चीन की तानाशाही अब नहीं चलेगी! क्वाड देशों ने बनाई नई रणनीति, शांति, सुरक्षा हिंद-प्रशांत के विकास का आधार
न्यूयार्क में आयोजित 77वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक से इतर क्वाड में शामिल विदेश मंत्रियों ने हिंद-प्रशांत के विकास पर चर्चा की।
न्यूयॉर्क, 24 सितंबर : चीन की तानाशाही जग जाहिर है। इसको लेकर भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के क्वाड (QUAD) समूह ने चीन की मनमानी को रोकने के लिए कई मुद्दों पर चर्चा कीं। इस दौरान सभी देश के विदेश मंत्रियों ने माना कि समुद्री क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय कानून, शांति और सुरक्षा हिंद-प्रशांत के विकास का आधार है। ऐसे में यथास्थिति को बदलने की कोशिश करने वाली किसी भी एकतरफा कार्रवाई को करारा जवाब दिया जाएगा।
चीन की मनमानी नहीं चलेगी
न्यूयार्क में आयोजित 77वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक से इतर क्वाड में शामिल विदेश मंत्रियों ने हिंद-प्रशांत के विकास पर चर्चा की। इस बैठक में शामिल देशों के विदेश मंत्रियों में, ऑस्ट्रेलिया के पेनी वोंग, भारत के एस जयशंकर, जापान के हयाशी योशिमासा और अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन मौजूद रहें। अमेरिकी विदेश विभाग ने एक संयुक्त बयान जारी कर बताया कि, सभी विदेशमंत्रियों ने कहा कि क्वाड का दृष्टिकोण एक ऐसे क्षेत्र के लिए है जहां नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था कायम है और जहां स्वतंत्रता के सिद्धांत, कानून का शासन, लोकतांत्रिक मूल्य, विवादों का शांतिपूर्ण समाधान, संप्रभुता, और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाता है। उन्होंने कहा कि हमने संयुक्त राष्ट्र सहित अंतरराष्ट्रीय और बहुपक्षीय प्रणाली को एकतरफा रूप से नष्ट करने के प्रयासों को संबोधित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
एकतरफा कार्रवाई का कड़ा विरोध
न्यूयॉर्क में चार देशों के विदेश मंत्रियों ने कहा कि हम किसी भी एकतरफा कार्रवाई का कड़ा विरोध करते हैं, जो यथास्थिति को बदलने या क्षेत्रों में तनाव बढ़ाने की कोशिश करता है। क्वाड देशों ने स्थायी और अस्थायी दोनों श्रेमियों में 15 सदस्यीय विश्व निकाय के विस्तार के लिए अपने को प्रतिबद्ध किया है। बैठक के दौरान क्वाड के विदेश मंत्रियों ने कहा कि, वे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी और अस्थायी सीटों में विस्तार समेत व्यापक संयुक्त राष्ट्र सुधार एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
वर्तमान चुनौतियों का कैसे सामना करें?
सभी देशों ने ऐसे संयुक्त राष्ट्र के लिए अपने समर्थन की पुष्टि की, जो वर्तमान समय की अहम चुनौतियों का समाधान करता हो। साथ ही हमारे साझा और परस्पर संसाधनों की सुरक्षा करता हो। इसमें सतत विकास के लिए 2030 का एजेंडा पूरा करने का कार्यक्रम और सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करना शामिल है। बैठक में, उन्होंने अपने तीन स्तंभों सहित संयुक्त राष्ट्र चार्टर के लिए क्वाड के अटूट समर्थन और संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली को मजबूत करने और सुधारने के लिए अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता को भी रेखांकित किया। विदेश मंत्रियों ने कहा कि वे 2022 के बाद ऑस्ट्रेलिया द्वारा आयोजित आतंकवाद-रोधी टेबलटॉप अभ्यास के लिए तत्पर हैं।
नई दिल्ली की बैठक में फिर मिलेंगे
बैठक में आसियान (दक्षिणपूर्व एशियाई देशों के संघ) की एकता और केंद्रीयता, आसियान के नेतृत्व वाली क्षेत्रीय वास्तुकला और भारत-प्रशांत पर आसियान के दृष्टिकोण के व्यावहारिक कार्यान्वयन के लिए अपने अटूट समर्थन की भी पुष्टि की गई। साथ ही क्वाड की बैठक में शामिल विदेश मंत्रियों ने 2023 की शुरुआत में नई दिल्ली में अगली क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक के लिए व्यक्तिगत रूप से मिलने का इरादा रखते हैं।
चीन विस्तारवादी सोच रखता है
बता दें कि, चीन लगभग सभी विवादित दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता रहा है। हालांकि ताइवान, फिलीपींस, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम सभी इसके कुछ हिस्सों का दावा करते हैं। बीजिंग ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप और सैन्य प्रतिष्ठान बनाए हैं। पूर्वी चीन सागर में चीन का जापान के साथ क्षेत्रीय विवाद भी है। चीन और भारत भी पूर्वी लद्दाख में लंबे समय से चल रहे सैन्य गतिरोध में शामिल हैं। भारत हमेशा वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति बनाए रखने और द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास पर बल देता रहा है। बता दें कि, द क्वाड्रिलैटरल सिक्योरिटी डायलॉग(QUAD) की शुरूआत साल 2007 में हुई थी। क्वाड में चार देश अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत शामिल हैं।
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