'जिस कीमत पर भारत को तेल बेचा, उसी दर पर हमें भी दो', पाकिस्तान ने रखी रूस के सामने शर्त
पाकिस्तान दुनिया में कच्चे पेट्रोलियम का 35वां सबसे बड़ा आयातक है और 2020-21 में उसने 1.92 अरब डॉलर मूल्य के कच्चे तेल का आयात किया था।
Pakistan News: यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद अपनी आर्थिक स्थिति संभालने के लिए रूस ने भारत को रियायती दर पर तेल बेचने का ऑफर दिया था। जिसके बाद भारत, लगातार रूस से किफायती कीमत पर तेल खरीद रहा है। लेकिन, पड़ोसी देश पाकिस्तान पिछले 6 महीने से रूस से कम कीमत पर तेल खरीदने के लिए छटपटा रहा है, लेकिन रूस कई बार कम कीमत पर तेल देने से इनकार कर चुका है। वहीं, अब पाकिस्तान के वित्तमंत्री ने कहा है, कि उनका देश रूस से तेल खरीदने के लिए तैयार है, लेकिन शर्त ये है, कि जिस कीमत पर रूस भारत को तेल बेच रहा है, उसी कीमत पर पाकिस्तान को भी दे।
पाकिस्तानी वित्तमंत्री की मांग
पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार, जो संयुक्त राज्य अमेरिका की आधिकारिक यात्रा पर हैं, उन्होंने कहा कि, पाकिस्तान, रूस से ईंधन खरीदने के लिए तैयार है, यदि भारत जो कीमत चुकाता है, वही कीमत पाकिस्तान पर भी लागू होती है। पाकिस्तानी मंत्री ने कहा कि,उनका देश विनाशकारी बाढ़ से जूझ रहा है, लिहाजा पश्चिम को पाकिस्तान द्वारा रियायती ईंधन आयात करने में कोई समस्या नहीं होगी। आपको बता दें कि, पाकिस्तान ने पिछले कुछ महीनों में लगातार रूस के साथ संबंध जोड़ने की कोशिश की है, खासकर पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान अमेरिका को 'सबक' सिखाने के लिए रूस-पाकिस्तान संबंध में नजदीकी लाना चाहते थे और जिस दिन रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था, पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान मास्को में थे और उनकी यात्रा के समय को लेकर पूरी दुनिया में आवाज उठे थे।
अमेरिका को होगा कबूल?
बाद में, इमरान खान ने खुद को प्रधानमंत्री पद से हटाए जाने को लेकर अमेरिका पर आरोप लगाए थे और उन्होंने खुलकर कहा था, कि पाकिस्तान की विदेश नीति गुलाम है और अमेरिका चाहता है, कि पाकिस्तान उसके इशारे पर काम करे। इमरान खान ने सत्ता में रहने के समय और सत्ता से बाहर होने के बाद भी रूस से ईंधन आयात के लिए भारत की तारीफ की थी और उन्होंने भारत की स्वतंत्र विदेश नीति से पाकिस्तान को सीखने के लिए कहा था। उन्होंने कई बार इस बात का जिक्र किया, कि भारत ने अन्य देशों के दवाब को नजरअंदाज किया है और देशहित में अपने फैसले करता है। उन्होंने यह भी कहा कि, मॉस्को की उनकी यात्रा एक पूर्व निर्धारित बैठक थी और उन्हें अपनी यात्रा जारी रखने के लिए सेना से भी अनुमति मिली थी, जहां वह पाकिस्तान के लिए सस्ते ईंधन पर बातचीत करने की उम्मीद कर रहे थे।
पाकिस्तान का तेल आयात
पाकिस्तान दुनिया में कच्चे पेट्रोलियम का 35वां सबसे बड़ा आयातक है और 2020-21 में उसने 1.92 अरब डॉलर मूल्य के कच्चे तेल का आयात किया था। वहीं, पाकिस्तान चूंकी आर्थक संकट से जूझ रहा है और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत ज्यादा है, लिहाजा वो चाहता है, कि अगर उसे रूस से कम कीमत पर तेल मिल जाए, तो वो अपना विदेशी मुद्रा भंडार बचा सकता है। हालांकि, शहबाज शरीफ सरकार एक बार फिर से अमेरिका के साथ रिश्ते बढ़ा रही है, लिहाजा इस बात की उम्मीद काफी कम है, कि रूस पाकिस्तान को कम कीमत पर तेल देने के लिए तैयार होगा या फिर अमेरिका पाकिस्तान को रूस से तेल खरीदने की इजाजत देगा।
रूस से संबंध बना पाएगा पाकिस्तान?
वहीं, मास्को में पाकिस्तान के राजदूत शफकत अली खान ने कहा कि, देश रूस से गेहूं खरीदना चाहता है। उन्होंने कहा कि, "...रूस हमारे लिए एक नए आपूर्तिकर्ता के रूप में उभरा है। पहले हम अलग अलग देशों पर निर्भर रहा करते थे। और जब हमारे लिए खाद्य आपूर्ति की बात आती है तो हम रूस को एक दीर्घकालिक, स्थिर भागीदार के रूप में देखते हैं।" लेकिन, क्या पाकिस्तान रूस के साथ व्यापारिक संबंध बना पाएगा? ये सवाल इसलिए है, क्योंकि शहबाज शरीफ की सरकार को घरेलू राजनीति में फायदे के लिए अमेरिका की जरूरत है। अमेरिका ने पिछले महीने पाकिस्तान को एफ-16 की मरम्मत के लिए 450 मिलियन डॉलर दिए हैं, वहीं अमेरिका के ही कहने पर पाकिस्तान को IMF से बेलऑउट पैकेज भी मिला है। साथ ही साथ इस बात की पूरी संभावना है, कि पाकिस्तान इस महीने FATF की ग्रे-लिस्ट से भी बाहर आ जाएगा और ये सब अमेरिका के आशीर्वाद से होगा और ऐसे में अमेरिका नहीं चाहेगा, कि पाकिस्तान रूस के खेमे में खड़ा नजर आए।
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