125 साल बाद दिखा अत्यंत दुर्लभ प्रजाति का उल्लू, नारंगी रंग की हैं आंखें, कुदरत के करिश्मे को सलाम
गहरे नारंगी रंग की आंखों वाले इस उल्लू को मलेशिया में करीब 125 सालों के बाद देखा गया है और जीव वैज्ञानिकों ने कहा है कि ये उल्लू अत्यंत दुर्लभ प्रजाति से है, लिहाजा इसके संरक्षण की जरूरत है।
कुआलालंपुर, मई 18: ये दुनिया चमत्कारों की दुनिया है और अकसर हमारे सामने ऐसे ऐसे दृश्य, पशु-पक्षी या समुन्द्री जीव आते रहते हैं, जो हमें हैरान कर जाते हैं। इन्हें हम कुतरता का करिश्मा मान लेते हैं। मलेशिया में भी कुदरत ने एक बार फिर से करिश्मा दिखाया है और लुप्त हो चुके उल्लू को फिर से दुनिया के सामने ला दिया है। मलेशिया में 125 सालों के बाद अत्यंत दुर्लभ उल्लू लोगों को दिखा है, जिसे देख हर किसी में कौतूहल मचा हुआ है।
नारंगी रंग की है आंखे
गहरे नारंगी रंग की आंखों वाले इस उल्लू को मलेशिया में करीब 125 सालों के बाद देखा गया है और जीव वैज्ञानिकों ने कहा है कि ये उल्लू अत्यंत दुर्लभ प्रजाति से है, लिहाजा इसके संरक्षण की जरूरत है। अभी तक इस दुर्लभ उल्लू के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। इस दुर्लभ उल्लू को मलेशिया के वर्षा वन माउंट किनाबलू में पाया गया है। जीव वैज्ञानिकों के मुताबिक ये उल्लू राजाह स्कोप प्रजाति की है और इसके शरीर पर एक खास तरह की धारियां बनी हुई हैं, लिहाजा उल्लू के इस प्रजाति को संरक्षण की जरूरत है। जीव वैज्ञानिकों के मुताबिक पर्यावरण के लगातार बदलने की वजह से उल्लू की इस प्रजाति को शायद गहरा नुकसान पहुंचा होगा।
सालों से हो रही थी तलाश
डेली मेल की रिपोर्ट के मुकाबिक इस प्रजाति के उल्लुओं की तलाश काफी सालों से की जा रही थी। 2016 में इस उल्लू की तलाश में एक टेक्निशियन कीगन ट्रांनक्लिलो ने काफी वक्त माउंट किनाबलू के जंगल के अंदर बिताया था, लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली। जीव वैज्ञानिकों के मुताबिक लगातार बदलते मौसम, वनों की कटाई और पॉम ऑयल उत्पादन की वजह से इन उल्लुओं की प्रजाति पर काफी बुरा असर पड़ा है। कीगन ने स्मिथसोनिआन पत्रिका को बताया कि इस जगह पर काफी ज्यादा अंधेरा था जहां ये उल्लू बैठा हुआ पाया गया है। उन्होंने पत्रिका से बात करते हुए कहा कि पहले थोड़ी देर बैठके के बाद ये उल्लू उड़ गया था लेकिन सौभाग्यवश ये कुछ ही देर में वापस आ गया। उन्होंने कहा कि ये स्कोप उल्लू है, लेकिन इसका आकार काफी बड़ा था और इसकी आंखें भी नारंगी रंग की थी। उन्होंने कहा कि 'सामान्यत: उल्लुओं की आंखें पिले रंग की होती हैं लेकिन इस उल्लू की आंखें नारंगी रंग की थी।'
काल्पनिक पक्षी की खोज
कीगन ने इस अत्यंत दुर्लभ उल्लू की जानकारी रिसर्च करने वाले एंडी बोयसे को दी, जो मोंटाना यूनिवर्सिटी में शोध कर रहे हैं। एंडी बोयसे ने कहा कि 'जब मैंने इस दुर्लभ उल्लू के बारे में सुना तो मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा, क्योंकि इसे देखने का मतलब किसी काल्पनिक पक्षी का खोज करने जैसा है। मैंने इस पक्षी को लेकर जानकारी फौरन दस्तावेज में डाला।' रिपोर्ट के मुताबिक राजाह स्कोप प्रजाति के उल्लु को इससे पहले 1892 ईस्वी में देखा गया था, जिसके बारे में रिचर्ड बोवडलर ने लिखा है। उन्होंने पक्षियों के 230 प्रजातियों और उप-प्रजातियों को नाम दिया था। उन्होंने कहा कि ये ज्यादा बड़ा उल्लू नहीं था और इसकी लंबाई करीब 9 इंच रही होगी। एंडी बोयसे के मुताबिक इस अत्यंत दुर्लभ प्रजाति के उल्लुओं को संरक्षण की जरूरत है और इसके लिए वनों की अंधाधुंध कटाई पर फौरन रोक लगनी चाहिए, नहीं तो ये दुर्लभ प्रजाति की पक्षी हमेशा के लिए लुप्त हो जाएगी।
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