जब यासिर अराफात ने बेनजीर भुट्टो से कहा था, शुक्र मनाइये कि मैंने आपको चूम न लिया
यासिर अराफात उम्रदराज होने के बावजूद बहुत मजाकिया नेता थे। एक बार उन्होंने पाकिस्तान की तत्कालीन प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो से कहा था, "शुक्र मनाइए मोहतरमा कि मैंने आपको चूम नहीं लिया। अरबी रस्म के मुताबिक जो भी मेरा स्वागत करता है मैं उसके दोनों गाल चूम लेता हूं।" ये वाकया तब हुआ था जब अराफात पाकिस्तान की यात्रा पर गये थे और प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो उनका स्वागत करने के लिए हवाई अड्डा पहुंची थीं। बेनजीर भुट्टो अराफात से हाथ नहीं मिलाना चाहती थीं। लेकिन अराफात ने मजाक-मजाक में ऐसी स्थिति पैदा कर दी कि बेनजीर भुट्टो को हाथ मिलाना पड़ा। यासिर राफात फलस्तीन के पहले वे नेता थे जिसकी पूरी दुनिया में प्रतिष्ठा थी। फलस्तीन कोई आजाद मुल्क नहीं था। शासन का संचालन फलस्तीन स्वयत्त परिषद के जरिये होता था और अराफात इसके प्रसेडिडेंट थे। (संयुक्त राष्ट्र ने फलस्तीन को नन मेम्बर ऑब्जर्वर स्टेट का दर्जा दिया है।) लेकिन दुनिया के दूसरे देशों में उन्हें किसी राष्ट्राध्यक्ष की तरह सम्मान दिया जाता था।
सिंगर अदनान सामी के पिता अरशद सामी खान
अदनान सामी तो जरूर याद होंगे। पाकिस्तान के मशहूर गायक और संगीतकार। उनका गाना 'थोड़ी सी तो लिफ्ट करा दे' बहुत मशहूर हुआ था। अदनान सामी अब भारत के नागरिक बन गये हैं। अदनान का ताल्लुक पाकिस्तान के बहुत बड़े घराने से है। उनके पिता अरशद सामी खान पाकिस्तान के चर्चित सैन्य अधिकारी और प्रभावशाली राजनयिक थे। अरशद सामी खान को पाकिस्तान में चमत्कारिक प्रतिभा वाला ब्यूरोक्रेट माना जाता था। सैनिक शासन हो चाहे चुनी हुई सरकार हो, हर शासक उन्हें अपना सलाहकार बनाना चाहता था। अरशद सामी खान जब फौज से रिटायर हो गये तो जुल्फीकार अली भुट्टो ने उन्हें अपने आदेश से सीधे विदेश सेवा का अधिकारी बना दिया। अरशद सामी खान को पाकिस्तान के तीन राष्ट्रपतियों (जनरल अयूब खान, जनरल यहिया खान और जुल्फीकार अली भुट्टो) ने अपना निजी सहायक बनाया था। तीन अन्य राष्ट्रपतियों (गुलाम इसहाक खां, वसीम सज्जाद और फारुख लेघारी) ने उन्हें अपना प्रधान सहायक बनाया। इसके अलावा तीन प्रधानमंत्रियों ( बेनजीर भुट्टो, गुलाम मुस्तफा जटोई और नवाज शरीफ) ने अरशद सामी खान को चीफ ऑफ प्रोटोकॉल बनाया। अरशद सामी खान ने अपने अनुभवों के आधार पर एक किताब लिखी है- थ्री प्रेसिडेंट एंड एन एड। जब उन्होंने ये किताब लिखी तो इसमें कई विस्फोटक जानकारियां थीं। पाकिस्तान का कोई प्रकाशक इस किताब को छापने के लिए तैयार नहीं हुआ। तब अरशद सामी खान ने इस किताब का प्रकाशन भारत (पेंटागन प्रेस) में कराया। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल ने 2008 में इस किताब (थ्री प्रेसिडेंट एंड एन एड) का विमोचन किया था। यह किताब बेस्ट सेलर साबित हुई।
मर्दों से हाथ नहीं मिलाती थीं बेनजीर
अरशाद सामी खान की इस किताब में बेनजीर भुट्टो और यासिर अराफात के वाकये का जिक्र है। बेनजीर भुट्टो ने प्रधानमंत्री बनने के बाद अरशद सामी खान को चीफ ऑफ प्रोटोकॉल बनाया था। अरशद, बेनजीर के पिता जुल्फीकार अली भुट्टो के साथ भी काम कर चुके थे। इसलिए बेनजीर उन पर बहुत भरोसा करती थीं। बेनजीर किसी मुस्लिम देश की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं। वे कट्टरपंथियों के निशाने पर रहती थीं। प्रधानमंत्री बनने के बाद बेनजीर ने तय कर लिया कि वे विदेशी या देश के किसी पुरुष मेहमान से हाथ नहीं मिलाएंगी। ये बात उन्होंने अपने चीफ ऑफ प्रोटोकॉल अरशद सामी खान को अच्छे से समझा दिया। यासिर अराफात जब पाकिस्तान की यात्रा पर पहुंचे तो उनका स्वागत करने के लिए प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो अपने स्टाफ के साथ हवाई अड्डा पर पहुंची। प्रोटोकॉल के तहत अरशद सामी खान को अराफात का स्वागत करने के लिए विमान के अंदर जाना था। जब वे विमान की ओर बढ़ने लगे तो बेनजीर ने उन्हें धीरे से कहा, आप अराफात साहब को जरूर याद दिला दीजिएगा कि मैं पुरुष मेहमानों से हाथ नहीं मिलाती। अरशद विमान के अंदर गये। यासिर अराफात के पाकिस्तान में आने का स्वागत किया। फिर अंत में ये भी बताया कि आपकी आगवानी के लिए नीचे प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो खड़ी हैं। लेकिन ख्याल रहे कि वे पुरुषों से हाथ नहीं मिलाती। अराफात ने थोड़ी बेपरवाही से कहा, हां ! हां ! ये बात मुझे कई बार बतायी गयी है।
शुक्र मनाइये कि मैंने आपको चूम न लिया
अराफात विमान से नीचे उतरे। बेनजीर आगवानी के लिए उनके नजदीक पहुंची। तभी अचानक अराफात ने अपना हाथ बेनजीर की तरफ बढ़ा दिया। हवाई अड्डा पर पाकिस्तान और फलस्तीन के अधिकारियों का हुजूम था। अराफात का बढ़ा हुआ हाथ देख कर बेनजीर सकपका गयीं। उन्होंने अरशद सामी खान की तरफ घूर कर देखा। अब बेनजीर के पास कोई रास्ता नहीं था। अगर वे अराफात के बढ़े हुए हाथ की अमदेखी करती तो विदेशी मेहमान का अपमान होता और अंतर्राष्ट्रीय विवाद खड़ा हो जाता। मन मार कार सकुचाते हुए बनेजीर ने अराफात से हाथ मिला लिया। जब सभी लोग आगे बढ़ने लगे तो बेनजीर ने अरशद सामी खान से उर्दू में पूछा, क्या आपने बताया नहीं था कि मैं पुरुषों से हाथ नहीं मिलाती ? बेनजीर यह समझती थीं कि अराफात को उर्दू नहीं आती। लेकिन ये उनकी भूल थी। तब अरफात ने शरारत से हंसते हुए कहा, शुक्र मनाइय़े मोहतरमा कि मैंने आपको चूम नहीं लिया। अरबी परम्परा के मुताबिक जब कोई मेरा स्वागत करता है तो मैं स्वागतकर्ता के सम्मान में उसके दोनों गालों को बारी बारी से चूम लेता हूं। अराफात ने इस बात को इतने मजाकिया अंदाज में कहा था कि बेनजीर भुट्टो भी हंसने लगीं थीं।
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