मलाला यूसुफजई को स्कूली किताब से हटाना चाहते हैं पाकिस्तानी, ओसामा बिन लादेन होगा कोर्स में शामिल!
पाकिस्तान में स्कूली किताबों से मलाला यूसुफजई के चैप्टर को हटाने की मांग की जा रही है। क्या अब ओसामा बिन लादेन के बारे में बच्चों को दी जाएगी स्कूल शिक्षा?
इस्लामाबाद, जुलाई 11: पाकिस्तान के लोगों की मानसिकता कैसी हो चुकी है या फिर पाकिस्तान की बहुसंख्यक आबादी की मानसिकता कैसी बन रही है, इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि पाकिस्तान में स्कूली किताबों से सामाजिक कार्यकर्ता और लड़कियों की शिक्षा के लिए आवाज उठाने वाली मलाला यूसुफजई को हटाने की मांग कर रहे हैं। पाकिस्तान में तेजी से मांग की जा रही है कि मलाला युसूफजई को स्कूली किताबों से हटा दिया जाए।
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मलाला यूसुफजई का विरोध
दरअसल, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में मलाला यूसुफजई स्कूली किताबों में पढ़ाई जाती हैं। पंजाब प्रांत में स्कूली किताबों में एक चैप्टर है, जिसका नाम है 'पाकिस्तान के महत्वपूर्ण लोग', जिसमें मलाला यूसुफजई के बारे में बच्चों को बढ़ाया जाता है, जिसे लेकर पाकिस्तान में काफी विरोध हो रहा है और लोग इमरान खान को ट्विटर पर टैग कर मलाला को स्कूली किताबों से हटाने की मांग कर रहे हैं। एक सोशल मीडिया यूजर ने पाठ्यपुस्तक की एक तस्वीर ट्विटर पर शेयर की है, जिसमें मलाला यूसुफजई को अल्लामा इकबाल, चौधरी रहमत अली, लियाकत अली खान, मुहम्मद अली जिन्ना, बेगम राणा लियाकत अली और अब्दुल सत्तार एधी के साथ दिखाया गया है, और इसका काफी विरोध किया जा रहा है।
मलाला के खिलाफ गुस्सा
कई सोशल मीडिया यूजर्स ने पाकिस्तान की पंजाब प्रांत की सरकार से मलाला को स्कूली किताब से फौरन हटाने की मांग की है। एक अन्य सोशल मीडिया यूजर ने पुस्तक के प्रकाशित होने की तारीख शेयर करते हुए मलाला को स्कूली किताब से हटाने की मांग की है, वहीं पंजाब की प्रांतीय सरकार ने अभी तक सोशल मीडिया यूजर्स की इस मांग पर अपनी प्रतिक्रिया नहीं दी है।
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स्कूल का नाम बदलने पर विवाद
इसी तरह की एक घटना में सिंध सरकार ने एक सरकारी स्कूल का नाम मलाला के नाम पर रखने की घोषणा की थी और कराची स्थिति एक सरकारी स्कूल का नाम बदलकर मलाला यूसुफजई करने का फैसला किया था। मूल रूप से सेठ कूवरजी खिमजी लोहाना गुजराती स्कूल नाम के स्कूल का नाम बदलकर मलाला यूसुफजई सरकारी गर्ल्स सेकेंडरी स्कूल कर दिया गया। ये स्कूल कराची के मिशन रोड पर स्थित है। लेकिन स्कूल का नाम बदलते ही हंगामा शुरू हो गया और स्थानीय नागरिकों ने नाम वापस बदलने की जमकर विरोध की। लोगों ने कहा कि सरकार को शहर के इतिहास को नष्ट नहीं करना चाहिए। कराची के मानवाधिकार कार्यकर्ता कपिल देव ने एक ट्विट करते हुए कहा कि सिंध सरकार को किसी और सरकारी स्कूल का नाम बदलकर मलाला के नाम पर कर देना चाहिए, लेकिन सेठ कूवरजी खिमजी लोहाना के साथ उनका इतिहास जुड़ा हुआ है, लिहाजा उनके नाम पर स्कूल का नाम नहीं बदला जाए। वहीं एक और सोशल मीडिया यूजर ने कहा कि सेठ कूवरजी खिमजी लोहाना हमारे इतिहास के साथ जुड़े हुए हैं और उनके नाम की रक्षा की जानी चाहिए। पाकिस्तान के हिंदू समुदाय का कहना है कि उन्हें मलाला से कोई दिक्कत नहीं है और मलाला के नाम पर स्कूल का नाम रखा जाए, ये वो भी चाहते हैं, लेकिन मलाला के नाम की आड़ में हिंदूओं के इतिहास को मिटाने की कोशिश नहीं होनी चाहिए।
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मलाला के परिवार की प्रतिक्रिया
वहीं, स्कूल का नाम बदलने को लेकर मलाला के परिवार की तरफ से भी प्रतिक्रिया आई है और मलाला के पिता ने भी लोगों की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि हमें इतिहास को बदलने की, या किसी का नाम मिटाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए और सेठ कूवरजी खिमजी लोहाना के नाम को हटाकर मलाला के नाम पर स्कूल का नाम नहीं रखना चाहिए। वहीं, पाकिस्तान में अब कुछ लोग ये भी पूछ रहे हैं कि आखिर मलाला के बारे में किताब में जो बातें बढ़ाई जा रही हैं, वो अच्छी बाते हैं और भला उसे क्यों हटाने की मांग की जा रही है। पाकिस्तान की वरिष्ठ पत्रकार नाइला इनायत ने ट्विट कर पूछा है कि मलाला को किताब से हटाकर क्या लोग अब ओसामा बिन लादेन की जीवनी पढ़ना चाहते हैं?
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