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स्वेज़ नहर में फंसे जहाज़ को निकालने और उसके भविष्य की कहानी

मिस्र की स्वेज़ नहर में लगा जाम खुल गया है. क़रीब एक हफ़्ते से वहां फंसे विशाल जहाज़ को बड़ी मशक्कत के बाद रास्ते से हटाया जा सका है.

By BBC News हिन्दी
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स्वेज़ नहर में फंसा जहाज़ आख़िर निकला कैसे?
Reuters
स्वेज़ नहर में फंसा जहाज़ आख़िर निकला कैसे?

मिस्र की स्वेज़ नहर में जाम खुल गया है. क़रीब एक हफ़्ते से वहां फंसे विशाल जहाज़ को बड़ी मशक्कत के बाद रास्ते से हटाया जा सका.

टग बोट्स और ड्रेजर की मदद से 400 मीटर (1,300 फीट) लंबे 'एवर गिवेन' जहाज़ को निकाला गया.

सैकड़ों जहाज़ भूमध्य सागर को लाल सागर से जोड़ने वाली इस नहर से गुज़रने का इंतज़ार कर रहे हैं.

ये दुनिया के सबसे व्यस्त व्यापारिक मार्गों में से एक है.

जहाज़ को हटाने में मदद करने वाली कंपनी, बोसकालिस के सीईओ पीटर बर्बर्सकी ने कहा, "एवर गिवेन सोमवार को स्थानीय समयानुसार 15:05 बजे फिर तैरने लगा था. जिसके बाद स्वेज़ नहर का रास्त फिर से खोलना संभव हुआ."

मिस्र के अधिकारियों का कहना है कि जाम की वजह से फंसे सभी जहाज़ों को निकलने में क़रीब तीन दिन का वक़्त लग जाएगा, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक शिपिंग पर पड़े असर को जाने में हफ़्तों या यहां तक की महीनों लग सकते हैं.

स्वेज़ नहर में फंसा जहाज़ आख़िर निकला कैसे?

जहाज़ को आख़िर कैसे निकाला गया?

मंगलवार सुबह तेज़ हवाओं और रेत के तूफ़ान के बीच फंसे दो लाख टन वज़न वाले जहाज़ को निकालना बचाव टीमों के लिए मुश्किल चुनौती थी.

ऐसे जहाज़ों को निकालने में विशेषज्ञ टीम, एसएमआईटी ने 13 टगबोट का इंतज़ाम किया. टगबोट छोटी लेकिन शक्तिशाली नावें होती हैं जो बड़े जहाज़ों को खींच कर एक जगह से दूसरी जगह ले जा सकती हैं.

ड्रेजर भी बुलाए गए. जिन्होंने जहाज़ के सिरों के नीचे से 30,000 क्यूबिक मीटर मिट्टी और रेत खोदकर निकाली.

जब बात नहीं बनी तो सप्ताहांत पर ये भी सोचा गया कि जहाज़ को हल्का करने के लिए कुछ माल को उतारना पड़ेगा. आशंका थी कि कुछ 18,000 कंटेनर निकालने पड़ सकते हैं.

लेकिन ऊंची लहरों ने टगबोट और ड्रेजर की उनके काम में मदद की और सोमवार सुबह स्टर्न (जहाज़ का पिछला हिस्सा) को निकाला गया, फिर तिरछे होकर फंसे इस विशाल जहाज़ को काफी हद तक सीधा किया जा सका. इसके कुछ घंटों बाद बो (जहाज़ का आगे का हिस्सा) भी निकल गया और एवर गिवेन तैरने लायक स्थिति में आ गया यानी वो पूरी तरह से निकाल लिया गया.

फिर जहाज़ को खींचकर ग्रेट बिटर लेक ले जाया गया, जो जहाज़ के फंसने वाली जगह से उत्तर की तरफ नहर के दो हिस्सों के बीच स्थित है. यहां ले जाकर जहाज़ की सुरक्षा जांच की जाएगी.

स्वेज़ नहर में फंसा जहाज़ आख़िर निकला कैसे?

इसके बाद क्या हुआ?

एक मरीन सोर्स ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को सोमवार शाम बताया कि जहाज़ दक्षिण की ओर लाल सागर की तरफ जा रहे हैं, वहीं नहर में सेवाएं देने वाली लेथ एजेंसीज़ ने कहा कि जहाज़ ग्रेट बिटर लेक से निकलना शुरू हो गए हैं.

कुछ जहाज़ क्षेत्र से पहले ही निकल चुके हैं. उन्होंने अफ्रीका के दक्षिणी सिरे के आसपास का एक वैकल्पिक, लंबा रास्ता लेने का फैसला किया.

इन कार्गों को पहुंचने में निश्चित रूप से ज़्यादा वक़्त लगेगा. जब वो बंदरगाह पर पहुंचेंगे तो हो सकता है वहां भी उन्हें जाम मिले. अगले कुछ दिनों में आने वाले जहाज़ों के शिड्यूल में भी गड़बड़ी हो सकती है.

बीबीसी बिज़नेस संवाददाता थियो लेगट की रिपोर्ट के मुताबिक़, इसकी वजह से यूरोप में जहाज़ से माल भेजने की लागत बढ़ सकती है.

शिपिंग समूह मर्स्क ने कहा, "साफ़ तौर पर इसकी जांच होगी, क्योंकि इससे बड़ा असर हुआ है और मुझे लगता है कि इस बात पर कुछ वक़्त तक बहस होगी कि वहां असल में हुआ क्या था."

"हम क्या कर सकते हैं ताकि फिर कभी ऐसा ना हो? ये मिस्र के प्रशासन को देखना होगा कि जहाज़ हमेशा बिना किसी दिक्कत के नहर से निकलते रहें, क्योंकि ये उन्हीं के हित में है."

स्वेज़ नहर में फंसा जहाज़ आख़िर निकला कैसे?

बड़ी कामयाबी

स्वेज़ के बंदरगाह पर मौजूद बीबीसी अरबी संवाददाता सैली नबील

एवर गिवेन जहाज़ को निकाल लेना एक बड़ी कामयाबी समझा जा रहा है. कुछ विशेषज्ञों ने पहले चेताया था कि इस जहाज़ को निकालने में हफ़्तों लग सकते हैं. लेकिन ऊंची लहरों के साथ-साथ विशेषज्ञ उपकरणों ने बचाव अभियान में पूरी तरह मदद की.

अब प्रशासन को दूसरी चुनौती से निपटना होगा - जाम. स्वेज़ नहर प्राधिकरण के प्रमुख ने कहा कि जाम में फंसे सैकड़ों जहाज़ों में से पहले उन्हें निकलने दिया जाएगा जो पहले आएंगे. हालांकि जहाज़ों पर लदे माल को देखते हुए कुछ जहाज़ों को प्राथमिकता दी जा सकती है.

वैश्विक व्यापार पर जो असर पड़ा, उसने जाम को लेकर प्रशासन को बेहद दबाव में ला दिया. मिस्र के लिए ये नहर सिर्फ राष्ट्रीय गर्व का सवाल नहीं है, बल्कि इससे अर्थव्यवस्था को भी मज़बूती मिलती है.

कुछ दिन पहले मैंने स्वेज़ नहर प्राधिकरण के प्रमुख ओसामा रबी से पूछा था कि क्या वो इस बात को लेकर चिंतित हैं कि कुछ शिपिंग कंपनियां भविष्य में ऐसे बड़े जहाज़ों को इस नहर के रास्ते भेजने से बचेंगी. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि स्वेज़ नहर का कोई विकल्प नहीं हैं, उनके मुताबिक़ ये रास्ता जल्दी पहुंचाता है और सुरक्षित है. तो यहां बात सिर्फ वक़्त की नहीं, बल्कि सुरक्षा की भी है.

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अब जहाज़ का क्या होगा?

शिप का तकनीकी रखरखाव करने वाली कंपनी के मैनेजर्स के मुताबिक़, ग्रेट बिटर लेक में अब जहाज़ की पूरी जांच होगी.

उन्होंने बताया कि प्रदूषण या कार्गो को नुक़सान होने का पता नहीं चला है और शुरुआती जांच में सामने आया है कि जहाज़ के फंसने के पीछे कोई मैकेनिकल या इंजन के फेल होने का कारण नहीं था.

बताया गया है कि जहाज़ पर सवार भारतीय क्रू के सभी 25 सदस्य सुरक्षित हैं. मैनेजर्स का कहना है, "उनकी कड़ी मेहनत और अथक प्रोफेशनलिज़म की तारीफ़ हो रही है."

जहाज़ में लदे सामान में कई तरह की चीज़ें हैं और माना जा रहा है कि इस सामान की क़ीमत अरबों डॉलर है.

BBC Hindi
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English summary
The story of the evacuation of the ship trapped in the Suez Canal and its future
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