीशिया का पांचवां गोल्ड मेडल है. वैसे अहमद के लिए टोक्यो ओलंपिक का सफ़र अभी ख़त्म नहीं हुआ है. मंगलवार को वे 800 मीटर फ़्रीस्टाइल में हिस्सा लेंगे.

अहमद ने पहला गोल्ड मेडल जीतने के बाद कहा, "जब मैंने अपने देश के झंडे को देखा तो मेरी आंखों में आंसू आ गए थे, पीछे देश का राष्ट्रीय गान बज रहा था, मुझे काफ़ी गर्व महसूस हो रहा था."

अपने प्रदर्शन के बारे में उन्होंने कहा, "जब मैं पानी में कूदा तो केवल मेडल जीतने के बारे में सोच रहा था. अपने कल के प्रदर्शन से तेज़ तैराना चाहता था. मैंने ऑस्ट्रेलियाई तैराक को आख़िरी के 200 मीटर वाले राउंड में देखा था, लेकिन मैं बहुत अच्छे से तैर रहा था और आख़िर में ये शानदार मुक़ाबला रहा."

2024 ओलंपिक पर थी नज़र

हफ़नोई के पिता मोहम्मद हफ़नोई ट्यूनीशिया की ओर से नेशनल बॉस्केटबॉल टीम का हिस्सा रहे थे. अहमद ने 2018 के यूथ ओलंपिक खेलों में हिस्सा लिया था. 400 मीटर में वे आठवें स्थान पर रहे थे जबकि 800 मीटर में वे सातवें स्थान पर थे.

2019 में ट्यूनीशिया के एक अख़बार को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि वे 2024 के पेरिस ओलंपिक में अपना पहला गोल्ड मेडल हासिल करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.

लेकिन चार मिनट से भी कम समय में जादुई प्रदर्शन से उन्होंने वह कामयाबी 2021 में ही हासिल कर ली जिसे 2024 में वो हासिल करना चाहते थे.

उन्होंने छह साल की उम्र से तैराकी शुरू की थी, जब उनके पिता ने उन्हें स्वीमिंग क्लब में रजिस्टर्ड कराया था. 12 साल के बाद उन्होंने अपने देश के लिए ओलंपिक खेलों का पांचवां गोल्ड मेडल जीत लिया.

उन्होंने ये मेडल अपने परिवार और ट्यूनीशिया के पहले गोल्ड मेडलिस्ट ऑस मेलुली की लेगेसी को समर्पित किया है.

Ahmed Hafnaoui
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Ahmed Hafnaoui

टोक्यो में मेलुली आख़िरी बार ओलंपिक में हिस्सा ले रहे हैं, उनकी झोली में तीन ओलंपिक मेडल है और लग रहा है कि उनकी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए ट्यूनीशिया को अहमद मिल गए हैं.

अहमद ने बताया, "मेलुली के साथ मेरा शानदार रिश्ता रहा है, उन्होंने मुझे गुडलक कहा था, मैं उनके 10 किलोमीटर रेस के लिए गुडलक कहूंगा. वे लीजेंड हैं और मैं एक दिन उनके जैसा होना चाहता हूं."

टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीत कर अहमद ने निश्चित तौर पर उस दिशा में अपने क़दम बढ़ा दिए हैं.

टोक्यो में मौजूद बीबीसी अफ़्रीका स्पोर्ट्स की सेलेस्टीन कारोने का विश्लेषण

400 मीटर फ़्रीस्टाइल ओलंपिक चैम्पियन अहमद हफ़नोई उस वक्त भावुक हो गए थे जब टोक्यो के एक्वेटिक सेंटर में ट्यूनीशिया की राष्ट्रीय धुन बजने लगी थी. 18 साल के अहमद पहली बार ओलंपिक में हिस्सा लेने आए थे और उन्होंने कहीं मज़बूत दावेदारों को पीछे छोड़ दिया.

उन्होंने ना केवल अपना पहला ओलंपिक मेडल जीता बल्कि टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल हासिल करने वाले पहले पहले अफ़्रीकी एथलीट में बने. कोविड के चलते उन्हें तैरते हुए दर्शकों ने नहीं देखा, लेकिन उनके शानदार प्रदर्शन की चर्चा खेल गांव में देखने को मिल रही थी.

मंगलवार को उनके सामने अपनी झोली में एक और मेडल हासिल करने का मौका होगा जब वे 800 मीटर फ़्रीस्टाइल इवेंट में हिस्सा लेंगे. हालांकि उनकी रैंकिंग आठवीं हैं, लेकिन 400 मीटर फ़्रीस्टाइल की कामयाबी ने उन्हें पदक का दावेदार बना दिया है.

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English summary
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