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धरती पर लौटा 48,500 साल पुराना जॉम्बी वायरस, वैज्ञानिकों ने बर्फ के नीचे से निकालकर किया जिंदा, कितना खतरनाक?

तापमान में लगातार हो रहे इजाफे की वजह से धरती पर मौजूद बर्फ पिघल रहा है, जिसकी वजह से बर्फ के नीचे रहने वाले वायरस पानी में बहकर इंसानों के बीच पहुंच सकते हैं।

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Zombie Virus Found

Zombie Virus Found: धरती के अंदर और बर्फ की नीचे हजारों साल से खतरनाक वायरस आराम कर रहे हैं और उन्हें बाहर निकालना इंसानी समाज के लिए विनाशक हो सकता है। लेकिन, हमारे वैज्ञानिक लगातार खोज के दौरान इन वायरसों के ऊपर लगातार रिसर्च कर रहे हैं और इसी कड़ी में साढ़े 48 हजार साल से सो रहे वायरस का पुनर्जन्म हो गया है। एक रिपोर्ट में कहा गया है, कि अत्यधिक गर्मी की वजह से बर्फ पिघल रहे हैं, लिहाजा बर्फ के नीचे हजारों सालों से सो रहे खतरनाक वायरस जाग सकते हैं और कहर बरपा सकते हैं।

हजारों साल से सो रहे वायरस जाग जाएंगे?

हजारों साल से सो रहे वायरस जाग जाएंगे?

सूरज का तापमान धरती पर लगातार बढ़ता जा रहा है, जिसकी वजह से आर्कटिक क्षेत्र में मौजूद बर्फ काफी तेजी से पिघल रहा है। मिट्टी की परत के नीचे जो बर्फ और मिट्टी दबा रहता है, वैज्ञानिक भाषा में उस क्षेत्र को पर्माफ्रास्ट कहा जाता है और तापमान में इजाफा होने से पर्माफ्रास्ट का एरिया पिघलने लगा है, जिसकी वजह से उस क्षेत्र में रहने वाले और हजारों सालों से सुसुप्तावस्था में पड़े वायरसों के एक्टिवेट होने का खतरा तेजी से मंडराने लगा है। पिछले तीन सालों में हम देख चुके हैं, कि जब कोई वायरस कहर बरपाता है, तो फिर क्या होता है, लिहाजा अब डर इस बात की फैल गई है, कि अगर धरती के नीचे से कोई नया वायरस बाहर आता है, तो फिर इंसानी दुनिया को कितना नुकसान होगा। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है, कि पर्माफ्रास्ट के फिघलने से जल्द ही किसी नये वायरस का अटैक हमारी दुनिया पर हो सकता है, जिससे इंसानों के साथ साथ धरती पर मौजूद दूसरे जानवरों को भी नुकसान होगा।

48 हजार 500 साल पुराना वायरस मिला

48 हजार 500 साल पुराना वायरस मिला

सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने 48 हजार 500 साल पुराने वायरस की खोज की है। NASA जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के जलवायु वैज्ञानिक किम्बरली माइनर ने कहा, कि "पर्माफ्रास्ट के साथ बहुत कुछ घटनाए हो रही हैं, जो चिंता का विषय है। ये काफी महत्वपूर्ण है और इंसानों के लिए ये अत्यंत जरूरी है, कि पर्माफ्रास्ट को लगातार जमा हुआ रहने दिया जाए। वैज्ञानिकों का कहना है, पर्माफ्रास्ट किसी कैप्सूल की तरह होता है, जिसमें वायरस और सैकड़ों-हजारों साल पहले मर गये जानवरों के शव सुरक्षित रहते हैं और फिर उनमें वायरस का जन्म होता है। अगर ये पर्माफ्रास्ट पिघल गये, तो वो वायरस किसी ना किसी तरह से इंसानों के बीच आ जाएगा।

कितना बड़ा है पर्माफ्रास्ट?

कितना बड़ा है पर्माफ्रास्ट?

वैज्ञानिकों के मुताबिक, Permafrost में उत्तरी गोलार्ध का पांचवां हिस्सा शामिल है, जो आर्कटिक टुंड्रा और अलास्का, कनाडा और रूस के बोरियल जंगलों को सहस्राब्दियों से जोड़कर रखे हुआ है। यह एक प्रकार के टाइम कैप्सूल के रूप में कामय करता है, जिसमें कई विलुप्त जानवरों के शव भी संरक्षित रखे हुए हैं और वायरस तो हैं ही। नई दुनिया की नई टेक्नोलॉजी की मदद से अब वैज्ञानिक इस क्षेत्र तक पहुंचने में, और उनपर रिसर्च करने में सक्षम हो गये हैं। हाल के दिनों में वैज्ञानिकों ने प्राचीन वायरस के अलावा, कई विलुप्त जानवरों के ममीकृत अवशेष खोजे हैं, जिनमें गुफा में रहने वाले शेर क दो शावक और एक ऊनी राइनो शामिल है। पर्माफ्रॉस्ट, प्रकृति का एक विशाल भंडारन भंडार है, और ऐसा सिर्फ इसलिए नहीं, क्योंकि यह अत्यधिक ठंडा होता है, बल्कि इसलिए, क्योंकि इस क्षेत्र में ऑक्सीजन नहीं होता है और यहां प्रकाश नहीं पहुंचता है। लेकिन, वर्तमान समय में आर्कटिक का तापमान बाकी ग्रह की तुलना में चार गुना तेजी से गर्म हो रहा है, जिससे क्षेत्र में पर्माफ्रॉस्ट की शीर्ष परत कमजोर हो रही है।

पर्माफ्रॉस्ट से बाहर आएंगे विषाणु

पर्माफ्रॉस्ट से बाहर आएंगे विषाणु

फ्रांस के मार्सिले में ऐक्स-मार्सिले यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में मेडिसिन और जीनोमिक्स पढ़ाने वाले प्रोफेसर जीन-मिशेल क्लेवेरी ने साइबेरियाई पर्माफ्रॉस्ट से लिए गए नमूनों का विश्लेषण किया है। इस प्रयोग का मकसद ये देखा जाना था, कि यहां कोई वायरस मौजूद है या नहीं। अगर हैं, तो क्या वो संक्रामक हैं। प्रोफेसर जीन-मिशेल क्लेवेरी कहते हैं, कि जो वायरस बर्फ के नीचे हजारों सालों से छिपे हुए हैं, उन्हें जॉम्बी वायरस कहा जाता है और बर्फ के नीचे ऐसे कुछ वायरस पाए गये हैं। वैज्ञानिक क्लेवेरी एक विशेष प्रकार के वायरस का अध्ययन कर रहे हैं, जिसे पहली बार 2003 में खोजा गया था। इस वायरस को 'जायंट वायरस' के नाम से जाना जाता है। ये आम वायरस की तुलना में बड़े आकार के होते हैं और इन्हें सामान्य माइक्रोस्कोप की मदद से भी देखा जा सकता है।

रूसी वैज्ञानिकों ने भी किया वायरस पर काम

रूसी वैज्ञानिकों ने भी किया वायरस पर काम

पर्माफ्रॉस्ट में जमे हुए वायरस का पता लगाने के फ्रांसीसी वैज्ञानिक की कोशिशों के बाद रूसी वैज्ञानिकों की एक टीम ने भी इस दिशा में काम करना शुरू किया और रूसी वैज्ञानिकों ने से साल 2012 में पहली बार 30 हजार साल पुराने एक वायरस की खोज की, जो एक गिलहरी के अंग में छिपा हुआ था। वैज्ञानिकों ने 30 हजार साल पुराने उस वायरस को साल 2014 में फिर से एक्टिवेट करने में कामयाबी हासिल कर ली और उसके बाद से ही वैज्ञानिकों ने प्राचीन सूक्ष्म जीवों को एक्टिवेट करना शुरू कर दिया है। रूसी वैज्ञानिकों ने जिस 30 हजार साल पुराने वायरस को खोजा था, उसे उन्होंने संवर्धित कोशिकाओं में डालकर उसे संक्रामक बना दिया। हालांकि, सुरक्षा के लिहाज से वैज्ञानिकों ने उस वायरस को एक-कोशिका वाले वायरस में बदलकर रखा, ताकि वो किसी जानवर या मनुष्य को नुकसान नहीं पहुंचा सके। वैज्ञानिकों ने 2015 में भी ऐसा किया था और एक बार फिर से वैज्ञानिकों ने 48 हजार 500 साल पुराने वायरस को जिंदा कर दिया है।

48 हजार 500 साल पुराना वायरस जिंदा

48 हजार 500 साल पुराना वायरस जिंदा

फ्रांसीसी वैज्ञानिक क्लेवेरी और उनकी टीम ने 18 फरवरी को 'जर्नल वायरस' में अपनी शोध रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें उन्होंने कई वायरस को फिर से जिंदा करने का दावा किया है। वैज्ञानिकों की टीम ने कहा है, कि उन्होंने जिस वायरस को एक्टिवेट किया है, वो अमीबा कोशिकाओं में संक्रमण फैलाने में सक्षम हैं। वैज्ञानिकों ने कहा, कि उन्होंने जिन पांच वायरस को एक्टिवेट किया है, उनमें सबसे पुराना वायरस 48 हजार 500 साल पुराना है। वैज्ञानिकों ने कहा, कि उनका ये शोध मिट्टी की रेडियोकार्बन डेटिंग पर आधारित था, और सतह से 16 मीटर (52 फीट) नीचे एक भूमिगत झील से ली गई मिट्टी के नमूने में ये वायरस मिला था। वैज्ञानिकों ने ये भी बताया, कि सबसे कम उम्र का वायरस 27 हजार साल पुराना था, जो एक वुली मैमथ के अवशेष से मिला था। वैज्ञानिक क्लेवेरी ने कहा, कि अमीबा-संक्रमित वायरस इतने लंबे समय के बाद भी काफी संक्रामक हैं और ये भविष्य के लिए चिंता का विषय है। क्लेवेरी ने सीएनएन को बताया, "हम इन अमीबा-संक्रमित वायरस को अन्य सभी संभावित वायरस के लिए सरोगेट के रूप में देखते हैं, जो पर्माफ्रॉस्ट में हो सकते हैं।" वैज्ञानिकों का कहना है, कि इन वायरस से छेड़छाड़, नई आपदा को न्योता देना है।

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English summary
Scientists have activated 48 thousand 500 years old zombie virus from under the ice.
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