एनएसजी: क्या भारत तोड़ पायेगा दि ग्रेट वॉल ऑफ चाइना
ताशकंद। कहा जा रहा है कि न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप (एनएसजी) में भारत की सदस्यता पर ग्रहण लग चुका है। ग्रहण लगाने वाला कोई और नहीं, बल्कि पड़ोसी देश चीन है, जो दूसरे पड़ोसी पाकिस्तान से प्रभावित होकर भारत के आगे रोड़े अटका रहा है। सियोल में लंबी बैठक के बाद भारत को 30 देशों का समर्थन जुटाने में सफलता मिल गई। लेकिन ग्रेट वॉल ऑफ चाइना को तोड़ने में भारत को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है।
पढ़ें- जानिए क्या है एनएसजी?
हुआ यूं कि चीन ने कहा है कि वो एनएसजी में भारत की सदस्यता पर फिलहाल कोई चर्चा नहीं करना चाहता है। भारत या पाकिस्तान पर वो तब तक चर्चा नहीं करेगा, जब तक नियमों का पालन नहीं किया जाता है। चीन का तर्क है कि जो देश एनपीटी के सदस्य नहीं हैं, वो एनएसजी के सदस्य नहीं हो सकते।
मोदी ने की अपील
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति ज़ी जिंपिंग से सियोल में मुलाकात के दौरान एनएसजी में समर्थन के लिये अपील की थी। इसी के मद्देनजर चीन ने सियोल में ही करीब पांच घंटे तक बंद कमरे में बैठक की। बैठक के बाद चीन ने कहा कि इस मामले पर तकनीकी एवं कानूनी बातों पर फिर से गौर करते हुए अपना फैसला सुनायेगा।
वो जापान ही है जिसने भारत को एनएसजी सदस्य बनाये जाने की पहल की। उधर दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील समेत कई देश खुल कर भारत के साथ आ गये हैं। ऐसे में कहीं न कहीं इस मुद्दे पर चीन अकेला पड़ता दिख रहा है।
गुरुवार को होगा फैसला
तमाम बैठकों के बीच गुरुवार को अंतत: फैसला हो जायेगा कि भारत को एनएसजी में शामिल किया जाये या नहीं।