
ईरान में तालिबान ने भारत को दी बड़ी खुशखबरी, क्या मोदी सरकार से इस डील पर बनेगी बात?

Taliban India Chabahar port: भारत से रिश्ते बनाने के लिए तालिबान लगातार हाथ-पांव मार रहा है और पिछले हफ्ते अफगानिस्तान में अपने रूके हुए प्रोजेक्ट्स फिर से शुरू करने का ऑफर देने के बाद अब तालिबान ने ईरान में भारत को बहुत बड़ी खुशखबरी दी है। अफगानिस्तान में तालिबान शासन ने ईरान में भारत निर्मित चाबहार बंदरगाह के उपयोग का समर्थन किया है और कहा है कि वह सभी आवश्यक "सुविधाएं" प्रदान करने के लिए तैयार है। तालिबान का ये डील इसलीए काफी अहम है, क्योंकि इससे भारत को ईरान-अफगानिस्तान होते हुए सेंन्ट्रल एशिया में जाने का रास्ता मिल जाएगा।

तालिबान के ऑफर का मतलब समझिए
तालिबान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करते हुए कहा नॉर्थ-साउथ इंटरनेशनल कॉरिडोर में चाबहार बंदरगाह को शामिल करने के प्रस्ताव का "स्वागत" किया है, जो मुंबई को मास्को से जोड़ता है और ईरान और अजरबैजान से होकर गुजरता है। ये रास्ता भारत को सीधे रूस की राजधानी से जोड़ता है और भारत के लिए सेन्ट्रल एशिया के बाजारों को खोलता है। इसके साथ ही इस रास्ता पर सहमति बनने के बाद भारत को पाकिस्तान की कोई जरूरत नहीं होगी। अब तक अफगानिस्तान में सामान भेजने के लिए भारत को पाकिस्तान का मनुहार करना पड़ता था, लेकिन अब भारत सीधा ईरान के रास्ते अफगानिस्तान तक मदद पहुंचा सकता है और मध्य एशिया से जुड़ सकता है। तालिबान के बयान में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि, तालिबान शासन "इस संबंध में सभी आवश्यक सुरक्षा और सुविधाएं प्रदान करने के लिए तैयार है।"

भारत ने बनाया है चाबहार पोर्ट
भारत ईरान के चाबहार में शाहिद बेहस्ती बंदरगाह के पहले चरण का विकास कर रहा है और इस परियोजना में 85 मिलियन डॉलर का निवेश भारत ने किया है। भारत के लिए चाबहार पोर्ट काफी महत्वपूर्ण परियोजना रही है, लेकिन अफगानिस्तान में तालिबान शासन आने के बाद इस परियोजना को झटका लगा था, क्योंकि इस पोर्ट का मकसद ही मध्य एशिया से जुड़ना था। चाबहार पोर्ट पूरे क्षेत्र में, विशेष रूप से समुद्री मार्ग से कटे मध्य एशिया के लिए बड़ी कनेक्टिविटी प्रदान करता है। भारत ने पिछले दिनों चाबहार पोर्ट के लिए 140 टन और चार 100 टन क्षमता वाले छह मोबाइल हाबोर क्रेन और 25 मिलियन डॉलर मूल्य के अन्य उपकरणों की भी आपूर्ति की है।

अफगानिस्तान को भी मानवीय मदद
भारत ने अफगानिस्तान में मानवीय मदद भेजने के लिए भी पूर्व में इस बंदरगाह का उपयोग किया है। साल 2020 में भारत ने अफगानिस्तान को मानवीय खाद्य सहायता के रूप में 75,000 मीट्रिक टन गेहूं भेजने के लिए चाबहार बंदरगाह का उपयोग किया था। दिसंबर 2018 से, जब भारतीय कंपनी इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (आईपीजीएल) ने चाबहार पोर्ट्स के ऑपरेशंस को संभाला, उसके बाद से इस बंदरगाह ने 215 जहाजों और 4 मिलियन टन बल्क और सामान्य कार्गो को संभाला है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, चाबहार पोर्ट पर तालिबान ने सकारात्मक संदेश भारत को सिर्फ इसलिए भेजा है, क्योंकि तालिबान चाहता है कि, अफगानिस्तान में रूके हुए विकासकार्यों को भारत फिर से शुरू करे।

भारत के साथ की थी बैठक
तालिबान नेता अफगानिस्तान के शहरी विकास और आवास मंत्री (एमयूडीएच) हमदुल्ला नोमानी ने भारत की तकनीकी टीम के प्रमुख भरत कुमार के साथ काबुल में बैठक की है और इस बैठक के दौरान तालिबान के मंत्री ने काबुल शहर में नये निर्माण कार्य के लिए भारत से निवेश करने की अपील की है। इस दौरान तालिबान ने भारतीय दल को सुरक्षा मुहैया कराने की गारंटी भी ली है। तालिबान का ये बयान भारत-मध्य एशिया के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की इस सप्ताह दिल्ली में हुई बैठक के बाद आया, जिसकी अध्यक्षता अजीत डोवाल ने की थी, जिसमें अफगानिस्तान और कनेक्टिविटी की स्थिति पर मुख्य ध्यान दिया गया था। तालिबान ने अपने बयान में भारत में हुई इस बैठक का स्वागत किया और बैठक के बाद जारी संयुक्त विज्ञप्ति की सराहना की है। इस बैठक के बाद जारी बयान में अफगानिस्तान में सुरक्षा व्यवस्था की बात कही गई है, वहीं अफगानिस्तान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने के सिद्धांत को व्यक्त किया गया है। वहीं, तालिबान ने आश्वासन दिया है, कि वह इस बात के लिए "प्रतिबद्ध है, कि किसी को भी अफगानिस्तान की धरती से क्षेत्र और दुनिया के लिए खतरा पैदा करने या दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं देगा"।

पाकिस्तान को बड़ा झटका
ईरान के दक्षिण पूर्वी भाग में सिस्ताम-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित चाबहार पोर्ट रणनीतिक तौर पर भारत के लिए बेहद अहम है और इसके जरिए भारत, ईरान, अफगानिस्तान सहित पूरे मध्य एशिया, रूस और यूरोप से भी व्यापार करने के लिए रास्ता मिल गया है। अरब सागर में स्थित इस बंदरगाह के जरिए भारत-ईरान-अफगानिस्तान के बीच नये रणनीतिक ट्रांजिट मार्ग की शुरूआत हो गई है और इस रास्ता का निर्माण होने के बाद अब तीनों देशों का व्यापार काफी मजबूत हो जाएगा। इस पोर्ट के निर्माण के साथ ही भारत के लिए अफगानिस्तान कर पहुंचना भी बेहद आसान हो गया है।
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