भारत की सख्ती रही बेअसर, सऊदी अरब ने लिया भारत के खिलाफ बड़ा फैसला, चंद दिनों में होगा बड़ा असर
रियाद: भारत सरकार और सऊदी अरब के बीच के ताल्लुकात पिछले कुछ समय से अच्छे नहीं चल रहे हैं। खासकर कच्चे तेल को लेकर दोनों देश आमने-सामने है। सऊदी अरब ने अबतक कच्चे तेल का उत्पादन ही कम रहा था, जिससे भारत में तेल की कीमतें आसमान पर पहुंच गईं लेकिन अब सऊदी अरब ने कच्चे तेल की कीमतों में भी इजाफा कर दिया है, जिसके बाद भारत में तेल की कीमतों में काफी ज्यादा उछाल आने की आशंका जताई जा रही है।

भारत के खिलाफ फैसला
सऊदी अरब ने तेल की कीमतों को लेकर भारत को एक और बड़ा झटका दिया है। भारत ने मई महीने में एशिया के लिए भेजे जाने वाले तेल के दामों में इजाफा कर दिया है जबकि सऊदी अरब ने यूरोप के लिए ईंधन के दामों में कोई बदलाव नहीं किया है। सऊदी अरब का ये फैसला एशियाई देशों के खिलाफ है। खासकर भारत पर इसका सबसे ज्यादा असर होगा। सऊदी अरब सरकार की तरफ से कच्चे तेल की कीमतों को बढ़ाने का आधिकारिक ऐलान कर दिया गया है। इसके साथ ही सऊदी अरब ने भारत के सामने साफ कर दिया है कि भारत का दबाव उसपर बेअसर रहेगा और भारत ने सऊदी से तेल खरीदने में जो कटौती की है, उसका उसपर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

बढ़ेंगें तेल के दाम
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक सऊदी अरब ने कच्चे तेल की कीमतों में आधिकारिक बिक्री मूल्य यानि ओएसपी में 20 से 30 प्रतिशत तक की वृद्धि करने का फैसला किया है। जो भारत के सीधे खिलाफ है और भारत पर इसका डायरेक्ट असर पड़ने वाला है। आपको बता दें कि सऊदी अरब की सरकारी तेल कंपनी अरामको अनुबंधों के तहत हर महीने कच्चे तेल की कीमत का निर्धारण करती है। हालांकि दूसरे पश्चिमी एशियाई उत्पादक देशों ने अपनी तेल के दामों में कटौती करने के संकेत दिए हैं।

भारत सरकार Vs सऊदी अरब
सऊदी अरब की सरकारी तेल कंपनी अरामको ने तेल की कीमतों में उस वक्त इजाफा किया है जब भारत की पेट्रोलियम मिनिस्ट्री ने भारत में तेल रिफाइनरी कंपनियों से तेल खरीदने के लिए सऊदी अरब की जगह किसी और देश की तरफ रूख करने को कहा है। और पिछले 3 महीने में भारत की तेल कंपनियों ने सऊदी अरब से 25 प्रतिशत से ज्यादा तेल खरीदना कम कर दिया है। लेकिन, भारत सरकार के इस फैसले का सऊदी पर कोई असर नहीं हुआ है। भारत सरकार पिछले कई महीनों से सऊदी अरब से तेल का प्रोडक्शन बढ़ाने का अनुरोध कर रही थी लेकिन सऊदी अरब ने क्रूड ऑयल का प्रोडक्शन तो नहीं बढ़ाया, उल्टा तेल की कीमतों को बढ़ाकर भारत को बड़ा झटका जरूर दे दिया है।

भारत की अपील
दरअसल, भारत की तरफ से सऊदी अरब से क्रूड ऑयल का प्रोडक्शन बढ़ाने की अपील की गई थी लेकिन सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री अब्दुल अजीज बिन सलमान अल सऊद ने भारत के अनुरोध को सिरे से खारिज करते हुए बयान दिया था कि भारत अपने उस स्ट्रैटजिक तेल रिजर्व का इस्तेमाल करे, जो उसने पिछले साल तेल की गिरती कीमतों के दौरान खरीदकर जमा कर लिया था। सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री के इस बयान पर भारत के पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने आपत्ति जताई थी। भारत ने इसके साथ ही क्रूड ऑयल का आयात वियतनाम और अमेरिका से बढ़ा दिया है वहीं अब भारत को ईरान को लेकर भी उम्मीदें जगने लगी हैं।

ईरान को लेकर उम्मीद
दो साल पहले तक भारत ईरान से अपनी जरूरतों का बड़ा हिस्सा तेल खरीदता था और ईरान से तेल खरीदना भारत को सस्ता भी पड़ता था। लेकिन, ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध के बाद भारत को ईरान से तेल खरीदना बंद करना पड़ा। लेकिन, समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने भारत सरकार के सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट छापी है कि भारत सरकार उम्मीद कर रही है कि आने वाले तीन से 4 महीने में ईरान पर लगे प्रतिबंधों में ढील दे दी जाएगी। जिसके बाद भारत एक बार फिर से ईरान से तेल खरीदना शुरू कर देगा। भारत के दो तेल कारोबारियों ने रॉयटर्स को बताया है कि ईरान से तेल खरीदना भारत के लिए सबसे अच्छा साबित होता है और अगर ऐसा हो गया तो सऊदी अरब की सारी अकड़ ढीली पड़ जाएगी। वहीं, भारत के तेल कारोबारी अमेरिका के अलावा अफ्रीका, कजाकिस्तान को भी विकप्ल के तौर पर देख रहे हैं।
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