हांगकांग नहीं है ताइवान, एक देश दो सिस्टम यहां नहीं चल सकता, शी जिनपिंग के दावे पर आया जवाब
ताइवान ने कहा है कि वह अपने संप्रभुता, लोकतंत्र और स्वतंत्रता के मूल्यों से कभी समझौता नहीं करेगा। इससे पहले चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा था कि बीजिंग, ताइवान को अपने देश में जोड़ने के लिए बलपूर्वक प्रयोग करता रहेगा
ताइवान (Taiwan) ने चीन (China) के उस बयान पर पलटवार करते हुए जवाब दिया है, जिसमें चीन ने कहा था कि वह ताइवान को चीन में मिलाने के लिए शांतिपूर्ण समाधान का प्रयास करता रहेगा लेकिन अगर देश को जरूरत पड़ी तो वह बलप्रयोग करने से भी पीछे नहीं हटेगा। ताइवान ने कहा है कि वह अपनी संप्रभुता (sovereignty) से पीछे नहीं हटेगा और लोकतंत्र (democracy) और स्वतंत्रता (freedom) के मूल्यों से कभी समझौता नहीं करेगा। ताइवान के राष्ट्रपति कार्यालय के प्रवक्ता चांग तुन-हान ने कहा कि हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा टीम सभी स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रही है और आगे भी ऐसे ही इन सभी घटनाक्रमों पर घ्यान रखा जाएगा।
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ताइवान में नहीं चलेगा हांगकांग मॉडल
ताइवान की मेनलैंड अफेयर्स काउंसिल ने कहा कि ताइवान को लेकर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की नीति गलत है और कोई नई सोच नहीं पेश करती है। मेनलैंड काउंसिल ने कहा कि ताइवान एक संप्रभु देश है। इतिहास में ऐसा कहीं उल्लेख नहीं मिलता है कि जहां ताइवान को चीन का हिस्सा बताया गया हो। काउंसिल ने कहा कि ताइवान में हॉन्ग कॉन्ग की तरह एक देश और दो सिस्टम मॉडल कभी भी लागू नहीं हो सकेगा। काउंसिल ने यह भी कहा कि ताइवान का भविष्य तय करने का अधिकार ताइवान के 23 मिलियन नागरिकों के हाथों में है।
जिनपिंग ने उद्घाटन सत्र में खूब बटोरीं तालियां
इससे पहले चीनी कम्युनिस्ट पार्टी कांग्रेस के उद्घाटन सत्र में राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने भाषण में कहा कि राष्ट्रीय एकीकरण का ऐतिहासिक पहिया आगे बढ़ रहा है। चीन के संपूर्ण एकीकरण का लक्ष्य जरूर हासिल किया जाएगा। उनके इस भाषण पर जमकर तालियां बजीं। जिनपिंग ने कहा कि चीन ने हमेशा ताइवान के लोगों का सम्मान किया है और उनके हितों का ध्यान रखा है। वे ताइवान में आर्थिक और सांस्कृतिक एक्सचेंज को बढ़ावा देने के पक्षधर हैं।
बलप्रयोग से पीछ नहीं हटेगा चीन
शी जिनपिंग ने यह भी कहा कि ताइवान के मसले को हल करना चीन की जनता का काम है। उन्होंने कहा कि हम हमेशा शांतिपूर्ण ढंग से मामले के निस्तारण के हिमायती हैं। लेकिन अगर कहीं भी ताकत के इस्तेमाल की बात आती है हम इससे पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा कि बाहरी ताकतों का हस्तक्षेप और ताइवान की आजादी के मुट्ठी भर समर्थक हमारे निशाने पर हैं।
एक देश दो सिस्टम को ताइवान ने नकारा
बता दें कि चीन ने ताइवान को एक देश और दो सिस्टम मॉडल की पेशकश की है। यह चीन का वहीं फॉर्मूला है जो वह हांगकांग में यूज करता आया है। हालांकि ताइवान ने इस फॉर्मूले को ठुकरा दिया है। जनमत सर्वेक्षणों के अनुसार, ताइवान में मुख्यधारा के हर राजनीतिक दलों ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है और इसे लगभग कोई सार्वजनिक समर्थन नहीं मिला है। ताइवान का कहना है कि केवल उसके लोग ही अपना भविष्य तय कर सकते हैं और बीजिंग के दावे शून्य हैं क्योंकि पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना ने कभी भी द्वीप के किसी भी हिस्से पर शासन नहीं किया है।