कर्ज चुकाने के लिए पाकिस्तान कर सकता है खतरनाक काम, चीन को दे सकता है ये प्रांत
पाकिस्तान अपने बढ़ते कर्ज का भुगतान करने के लिए चीन को पट्टे पर पाकिस्तान कब्जे वाले कश्मीर क्षेत्र गिलगित और बाल्टिस्तान दे सकता है।
इस्लामाबाद, 23 जूनः पाकिस्तान अपने बढ़ते कर्ज का भुगतान करने के लिए चीन को पट्टे पर पाकिस्तान कब्जे वाले कश्मीर क्षेत्र गिलगित और बाल्टिस्तान दे सकता है। ऐसे कदम से पाकिस्तान को पट्टे पर मोटी रकम मिल सकती है जिससे वह अपने मौजदा आर्थिक संकट को कम कर सकता है। हालांकि रिपोर्ट बताती है कि पूरी तरह से पाकिस्तान सरकार और सैन्य नियंत्रण के बावजूद भी पाकिस्तान के लिए इस तरह का कदम उठाना आसान नहीं होगा।
मुमताज नगरी ने किया दावा
अरबिया पोस्ट के मुताबिक काराकोरम नेशनल मूवमेंट के अध्यक्ष मुमताज नगरी ने आशंका जताई है कि पहले से अलग-थलग और उपेक्षित गिलगित-बाल्टिस्तान ग्लोबल पॉवर्स से लिए भविष्य में युद्ध का मैदान बन सकता है। कश्मीर का सबसे उत्तरी भाग चीन की सीमा को छूता है। ऐसे में नगरी ने आशंका जताई है कि पाकिस्तान गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र को चीन को सौंप सकता है।
ड्रैगन के लिए साबित होगा वरदान
गौरतलब है कि गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है। विश्लेषकों का मानना है कि अगर पाकिस्तान गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र को चीन को सौंपता है तो यह ड्रैगन के लिए वरदान साबित होगा। रिपोर्ट्स बताती हैं कि इस कदम से इस्लामाबाद को एक मोटी रकम मिल सकती है जिससे मौजूदा आर्थिक संकट से निपटा जा सकता है। हालांकि इससे स्थानीय लोगों का गुस्सा सरकार को झेलना पड़ सकता है।
लगातार घट रही पीओके की आबादी
बतादें कि गिलगित-बाल्टिस्तान की आबादी लगातार घट रही है क्योंकि यहां के लोग पलायन करने को मजबूर हैं। एक रिपोर्ट बताती है कि पाकिस्तान में होने वाली आत्महत्याओं में से नौ फीसद गिलगित-बाल्टिस्तान में होती हैं। गिलगित-बाल्टिस्तान में औसतन दो घंटे बिजली मिलती है क्योंकि यह पाकिस्तान के राष्ट्रीय ग्रिड का हिस्सा नहीं है। इसके साथ ही गिलगित-बाल्टिस्तान का जल विद्युत या अन्य संसाधनों पर कोई नियंत्रण नहीं है।
चीनी विस्तार को रोकने में लगा अमेरिका
अमेरिका एशिया में चीन के विस्तार को रोकने के लिए कदम उठा रहा है और एक्सपर्ट्स मानते हैं कि अमेरिका यह कभी बर्दाश्त नहीं करेगा कि किसी नए क्षेत्र पर चीन का कब्जा हो जाए। अमेरिका अफगानिस्तान से एक वापसी कर चुका है, लेकिन वह कभी नहीं चाहेगा कि इस क्षेत्र पर चीन राज करे। अमेरिका, चीनी विस्तार को रोकने के मूड में है और इसके लिए वह हरसंभव प्रयास कर रहा है।
अफगानिस्तान में अमेरिका विफल
अमेरिका खुद चीन पर नजर रखने के लिए बलोचिस्तान और गिलगित-बाल्टिस्तान जैसे क्षेत्रों पर नजर रखे हुए है। अमेरिकी कांग्रेस से जुड़ी बॉब लैंसिया का मानना है कि अगर गिलगित-बाल्टिस्तान भारत में होता और बलूचिस्तान आजाद होता तो अफगानिस्तान में अमेरिका को फायदा हो सकता था। लैंसिया के मुताबिक अफगानिस्तान में अमेरिका विफल रहा। अगर अगर बलूचिस्तान एक स्वतंत्र देश होता तो पाकिस्तान पर निर्भर होने के बजाए अमेरिका इसका इस्तेमाल कर सकता था।
विश्व के 100 सर्वश्रेष्ठ Airports में भारत के चार हवाई अड्डे शामिल, पहले नंबर पर है इसका नाम