इजरायल पर लेने आए थे एक्शन, OIC की बैठक में आपस में ही भिड़े मुस्लिम देश
इजरायल और फिलिस्तीन को लेकर विवाद चमर पर है और अभी भी दोनों देशों के बीच काफी ज्यादा तनाव है। इन सबके बीच इस्लामिल सहयोग संगठन की बैठक बुलाई गई थी, जिसमें इजरायल की जमकर निंदा की गई है।
रियाद, मई 17: फिलिस्तीन का समर्थन करने के लिए मुस्लिम देशों के संगठन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉर्पोरेशन की बैठक रविवार को बुलाई गई थी लेकिन इस बैठर में इजरायल को घेरने के बजाए इस्लामिक देशों के बीच आपस में ही जमकर बहसबाजी हो गई। इस बैठक में इस्लामिक देशों के नेता आपस में ही उलझते और भिड़ते नजर आए। इस्लामिक सहयोग संगठन में विश्व के 57 इस्लामिक देश हैं जो इजरायल की आलोचना करने के लिए इकट्ठा हुए थे लेकिन इस बैठक में इस्लामिक देशों के बीच आपसी मतभेद खुलकर सामने आ गये।
इस्लामिक देशों में मतभेद
इजरायल और फिलिस्तीन को लेकर विवाद चमर पर है और अभी भी दोनों देशों के बीच काफी ज्यादा तनाव है। इन सबके बीच इस्लामिल सहयोग संगठन की बैठक बुलाई गई थी, जिसमें इजरायल की जमकर निंदा की गई है और फौरन हमलों को रोकने की मांग की गई है। लेकिन, इजरायल की आलोचना करते वक्त इस्लामिल देशों की अलग अलग प्रतिक्रियाएं थीं और बैठक के दौरान ही आपसी मतभेज सार्वजनिक हो गये। फिलिस्तीन के विदेश मंत्री ने सीधे तौर पर कई इस्लामिक देशों की खुलकर आलोचना की और इजरायल के खिलाफ नरम रूख रखने के लिए उनकी आलोचना की।
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संयुक्त अरब अमीरात पर सवाल
इस्लामिक सहयोग संगठन की बैठक के दौरान संयुक्त अरब अमीरात कई मुस्लिम देशों के निशाने पर रहा। दरअसल, पिछले साल ही संयुक्त अरब अमीरात ने इजरायल से अपने रिश्ते सामान्य किए हैं। यूएई के बाद बहरीन, मोरक्को और सुडान ने भी अपने अपने रिश्ते इजरायल के साथ सही कर लिए हैं। जिसको लेकर बैठक में इन देशों पर सवाल उठाए गये हैं। कई इस्लामिक देशों ने बैठक के दौरान खुलकर यूएई और इजरायल से संबंध स्थापित करने वाले बाकी देशों को गलत ठहराया है।
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ओआईसी ने क्या कहा ?
रविवार को इस्लामिक सहयोग संगठन ने बयान जारी करते हुए इजरायल के लिए चेतावनी जारी की है। ओआईसी की बैठक में बयान जारी करते हुए कहा गया है कि 'अक अक्सा मस्जिद मुस्लिम समुदाय की तीसरी सबसे पवित्र मस्जिद है और इस्लामी दुनिया के लिए यह लाल रेखा है लेकिन वहां कोई स्थिरता या सुरक्षा नहीं है सिवाए इसके कि उसे कब्जे से आजाद करवाया जाए। अगर इजरायल अपनी सीमा रेखा को पार करने की कोशिश करता है तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।' इस्लामिक सहयोग संगठन ने अपने बयान में इजरायली कार्रवाई को अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सीधे तौर पर खतरा बताया है।
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पाकिस्तान और तुर्की सबसे ज्यादा आक्रामक
इस्लामिक सहयोग संगठन की बैठक के दौरान पाकिस्तान और तुर्की का रूख सबसे ज्यादा आक्रामक था। वहीं, मलेशिया, इंडोनेशिया और ब्रूनेई ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की अलग से आपातकालीन बैठक बुलाने की मांग की है। बैठक के दौरान पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने इजरायल की निंदा करते हुए कि 'इजरायल की निंदा करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं बचे हैं।' बैठक के दौरान पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने कहा कि फिलिस्तीनियों की सुरक्षा की पुष्टि की जाए। उन्होंने कहा कि इजरायल के अपराधों को जवाबदेह ठहराने की जरूरत है। उन्होंने इजरायल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि 'इजरायली अत्याचारों का मजबूती से सामना करने के लिए और इस्लामिक पहचान कायम रखने के लिए फिलिस्तीनियों के साहस को सलाम करते हैं।'
संयुक्त अरब अमीरात रहा नरम
पिछले साल इजरायल से विदेश नीति कायम करने वाले संयुक्त अरब अमीरात का रूख इजरायल को लेकर बेहद नरम था। संयुक्त अरब अमीरात ने इजरायल को अपनी दोस्ती का हवाला देकर फिलिस्तीन के खिलाफ आक्रामक रवैया छोड़ने की अपील की है। इसके लिए यूएई ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अब्राहम समझौते का भी हवाला दिया और संघर्षविराम की अपील की। वहीं, बैठक के दौरान सऊदी अरब भी इजरायल के खिलाफ कुछ खास गरम नहीं दिखा। वहीं, पाकिस्तान और तुर्की का इजरायल पर यूं हमलावर होना एक बार फिर से सऊदी अरब को खराब लग सकता है। इसलिए नहीं कि पाकिस्तान इजरायल पर हमलावर था, बल्कि इसलिए कि सऊदी अरब कई बार पाकिस्तान से कह चुका है कि वो तुर्की के साथ गठबंधन कर सऊदी अरब को क्रॉस करने की कोशिश ना करे। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक पिछले हफ्ते सऊदी अरब के दौरे पर गये पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने सऊदी क्राउन प्रिंस से पाकिस्तान के साथ फिर से नरम रिश्ते बहाल करने की अपील की है।
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