पाकिस्तान में चार महिला स्वयंसेवकों की गोली मारकर हत्या, कट्टरपंथियों को था समाजसेवा से ऐतराज
पाकिस्तान में आज सुबह करीब 10 बजे चार महिला स्वयंसेवकों की गोली मारकर हत्या कर दी गई। कट्टरपंथियों को महिलाओं का समाजसेवा पसंद नहीं था।
इस्लामाबाद: पाकिस्तान में आज सुबह करीब 10 बजे चार महिला स्वयंसेवकों की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस हमले में महिलाओं की गाड़ी चलाने वाला ड्राइवर बुरी तरह से घायल हो गया है जिसे अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया है। बताया जा रहा है कि हमलावरों ने गाड़ी में चढ़ते वक्त चारों महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं के ऊपर ताबड़तोड़ फायरिंग करनी शुरू कर दी और चारों महिलाओं की मौके पर ही मौत हो गई।
कट्टरपंथियों ने उतारा मौत के घाट
पाकिस्तान के नॉर्थ वजीरिस्तान में चारों महिलाओं को गोली मारकर मौत के घाट उतारा गया है। स्थानीय पुलिस के मुताबिक, जिस इलाके में महिलाओं को गोली मारी गई है वहां पहले पाकिस्तानी तालिबान का हेडक्वार्टर हुआ करता था और इस इलाके में काफी ज्यादा आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया जाता रहा है। सीनियर पुलिस अधिकारी सैफुल्लाह गंडापुर के मुताबिक चारों सामाजिक कार्यकर्ता महिलाएं गाड़ी में सवार हो रहीं थीं उसी वक्त बाइक से आये अज्ञात हमलावरों ने उनके ऊपर फायरिंग शुरू कर दी। जिसमें चारों महिलाओं की मौके पर ही मौत हो गई वहीं उनका ड्राइवर बुरी तरह घायल है जिसका इलाज अस्पताल में किया जा रहा है।
सीनियर पुलिस अधिकारी सैफुल्लाह गंडापुर के मुताबिक, नॉर्थ वजीरिस्तान काफी ज्यादा आतंकवाद प्रभावित क्षेत्र है और एक वक्त यहां पाकिस्तान तालिबान का ऑफिस हुआ करता था। इस इलाके में कहीं भी किसी पर भी हमला हो सकता है और ये बेहद खतरनाक क्षेत्र माना जाता है। जब पुलिस अधिकारी से पूछा गया कि क्या महिलाओं को किसी खास मकसद से निशाना बनाया गया है तो सीनियर पुलिस अधिकारी सैफुल्लाह गंडापुर ने कहा कि 'इस इलाके में किसी महिला को सड़क पर आजादी से घुमना कट्टरपंथियों को कबूल नहीं होता है। यहां महिलाओं का आजादी से घूमना गुनाह माना जाता है और इन महिलाओं का काम ही समाज की सेवा करना था जो 'उन्हें' पसंद नहीं होगा'
आतंकवाद का गढ़ रहा है नॉर्थ वजीरिस्तान
पाकिस्तान का नॉर्थ वजीरिस्तान इलाका एक वक्त आतंकियों का गढ़ रहा है। यहां तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने अपना हेड ऑफिस बना रखा था। तहरीकए-ए-तालिबान जिसे पाकिस्तान तालिबान भी माना जाता है वो आतंकियों के लिए एक कैंप की तरह काम करता था। इसकी स्थापना 2007 में पाकिस्तान की सरकार को जड़ से उखाड़ने के लिए किया गया था। तहरीक-ए-तालिबान का मकसद सरकार को अपदस्त कर सख्त मुस्लिम मजहबी रिवाज के हिसाब से शासन चलाना था। तहरीक-ए-तालिबान के सिद्धांत में मुस्लिम महिलाओं का घर से बाहर निकलना गुनाह है और नॉर्थ वजीरिस्तान में जितने इलाके पर इस संगठन का प्रभाव था वहां महिलाओं से आजादी छीन ली गई थी और तमाम NGO को बंद कर दिया गया था। लेकिन, एक वक्त बाद तहरीक-ए-तालिबान ने लगातार बम धमाके करने शुरू कर दिए और बेगुनाह लोगों को बड़े पैमाने पर अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया जिसके बाद 2014 में पाकिस्तानी सेना ने तहरीक-ए-तालिबान के खिलाफ अभियान की शुरूआत की थी।
पाकिस्तानी सेना ने तहरीक-ए-तालिबान के आतंकियों को जैसे ही मारना शुरू किया इसके सभी बड़े नेता भागकर अफगानिस्तान चले गये और फिर नॉर्थ वजीरिस्तान से तहरीक-ए-तालिबान के ऑफिस को हटा दिया गया। हालांकि, उसके बाद इस इलाके में हिंसा की घटनाओं में काफी कमी आई है लेकिन अभी भी यहां राह चलती अकेली महिलाओं को अकसर गोली मार दी जाती है। महिलाओं का आजादी से घूमना यहां मौजूद कट्टरपंथियों को पसंद नहीं है। लिहाजा, इस बार भी चार महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं की गोली मारकर हत्या कर दी गई।
पाकिस्तानी खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बताया जा रहा है कि तहरीक-ए-तालिबान के कई आतंकी वापस अपने घर लौट आए हैं और उन्होंने फिर से बेगुनाहों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। पिछले एक साल में नॉर्थ वजीरिस्तान में 58 लोगों की गोली मारकर हत्या की गई है। जिनमें स्थानीय नेता, सिक्योरिटी फोर्स और अलग अलग NGO के लोग शामिल हैं। वहीं, 4 महिलाओं की हत्या के बाद आरोपियों की तलाश के लिए सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है।
भारत से बातचीत के लिए अमेरिका के सामने गिड़गिड़ाया पाकिस्तान, कहा- मध्यस्थता करवाएं जो बाइडेन