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भारत ने उठाया एक ऐसा कदम कि धाराशाई हो गई पाकिस्तान की सबसे बड़ी इंडस्ट्री!

पाकिस्तान ने आरोप लगाए हैं कि भारत के सब्सिडी देने की वजह से पाकिस्तान की चावल इंडस्ट्री को काफी नुकसान पहुंचा है।

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इस्लामाबाद, जून 25: पाकिस्तान ने भारत के ऊपर उसके चावल इंडस्ट्री को बर्बाद करने का बड़ा आरोप लगाया है। पाकिस्तान ने कहा है कि भारत द्वारा इंटरनेशनल मार्केट में उठाए गये एक कदम की बदौलत पाकिस्तान का चावल इंडस्ट्री बर्बादी के कगार पर पहुंच गया है और उसे भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसके साथ ही पाकिस्तान ने भारत के ऊपर वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन के नियमों का उल्लंघन करने का भी आरोप लगाया है। आपको बता दें कि चावल उद्योग पाकिस्तान का सबसे बड़ा उद्योग है और पाकिस्तान की जीडीपी में चावल निर्यात का बहुत बड़ा योगदान है।

चावल पर पाकिस्तान के आरोप

चावल पर पाकिस्तान के आरोप

पाकिस्तान ने आरोप लगाया है कि भारत ने 'अंतर्राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा नियमों' का उल्लंघन किया है, जिससे पाकिस्तान के चावल निर्यात को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा है। पाकिस्तानी अखबार द डॉन ने लिखा है कि पाकिस्तान को अपने नुकसान के खिलाफ डब्ल्यूटीओ में भारत के खिलाफ शिकायत करनी चाहिए, नहीं तो पाकिस्तान की चावल इंडस्ट्री बर्बाद हो जाएगी। द डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान का चावल निर्यात पिछले साल के मुकाबले 14 प्रतिशत तक कम हो चुका है। पाकिस्तान यूरोपीयन देशों के अलावा कई और देशों को चावल सप्लाई करता है। चावल सप्लाई के मामले में भारत के बाद पाकिस्तान का ही नंबर आता है। द डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक जुलाई 2020 से मई 2021 के बीच पिछले साल के मुकाबले 14 फीसदी चावल निर्यात कम हो गया है। पाकिस्तान ने 2020-21 में 3.3 मिलियन टन चावल का निर्यात किया था, जबकि उससे पिछले वर्ष पाकिस्तान ने 3.87 मिलियन टन चावल का निर्यात किया था।

चावल सस्ता बेचने का आरोप

चावल सस्ता बेचने का आरोप

पाकिस्तान के राइस एक्सपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष अब्दुल कय्यूम पर्चा ने आरोप लगाए हैं कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारत पाकिस्तान के मुकाबले काफी कम कीमत पर सब्सिडी देकर चावल का निर्यात करता है। डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने इस 360 डॉलर प्रति टन चावल का निर्यात किया है, जबकि पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय बाजार में 450 डॉलर प्रति टन के हिसाब से चावल बेचता है। यानि, भारत और पाकिस्तान के चावलों के बीच करीब 100 डॉलर प्रति टन का अंतर आता है, जिसकी वजह से पाकिस्तान के चावल बाजार पर बहुत बुरा असर पड़ा है। डॉन से बात करते हुए अब्दुल कय्यूम पर्चा ने कहा कि 'डब्ल्यूटीओ के नियमों के मुताबिक काफी कम कीमत पर खाद्य सामग्री बेचना, खासकर चावल को काफी कम कीमत पर बेचना एक तरफ का अपराध है'। उन्होंने कहा कि 'कंबोडिया, म्यांमार, नेपाल, थाईलैंड और वियतनाम जैसे देश भी 420 डॉलर प्रति टन से 430 डॉलर प्रति टन के बीच चावल निर्यात करते हैं। तो फिर भारत कैसे सब्सिडी देकर 360 डॉलर प्रति टन के हिसाब से ही चावल का निर्यात कर रहा है।' उन्होंने कहा कि 'इस साल भारतीय बासमती चावल की बिक्री ने पुराने सभी रिकॉर्ड को तोड़ दिए हैं और भारत ने इस साल 4.3 मिलियन टन बासमती चावल का निर्यात किया है'

'कई और देशों को नुकसान'

'कई और देशों को नुकसान'

पाकिस्तान ने आरोप लगाया है कि भारत ने चावल कम कीमत पर बेचना शुरू कर दिया है, इससे सिर्फ पाकिस्तान को ही जबरदस्त घाटा नहीं हुआ है, बल्कि वियतनाम, नेपाल, थाइलैंड और म्यांमार जैसे देशों को भी भारी नुकसान हुआ है। इसके साथ ही राइस एक्सपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष अब्दुल कय्यूम पर्चा ने कहा कि 'इनके अलावा भी पाकिस्तान चावल उद्योग को नुकसान पहुंचने की दूसरी वजहे हैं। पाकिस्तान में माल ढुलाई में काफी ज्यादा खर्च आता है वहीं, जिन देशों को पाकिस्तान चावल निर्यात करता है, उनके पास पहले से ही स्टॉक पड़ा है, इससे भी काफी नुकसान पहुंचा है। वहीं, कोरोना वायरस की वजह से भी पाकिस्तान के चावल उद्योग को काफी नुकसान पहुंचा है।'

पाकिस्तान पर बड़ा संकट

पाकिस्तान पर बड़ा संकट

राइस एक्सपोर्ट एसोसिएशन पाकिस्तान के अध्यक्ष अब्दुल कय्यूम पर्चा ने कहा कि दो साल पहले इटली को चावल भेजने में पाकिस्तान में ढुलाई का खर्च 1500 डॉलर प्रति कंटेनर आता था, जो अब बढ़कर 8 हजार डॉलर प्रति कंटेनर हो चुका है। जिसकी वजह से प्रति टन चावल के खर्च में 250 डॉलर का और इजाफा हो गया है। जिसकी वजह से पाकिस्तानी चावल की कीमत काफी ज्यादा ऊपर पहुंच चुकी है और सीधा असर पाकिस्तान पर पड़ा है। उन्होंने कहा कि 'पाकिस्तान सरकार को भारत सरकार के सामने सब्सिडी वाले चावल निर्यात के मुद्दे को उठाना चाहिए'।

पाकिस्तानी अखबार का बड़ा दावा, भारत के साथ बड़े विवाद पर बनी सहमतिपाकिस्तानी अखबार का बड़ा दावा, भारत के साथ बड़े विवाद पर बनी सहमति

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English summary
Pakistan has alleged that due to India's subsidies, Pakistan's rice industry has suffered a lot.
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