पाकिस्तान में मिले जंगली पोलियो वायरस के 15 मरीज, एक देश क्यों बार बार बन रहा दुनिया के लिए संकट?
इस्लामाबाद, 28 अगस्तः पाकिस्तान के जनजातीय जिले उत्तरी वजीरिस्तान में एक 17 माह का बच्चा जंगली पोलियो वायरस की चपेट में आया है। पाकिस्तान की राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्था ने शनिवार को इसकी पुष्टि की है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्था के अनुसार, इस साल देश में जंगली पोलियो वायरस का यह 15वां केस सामने आया है। सभी बीमारी से ग्रस्त सभी बच्चे 2 साल से कम उम्र के हैं।
उत्तरी वजीरिस्तान में पोलियो के अधिकांश मामले
पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, पंद्रह में से चौदह मामले उत्तरी वजीरिस्तान से आए हैं। बाकी एक मामला लक्की मारवाटो में मिला था। उत्तरी वजीरिस्तान तालिबान का गढ़ है। यहां अशिक्षा और जागरूकता की कमी के कारण माता-पिता बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाने से बचते हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता के मुताबिक पोलियो संक्रमण के मामले आने वाले समय में और बढ़ने वाले हैं। एनआईएच की एक बयान के अनुसार, देश के पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम ने प्रतिकूल मौसम के बावजूद जहां भी संभव हो टीकाकरण अभियान जारी रखा है।
22 अगस्त को शुरू हुआ टीकाकरण अभियान
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय पोलियो टीकाकरण अभियान 22 अगस्त को शुरू हुआ और स्वास्थ्य कार्यकर्ता सभी सुलभ क्षेत्रों में बच्चों तक पहुंच रहे हैं। हालांकि, पोलियो को खत्म करने में देश की विफलता इस विनाशकारी बीमारी के खतरे से बच्चों को बचाने के लिए सरकार और समाज की ओर से प्रतिबद्धता और दायित्व की विकट कमी को दर्शाती है। पिछले कुछ वर्षों में पोलियो का मुकाबला करने के लिए पर्याप्त विदेशी धन प्राप्त करने और कई अभियान चलाने के बावजूद, इस खतरनाक स्वास्थ्य समस्या के समाधान के लिए देश के प्रयासों में कुछ गंभीर खामियां हैं।
22 अप्रैल को पोलियो का पहला मामला आया
पाकिस्तान में पोलियो उन्मूलन अभियानों में विफलता से पोलियो मुक्त दुनिया के निर्माण का सपना अधूरा साबित हुआ है। लगभग 15 महीने तक पोलियो मुक्त रहने के बाद पाकिस्तान ने 22 अप्रैल को इस साल का पहला मामला दर्ज किया था। पिछले साल केवल एक मामले का पता लगाया। एक ब्रिटिश अखबार की रिपोर्ट में पाकिस्तान के पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम से जुड़े अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तान में पोलियो की खुराक पिलाने को लेकर अब भी अशिक्षा भारी पड़ रही है। यहां बच्चों की उंगली पर नकली निशान लगाकर बता दिया जाता है कि उनको खुराक मिल गई है। इस तरह से टीकाकरण में हुए चूक पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम द्वारा देश को पोलियो मुक्त बनाने की दिशा में बड़ी बाधा बन रही है।
5 साल के बच्चे होते हैं प्रभावित
पोलियोमाइलाइटिस जिसे आमतौर पर पोलियो कहा जाता है, अत्यधिक संक्रामक बीमारी है और मुख्य रूप से पांच साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करती है। यह वायरस संक्रमितों के गले और आंतों में पाया जाता है। संक्रमित व्यक्ति के मल के संपर्क में आने के कारण इसके संक्रमण का खतरा सबसे अधिक होता है, छींक या खांसी से निकलने वाली बूंदों से भी यह दूसरे व्यक्ति में संक्रमण का कारण बन सकता है, हालांकि ऐसे मामले कम ही देखे जाते रहे हैं। चूंकि इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है, इसलिए टीकाकरण इसके खिलाफ सबसे प्रभावी सुरक्षा है।