ईशनिंदा का आरोप झेल रही आसिया बीबी रिहा, पाकिस्तान में हिंसा शुरू
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक बड़ा फैसला सुनाते हुए ईशनिंदा के मामले में आसिया बीबी की मौत की सजा को खत्म कर दिया। एक मुस्लिम महिला से झगड़े के दौरान आसिया बीबी ने पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी की थी, जिसके बाद कट्टरपंथी ताकतों ने ईशनिंदा कानून के तहत आसिया बीबी को मौत की सजा सुनाई थी। यह मामला 2009 का है। लोकल कोर्ट ने ईशनिंदा कानून के तहत आसिया को मौत की सजा की सजा सुनाई थी, जिसके बाद लाहौर कोर्ट ने भी इस फैसले को बरकरार रखा था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को आसिया बीबी को बरी करने का आदेश दिया है।
क्या कहा कोर्ट ने?
लाहौर हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आसिया बीबी को जेल से तुरंत बरी करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने आदेश दिया कि अगर आसिया के खिलाफ अन्य कोई मामला दर्ज नहीं है तो उसे तुरंत जेल से रिहा किया जाए। ईशनिंदा मामले में ईसाई महिला पिछले कई सालों से जेल में कैद थी और अपनी मौत की सजा के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटा रही थी। 51 वर्षीय आसिया बीबी को 2010 में मौत की सजा सुनाई गई थी।
पाकिस्तान में बवाल शुूरू
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ इस्लामिक कट्टरपंथियों ने बवाल शुरू कर दिया है। आसिया बीबी के रिहाई के आदेश के खिलाफ कराची, लाहौर और इस्लामाबाद लोगों ने तोड़फोड़ शुरू कर दी है। कराची में लोगों ने कई गाड़ियों को आगे के हवाले भी कर दिया है। इस्लामाबाद में सड़कों को जाम कर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ लोगों में जबरदस्त गुस्सा देखने को मिल रहा है। अदालत के फैसले के बाद पाकिस्तान के कई शहरों में विरोध प्रदर्शन भी शुरू हो गए हैं और पूरे पंजाब प्रांत में धारा-144 लागू कर दी गई है। इस फैसले के बाद पाकिस्तान के शहरों में हिंसा की संभावना को देखते हुए भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।
क्या था मामला?
आसिया बीबी के ऊपर एक मुस्लिम महिला के पानी को लेकर लड़ाई के दौरान पैगंबर मोहम्मद के बारे आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप है। हालांकि, आसिया बीबी लगातार इन आरोपों का पुरजोर खंडन करती रही हैं। आसिया बीबी को ईशनिंदा कानून का उल्लंघन करने के आरोप में 2010 में मौत की सजा सुनाई थी। आसिया बीबी तीन बच्चों की मां हैं।