रंग लाई वैज्ञानिकों की मेहनत, अंटार्कटिका पर ओजोन परत में अपेक्षा से ज्यादा सुधार
वॉशिंगटन। 1980 और 90 के दशक में खतरनाक तरीके से पतले होने के बाद अंटार्कटिका पर ओजोन परत ठीक होने लगी है। इसका एक वीडियो भी सामने आया है कि जिसमें ये बताया गया है कि 1980 से लेकर 2018 के बीज ओजोन पर्त में किस तरह से सुधार देखने को मिला है। बता दें कि हर दिन जैसा की सूर्य की रोशनी पृथ्वी पर पहुंचती है। इसमें पैराबैगनी किरणें भी होती जो सनबर्ग का कारण बनती है और कभी-कभी हमारे डीएनए को भी नुकसान पहुंचाती है।
ओजोन परत इन्ही पैराबैगनी किरणों को धरती तक पहुंचने से रोकता है। लेकिन 1980 के समय में वैज्ञानिकों ने पाया कि ओजोन परत बहुत तेजी से पतला हो रहा है। इसके बाद इस समस्या को ठीक करने के लिए विश्व के कई देश एक साथ आए और एक प्लान तैयार किया जिससे पतली हो रही ओजोन परत को ठीक किया जा सके। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय संधि ने ओजोन परतन को बचाने के लिए कुछ रसायन पदार्थों पर प्रतिबंध भी लगा दिया, जिसमें क्लोरोफ्लोरोकार्बन मुख्य था। लेकिन ये रसायन दशकों तक उपयोग रहे इसलिए ये लंबे समय तक वातावरण भी रहे।
साल 2000 में वैज्ञानिकों ने ओजोन परत को लेकर रिसर्च किया जिसमें हालात पहले से अच्छे मिले। नासा और कई और संस्थाओं के डेटा अवलोकन के बाद ओजोन रिक्तीकरण में 20 प्रतिशत की कमी देखी गई। 2017 में ओजोने परत में जो होल दिखाई देते हुए उनका आकार काफी छोटा हो गया, मतलब पहले से परत रिकवर हो रहे थे। इसके एक साल पर जब फिर से रिसर्च किया गया तो पता चला है कि ओजोन परत में छेद अपेक्षा से भी ज्यादा छोटे हो गए हैं। वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है
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