परमाणु हथियारों पर 2021 में खर्च किए $82.4 अरब, जानिए भारत, पाकिस्तान और चीन ने कितने खर्चे?
आईसीएएन ने उल्लेख किया है कि, परमाणु हथियार उत्पादकों ने भी परमाणु हथियारों की लॉबिंग पर करोड़ो खर्च किए हैं।
नई दिल्ली, जून 15: दुनिया के परमाणु हथियार संपन्न 9 देशों ने साल 2021 में अपने परमाणु हथियार कार्यक्रमों पर 82.4 अरब डॉलर खर्च किए हैं, जो साल 2020 के मुकाबले आठ प्रतिशत ज्यादा है, जो बताता है कि, परमाण तबाही मचाने के लिए दुनिया किस रफ्तार से आगे बढ़ रही है।
अमेरिका ने किया सबसे ज्यादा खर्च
रिपोर्ट मे दावा किया गया है कि, सबसे ज्यादा खर्च करने वाला देश अमेरिका था और दुनिया में परमाणु हथियारों पर किए गये कुल खर्च का 50 प्रतिशत से ज्यादा खर्च अकेले अमेरिका ने किया है। इसके बाद चीन, रूस, यूनाइटेड किंगडम और फ्रांस जैसे देशों ने परमाणु हथियारों पर खर्च किए हैं। परमाणु हथियारों को खत्म करने के अंतर्राष्ट्रीय अभियान (आईसीएएन) ने परमाणु खर्च पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है।
सामूहिक विनाश वाले हथियार का निर्माण
आईसीएएन ने अपनी सलाना रिपोर्ट में कहा है कि, 'परमाणु-सशस्त्र राज्यों ने 2021 में सामूहिक विनाश के हथियारों पर विशालकाय राशि खर्च की है, जबकि दुनिया के अधिकांश देश वैश्विक परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध का समर्थन करते हैं'।" रिपोर्ट में कहा गया है कि, 'यह खर्च यूरोप में एक युद्ध को रोकने में विफल रहा और मूल्यवान संसाधनों को बर्बाद कर दिया, जिनका बेहतर उपयोग मौजूदा सुरक्षा चुनौतियों का समाधान करने के लिए किया जा सकता है, या अभी भी उग्र वैश्विक महामारी के परिणाम से निपटने के लिए किया जा सकता है। फिजूलखर्ची के इस भ्रष्ट चक्र को समाप्त किया जाना चाहिए'।
परमाणु हथियारों की लॉबिंग पर खर्च
आईसीएएन ने उल्लेख किया है कि, परमाणु हथियार उत्पादकों ने भी परमाणु हथियारों की लॉबिंग पर करोड़ो खर्च किए हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि, परमाणु हथियार बनाने पर अगर 256 डॉलर खर्च किए गये हैं, तो एक डॉलर लॉबिंग पर खर्च किए गये हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि, परमाणु हथियारों के निर्माण में या अपग्रेड करने में... अलग अलग लेवस पर पैसे खर्च किए जाते है। जिनमें देशों से लेकर कंपनियों तक पैरवी करने वालों तक, थिंक टैंकों तक पैसे खर्च किए जाते हैं, ताकि विनाशकारी हथियारों और विनाशकारी शस्त्रागार का निर्माण किया जा सके और उसे बरकरार रखा जा सके।
सभी देश बढ़ा रहे परमाणु हथियार भंडार
सोमवार को स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च यानि सिपरी (एसआईपीआरआई) ने चेतावनी दी है, कि सभी नौ परमाणु-सशस्त्र देश अपने शस्त्रागार को बढ़ा रहे हैं या अपग्रेड कर रहे हैं, और इस तरह के हथियारों को तैनात किए जाने का जोखिम शीत युद्ध की ऊंचाई के बाद से किसी भी समय की तुलना में अधिक दिखाई देता है। फरवरी में यूक्रेन पर हमला करने वाले रूस ने खुलेआम अपने परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी दी है।
उत्तर कोरिया ने खर्च किए 642 मिलियन डॉलर
ICAN का अनुमान है कि उत्तर कोरिया ने 2021 में परमाणु हथियारों पर 642 मिलियन डॉलर खर्च किया है, जबकि उसकी अर्थव्यवस्था संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों और महामारी से जुड़ी सीमाओं के बंद होने के कारण संघर्ष कर रही थी। साल 2019 में उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ परमाणु हथियारों के निरस्त्रीकरण को लेकर शिखर सम्मेलन में शामिल भी हुए थे, लेकिन बातचीत बेनतीजा रहा था। उत्तर कोरिया ने पिछले एक साल में मिसाइल प्रक्षेपण की एक रिकॉर्ड संख्या को अंजाम दिया है। ऐसी चिंताएं हैं कि यह 2017 के बाद फिर से परमाणु परक्षीण की तैयारी कर रहा है। उत्तर कोरिया परमाणु हथियारों या अपने शस्त्रागार पर कितना खर्च करता है, इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। SIPRI का अनुमान है कि उसके पास 20 परमाणु हथियार हैं।
किस देश ने कितने किए खर्च?
रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका ने 44.2 अरब डॉलर, चीन ने 11.2 अरब डॉलर, रूस ने 8.6 अरब डॉलर, यूनाइटेड किंगडम ने 6.8 अरब डॉलर, फ्रांस ने 5.9 अरब डॉलर, भारत ने 2.3 अरब डॉलर, इजरायल ने 1.2 अरब डॉलर, पाकिस्तान ने 1.1 अरब डॉलर और उत्तर कोरिया ने 642 मिलियन डॉलर परमाणु हथियारों के निर्माण और अपग्रेडेशन पर खर्च किए हैं।