हॉन्ग कॉन्ग में अबतक का सबसे विशाल प्रदर्शन
हॉन्ग कॉन्ग की सड़कों पर रविवार को अबतक का सबसे बड़ा सरकार विरोधी प्रदर्शन हुआ. बीते अगस्त से पहली बार पुलिस ने लोकतंत्र समर्थक ग्रुप सिविल ह्यूमन राइट्स फ्रंट की इस रैली को इजाज़त दी. आयोजकों का कहना है कि इसमें क़रीब आठ लाख लोगों ने हिस्सा लिया जबकि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों की संख्या एक लाख 83 हज़ार बताया है.
हॉन्ग कॉन्ग की सड़कों पर रविवार को अबतक का सबसे बड़ा सरकार विरोधी प्रदर्शन हुआ.
बीते अगस्त से पहली बार पुलिस ने लोकतंत्र समर्थक ग्रुप सिविल ह्यूमन राइट्स फ्रंट की इस रैली को इजाज़त दी.
आयोजकों का कहना है कि इसमें क़रीब आठ लाख लोगों ने हिस्सा लिया जबकि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों की संख्या एक लाख 83 हज़ार बताया है.
रैली के पहले पुलिस ने छापा मारकर 11 लोगों को गिरफ़्तार किया और एक हैंडगन बरामद करने का दावा किया था.
एक विवादित प्रत्यर्पण विधेयक को लेकर बीते जून में यहां प्रदर्शन शुरू हुए थे और ये अब व्यापक सरकार विरोधी प्रदर्शनों में तब्दील हो गए हैं.
प्रदर्शन के दौरान विक्टोरिया पार्क में आई 40 साल की एक महिला जून ने कहा, "मैं आज़ादी के लिए मरते दम तक संघर्ष करूंगी."
शनिवार को एक बयान जारी कर सरकार ने शांति बनाए रखने की अपील की और कहा कि उसने सबक़ हासिल किया है और अब सहानुभूति के साथ लोगों की बात सुनेगी और आलोचना स्वीकार करेगी.
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प्रदर्शन के छह महीने पूरे
इस रैली के बाद सरकार ने कहा कि वो हॉंग कॉंग की गहराती समस्या को बातचीत के माध्यम से हल करने की कोशिश कर रही है.
बीते 9 जून को जब विशाल रैली हुई तबसे सोमवार को छह महीने पूरे हो जाएंगे.
इन प्रदर्शनों की वजह से एक बड़ा राजनीतिक संकट खड़ा हो गया जिसने चीन के इस अर्ध स्वायत्त इलाक़े को अपनी गिरफ़्त में ले लिया.
रैली के आयोजनकर्ता सिविल ह्यूमन राइट्स फ्रंट का कहना है कि सरकार के पास उनकी मांगों को मानने का आख़िरी उपाय है कि वो प्रदर्शनकारियों के साथ पुलिसिया बर्ताव की स्वतंत्र जांच कराए, जो गिरफ़्तार किए गए हैं उन्हें रिहा किया जाए और निष्पक्ष चुनाव कराए जाएं.
हाल के दिनों में ये प्रदर्शन हिंसक होते गए जिसकी वजह से ये भी संकट पैदा हुआ कि इस अशांति को कैसे रोका जाए.
जून से अबतक छह हज़ार लोगों को गिरफ़्तार किया गया है और सैकड़ों घायल हुए हैं जिनमें पुलिसकर्मी भी शामिल हुए हैं.
हालांकि रविवार की रैली आम तौर पर शांतिपूर्ण रही लेकिन कुछ जगहों पर हिंसा की ख़बरें भी आईं.
इस रैली के अंतिम पड़ाव पर प्रदर्शनकारियों ने अपने मोबाइल के टॉर्च से रोशनी की और सरकार विरोधी नारे लगाए.
हिंसा की ख़बरें
इस बीच हाई कोर्ट और कोर्ट ऑफ़ फ़ाइनल अपील को नुक़सान पहुंचाया गया है और पुलिस का कहना है कि इन पर पेट्रोल बम से हमले किए गए.
इस हमले का रैली के आयोजकों, पुलिस और सरकार ने निंदा की है और कहा है कि ये हॉंग कॉंग की छवि को धूमिल करने वाली कार्रवाई थी.
इससे पहले पुलिस ने कहा कि छापे में एक ऑटोमिटिक पिस्टल, 105 ज़िंदा कारतूस, चाक़ू और पटाख़े बरमाद किए गए. कहा जा रहा है कि ऐसा पहली बार हो रहा है कि इन प्रदर्शनों में पहली बार हैंडगन बरामद किया गया.
दो सप्ताह पहले स्थानीय निकाय चुनावों में लोकतंत्र समर्थक उम्मीदवारों की भारी जीत के बाद से शहर में कुछ शांति आई है.
लेकिन हॉंग कॉग की नेता कैरी लैम के ख़िलाफ़ अभी भी असंतोष बना हुआ है और प्रदर्शनकारी सरकार से और रियायतों की मांग कर रहे हैं.
ऐसे शुरु हुआ प्रदर्शन
समाचार एजेंसी एएफ़पी के अनुसार, एक प्रदर्शनकारी वांग ने कहा कि इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि शांतिपूर्ण रैलियों, चुनावों में हम कितनी अपनी आवाज़ उठाएं, सरकार हमारी सुनने वाली नहीं.
हॉन्ग कॉन्ग प्रदर्शन, गंभीर अपराधों के लिए चीन में सुनवाई करने के लिए प्रत्यर्पित किए जाने से संबंधित एक विधेयक के ख़िलाफ़ जून में शुरू हुए थे.
आलोचकों को डर था कि इस क़ानून से न्यायिक स्वतंत्रता ख़त्म हो जाएगी और असहमत होने वालों के लिए ख़तरा पैदा हो जाएगा.
हालांकि ये विधेयक सितम्बर में सरकार ने वापस ले लिया था लेकिन प्रदर्शन फिर जारी रहे.
साल 1997 तक हॉन्ग कॉन्ग ब्रिटेन का उपनिवेश था लेकिन इसे चीन को हस्तानांतिरत कर दिया गया. एक देश और दो व्यवस्थाओं वाले समझौते के तहत इसे कुछ हद तक स्वायत्तता मिली और यहां के नागरिकों को कुछ अधिक अधिकार मिले हुए हैं.