खौफ के साए में अफगानिस्तान, लेकिन बच्चों के पार्क में झूला झूल रहे तालिबान के आतंकी , देखें वीडियो
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में तालिबानी लड़ाके हाथों में हथियार लिए इलेक्ट्रिक बंपर कारों की सवारी करते देखे जा रहे हैं।
काबुल, अगस्त 17: रविवार शाम तालिबान ने अफगानिस्तान की राजधानी पर कब्जा कर लिया और फिर इस्लामिक अमीरात बनाने की घोषणा कर दी। सोमवार को पूरी दुनिया ने देखा कि कैसे अफगानिस्तान से बाहर निकलने के लिए व्याकुल लोग हवाई जहाज की पहियों पर पकड़ रहे हैं, प्लेन से सैकड़ों फीट की ऊंचाई से गिरकर मर रहे हैं, लेकिन इन सबसे के बीच तालिबानी आतंकी भारत द्वारा बनाए संसद में चाय नाश्ता करते दिखाई दे रहे हैं, तो बच्चों के पार्क में कभी झूला झुल रहे हैं तो कभी खिलाने वाली गाड़ी चलाते हुए दिखाई दे रहे हैं।
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पार्क में खिलौना गाड़ी चलाते तालिबानी
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में तालिबानी लड़ाके हाथों में हथियार लिए इलेक्ट्रिक बंपर कारों की सवारी करते देखे जा रहे हैं। राजधानी काबुल से कई वीडियो सामने आए हैं और एक अलग वीडियो में तालिबान के लड़ाके पार्क में घोड़ों की सवारी करते हुए भी नजर आ रहे हैं। यानि, एक तरह अफगानिस्तान खौफ के साये में जीने को मजबूर है, लोगों की चैन छिन गई है तो दूसरी तरफ तालिबान के लोग राजधानी में मौज कर रहे हैं, मस्ती कर रहे हैं और पूरी दुनिया के लोग, दुनिया के सभी शक्तिशाली देश...असहाय होकर...सिर झुकाकर बेबस अफगानिस्तानियों को देख रही है। अफगानिस्तान के लोगों की मदद करने वाला कोई नहीं है। अमेरिका पल्ला झाड़ चुका है। चीन, पाकिस्तान और रूस ने तालिबान को समर्थन दे दिया है। ईरान और तुर्की मान्यता दे ही देंगे और इन सबके बीच आम अफगानियों का मुकद्दर क्या होगा, इससे किसी को फर्क नहीं पड़ता है।
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भारत के बनाए संसद में फोटो शूट
सोशल मीडिया पर एक वीडियो जबर्दस्त ढंग से वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि तालिबान के आतंकी अफगानिस्तान के संसद में घुस गए हैं। उनके हाथों में अत्याधुनिक हथियार हैं और वह स्पीकर के चेयर से लेकर बाकी सीटों पर बंदूकें लेकर बैठे हुए हैं। एक दिन पहले ही इन आतंकवादियों ने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति के महल पर कब्जा किया था और अब संसद भी उनके कब्जे में आ चुकी है। वीडियो में दिख रहा है कि तालिबान के कुछ आतंकी उन सीटों पर हथियारों के साथ बैठे हुए हैं, जहां महज दो हफ्ते पहले ही अफगानिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अशरफ गनी ने संसद का साझा सत्र बुलाया था।
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रूस ने किया समर्थन
वहीं, अफगानिस्तान में रूस के राजदूत दिमित्री जिरनोव ने तालिबान का समर्थन कर दिया है। उन्होंने कहा है कि तालिबान को रूस में अभी भी आधिकारिक तौर पर आतंकी संगठन माना गया है, उसने पिछले 24 घंटों में अशरफ गनी सरकार की तुलना में काबुल को बेहतर सुरक्षा मुहैया कराई है। रूस के राजदूत के इस बयान को तालिबान के साथ रिश्तों को मजबूत करने की दिशा में एक बड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है। रूस चाहता है कि अफगानिस्तान में फैली अस्थिरता सेंट्रल एशिया में नहीं फैले लिहाजा वह तालिबान के साथ अपने रिश्ते बेहतर करना चाहता है।
जल्द मान्यता देगा चीन
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत समेत तमाम पश्चमी देश, यूरोपियन संघ भी तालिबान को मान्यता देने के खिलाफ है। भारत ने साफ कर दिया है कि काबुल में बंदूक के दम पर बनाई गई सत्ता को वो मान्यता नहीं देगा। कतर में हुई एक बैठक में भारत के साथ साथ पाकिस्तान, चीन, रूस ने भी वादा किया था कि वो तालिबान को मान्यता नहीं देंगे। लेकिन इन तीनों देश ने यू-टर्न ले लिया है। वहीं, ब्रिटिश प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन ने चेतावनी दी है, कि अफगानिस्तान को फिर से 'आतंक के लिए प्रजनन स्थल' बनने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। लेकिन बीजिंग और इस्लामाबाद संभावित नई सरकार के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने के लिए तालिबान को मान्यता देने के लिए तैयार हो गये हैं।
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