ताइवान ने पासपोर्ट से चीन का नाम हटाकर शी जिनपिंग को क्या संदेश दिया है, जानिए
नई दिल्ली- हिमालय में लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक चीन जिस तरह से भारत के साथ उकसावे वाली कार्रवाई में लगा हुआ है, उससे कहीं ज्यादा दक्षिण-पूर्वी एशिया के देश ताइवान को धमकाने की कोशिशों में भी जुटा है। वह कभी अपने फाइटर जेट भेजकर ताइवान के एयर स्पेस का उल्लंघन करता है तो कभी किसी दूसरे देश के साथ संपर्क करने पर उसे आंखें दिखाता है। चीन और उसके राष्ट्रपति शी जिनपिंग इसके जरिए बार-बार ये धौंस दिखानने की कोशिश करते हैं कि ताइवान असल में चीन का ही हिस्सा है और उसका खुद का अलग कोई वजूद नहीं है। लेकिन, ऐसी स्थिति में भी ताइवान ने अपने पासपोर्ट के कवर से चीन का नाम ही हटा दिया है। सवाल है कि जब चीन और ताइवान के बीच तनाव का माहौल है और उसको लेकर चीन अमेरिका तक को धमका रहा है तो फिर ताइवान ने ऐसा करके मुख्य भूमि चीन और जिनपिंग को क्या संदेश देने की कोशिश की है।
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ताइवान ने पासपोर्ट से 'रिपब्लिक ऑफ चाइना' हटाया
बीते बुधवार को ताइवान ने अपने पासपोर्ट की डिजाइन बदलने की घोषणा की। ऐलान में कहा गया कि वह अब पासपोर्ट पर चीन की जगह ताइवान का नाम प्रमुखता से दिखाना चाहता है। इससे पहले ताइवान की विधायिका ने पासपोर्ट के कवर पेज पर अंग्रेजी में लिखे गए 'रिपब्लिक ऑफ चाइना' हटाने और ताइवान का नाम बड़े फॉन्ट में लिखने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी। हालांकि, ताइवान के पासपोर्ट पर अभी भी चाइनीज भाषा में 'रिपब्लिक ऑफ चाइना' लिखा हुआ है, लेकिन दुनिया में कहीं भी यह पासपोर्ट रखने वाले को लोग ताइवानी नागरिक ही समझेंगे। सवाल उठना स्वाभाविक है कि जब कोविड-19 की वजह से अंतरराष्ट्रीय यात्राएं वैसे ही रुकी हुई हैं, तब ताइवान ने ऐसा करके क्या बताने की कोशिश की है?
कोरोना के चलते 'रिपब्लिक ऑफ चाइना' हटाया ?
एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया एजेंसी ने यह बताने की कोशिश की है कि जब कोविड-19 संक्रमण फैलता जा रहा था और अंतरराष्ट्रीय उड़ानें चल ही रही थीं, तब पासपोर्ट पर मोटे अक्षरों में लिखे गए 'रिपब्लिक ऑफ चाइना' की वजह ताइवान के लोगों को दिक्कतों की सामना करना पड़ा। क्योंकि, ताइवान तो बहुत ही छोटे फॉन्ट में नीचे लिखा होता था, जबकि 'रिपब्लिक ऑफ चाइना' मोटा-मोटा नजर आता था। एजेंसी ने ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू को कहते हुए बताया है कि, 'इस साल वुहान निमोनिया की शुरुआत से ही हमारे लोगों को उम्मीद थी कि हम लोग ताइवान को ज्यादा प्रमुखता देंगे, जिससे कि गलती से कोई वहां के लोगों को चीन का ना समझ ले। ' यहां यह बताना जरूरी है कि अपने बाकी पड़ोंसी मुल्कों की तुलना में ताइवान कोरोना को कंट्रोल करने में पूरी तरह कामयाब रहा है। बावजूद इसके चाइनीज नागरिक समझ लिए जाने से उन्हें बहुत ज्यादा पाबंदियों का सामना करना पड़ा था।
ताइवान को मिला अपनी 'संप्रभुता' दिखाने का मौका
हो सकता है कि कोरोना वायरस की वजह से दूसरे देशों में लगाई गई यात्रा पाबंदियां ताइवानी पासपोर्ट पर से चीन का नाम हटाने की एक वजह रही हो। लेकिन जानकारों की मानें तो यह एक तात्कालिक कारण जरूर हो सकता है, लेकिन दरअसल इसके पीछे का असल मकसद कुछ और है। मतलब, इसी बहाने ताइवान को 'रिपब्लिक ऑफ चाइना' से बाहर निकलकर अपनी अलग संप्रभुता दिखाने का मौका मिल गया है। ऐसे समय में जब चीन लगातार ताकत के दम पर यह साबित करने की कोशिशों में लगा हुआ है कि ताइवान असल में उसी का भाग है, पासपोर्ट पर से उसका वजूद मिटाकर उसने शी जिनपिंग को तगड़ा तमाचा लगाया है।
ताइवान ने चीन का फाइटर जेट गिराया!
सच्चाई ये है कि चीन की धमकियों को नजरअंदाज करते हुए ताइवान लगातार अपनी संप्रभुता कायम करना चाहता है। अमेरिका और भारत समेत दुनिया के कई देश उसके साथ स्वतंत्र द्विपक्षी संबंध जोड़ चुके हैं। हाल में चीन की नाराजगी को नकारते हुए चेक रिपब्लिक का एक विशाल प्रतिनिधिमंडल भी वहां पहुंचा है। लेकिन, चीन अपनी मक्कारी से बाज नहीं आ रहा है। जिनपिंग की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी एयरपोर्स ने कई बार ताइवान के एयरस्पेस के उल्लंघन की भी कोशिश की है। शुक्रवार को भी खबर आई की ताइवान ने अपने एयर स्पेस में घुस आए एक चाइनीज फाइटर जेट सुखोई-35 को मार गिराया है। तस्वीरें सोशल मीडिया में वायरल हुई हैं। यहां तक कहा जा रहा है कि चीन को सबक सिखाने के लिए उसने अमेरिकी पेट्रियाट मिसाइल डिफेंस सिस्टम का इस्तेमाल किया है। हालांकि, दोनों ओर से किसी की ओर से इसकी पुष्टि नहीं हुई है। वैसे कहा जा सकता है कि पासपोर्ट से चीन का नाम हटाना, ताइवान को मिली स्वायत्तता से 'आजादी' की शुरुआत हो सकती है।