जानिए कौन है 16 साल की ग्रेटा, जिसने क्लाइमेट चेंज पर सुनाई ट्रंप को खरी-खरी
नई दिल्ली। अगले सप्ताह दुनियाभर के देशों के राष्ट्रध्याक्ष संयुक्त राष्ट्र जलवायु एक्शन शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए न्यूयॉर्क में इकट्ठा हो रहे हैं। इसी बीच ऑस्ट्रेलिया से लेकर आयरलैंड तक लाखों बच्चों ने शुक्रवार को स्कूल ना जाने का निर्णय लिया है। इस दिन वे स्कूल ना जाकर पर्यावरण के लिए काम करने वाले हैं। दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए आंदोलन का नेतृत्व एक 16 साल की स्वीडन की रहने वाली लड़की कर रही है। नाम है ग्रेटा टुनबर्ग।
ग्रेटा के इस विश्व व्यापी आंदोलन का नाम Fridays for Future है
जलवायु परिवर्तन को लेकर 150 देशों में विरोध प्रदर्शन की योजना है। इसका उद्देश्य दुनिया भर के छात्रों और अन्य लोगों को ग्रह पर जलवायु परिवर्तन के आसन्न प्रभावों के बारे में एक स्वर में बताना है। ग्रेटा के इस विश्व व्यापी आंदोलन का नाम फ्राइडेज फॉर फ्यूचर (Fridays for Future) है। ग्रेटा पिछले साल दिसबंर में पोलैंड में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र की बैठक में बोल चुकी है, जनवरी में दावोस में वर्ल्ड इकनोमिक फोरम में बोल चुकी है। लंदन में ब्रिटिश संसद में, इटली की संसद में और फ्रांस में यूरोपियन संसद में बोल चुकी है। 17 सिंतंबर को अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी में थी। वहां पर सिनेट की जलवायु परिवर्तन पर बनी कमेटी से मुलाकात की।
कांग्रेस में खड़ी होकर ग्रेटा ने अमरीका को लताड़ा
एक रिपोर्टर ने उनसे ट्रंप से मिलने के बारे में पूछा। इस पर उन्होंने कहा, 'जब वह बिल्कुल मेरी बातों को सुनने नहीं जा रहे हैं तो ऐसे में मैं उनसे बात करके अपना समय क्यों बर्बाद करूं?' राष्ट्रपति ट्रंप को निशाने पर लेते हुए कहा कि कैसे अमेरिका पेरिस समझौते से बाहर आ गया। कार्बन और ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन घटाने का लक्ष्य तय करने के लिए पेरिस समझौता हुआ था। कांग्रेस में खड़ी होकर ग्रेटा ने अमरीका को ही सुना दिया कि दुनिया के इतिहास में अमेरिका सबसे बड़ा कार्बन गैस पैदा करने वाला देश है।
ग्रेटा ने विमान से यात्राएं भी बंद कर दीं
ग्रेटा का जन्म 2003 में स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में हुआ। उनका मैलेना अर्नमन है। वह स्वीडन की एक ओपेरा सिंगर हैं। उनके पिता स्वांते टनबर्ग पत्रकार हैं। करीब दो सालों तक उन्होंने अपने घर के माहौल को बदलने पर काम किया। उनके माता-पिता ने मांस का सेवन छोड़ दिया और जानवर के अंगों के इस्तेमाल से बनी चीजों से भी परहेज करना शुरू कर दिया। उन्होंने विमान से यात्राएं भी बंद कर दीं क्योंकि इन चीजों से कार्बन का उत्सर्जन काफी होता है। अगस्त 2019 में टुनबर्ग यूके से यूएस एक ऐसे जहाज में गईं जिनमें सोलर पैनल और अंडरवॉटर टर्बाइन लगे हुए थे। उनके जहाज से कार्बन का जीरो उत्सर्जन हो रहा था। उनकी यात्रा 15 दिनों तक चली। वहां उन्होंने न्यू यॉर्क में एक जलवायु सम्मेलन में हिस्सा लिया।
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