नेपाल के पीएम ओली का भारत विरोधी आदेश मानने से आर्मी चीफ ने किया इनकार!
काठमांडू। नेपाल ने फैसला किया है कि जो नया नक्शा आया है उसे निरस्त कर, पुराने वाले नक्शे को ही मान्यता दी जाएगी। इस नए नक्शे में कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख को नेपाल ने अपनी सीमा में दिखाया था। नक्शा बदलने की कवायद को प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की उन कोशिशों को हिस्सा माना गया था जिसके तहत वह भारत-विरोधी भावनाओं को भड़का कर खुद की स्थिति कम्युनिस्ट पार्टी में और मजबूत करना चाहते थे। जो बात सबसे दिलचस्प है उसके मुताबिक केपी ओली ने भारत के खिलाफ एक आदेश नेपाली आर्मी के चीफ को दिया और नेपाली जनरल ने इस आदेश को मानने से साफ इनकार कर दिया था।
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जनरल ने पीएम ओली को कहा नो
15 मई को इंडियन आर्मी चीफ जनरल मुकुंद नरवणे ने नेपाल की तरफ से जारी विरोध पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि इस बात की पूरी आशंका है कि नेपाल किसी के कहने पर लिपुलेख पास पर भारत का विरोध कर रहा है। जनरल नरवणे ने चीन का नाम नहीं लिया था मगर सब मान रहे थे कि उनका इशारा चीन की ही तरफ था। जनरल नरवणे की टिप्पणी केपी ओली को इतनी अखर गई थी कि उन्होंने नेपाली आर्मी चीफ जनरल पूर्ण चंद्र थापा को आदेश दिया कि वह सार्वजनिक तौर पर जनरल नरवणे की टिप्पणी का खंडन करें।
जनरल थापा के इनकार के बाद आए रक्षा मंत्री
सूत्रों की माने तो जनरल थापा ने केपी ओली के इस आदेश को मानने से इनकार कर दिया था। जनरल थापा का कहना था कि यह राजनीतिक मुद्दा है और इसका सेना से कोई लेना-देना नहीं है। जिस जरह ये जनरल नरवणे, नेपाली आर्मी के मानद जनरल हैं, उसी तरह से जनरल थापा को इंडियन आर्मी की तरफ जनरल की मानद रैंक मिली हुई है। कहा जा रहा है कि जनरल थापा के सेना को राजनीति में शामिल न करने के फैसले के बाद ही रक्षा मंत्री ईश्वर पोखरेल ने जनरल नरवणे की आलोचना करने वाला बयान दिया।
नेपाली रक्षा मंत्री ने दी लड़ाई की धमकी
नेपाल के रक्षा मंत्री नेपील न्यूज एजेंसी राष्ट्रीय समाचार समिति को इंटरव्यू में जनरल नरवणे की आलोचना की थी। उन्होंने न सिर्फ नरवाणे के बयान की आलोचना की बल्कि भारत को यह धमकी तक दे डाली है कि अगर जरूरत पड़ी तो नेपाल की सेना लड़ाई भी करेगी। पोखरेल ने कहा, 'किसी सेना के मुखिया के लिए यह कितना प्रोफेशनल है कि वह राजनीतिक बयानबाजी में पड़े? हमारे देश में तो ऐसा नहीं होता है। नेपाली आर्मी इस तरह के मौकों पर कभी ऐसे बयान नहीं देती है। आर्मी बोलने के लिए नहीं है। नेपाल की आर्मी पूरी तरह से एक प्रोफेशनल मिलिट्री फोर्स है। सही समय आने पर संविधान के तहत सरकार की तरफ से दिए गए निर्देशों पर वह अपना काम करेगी।'
लिपुलेख पास उद्घाटन से नाराज नेपाल
पिछले दिनों रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए लिपुलेख पास का उद्घाटन किया है। नेपाल की तरफ से इसका विरोध किया गया है। जबकि भारत ने नेपाल के विरोध को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि सड़क भारत की सीमा में पड़ती है। 15 मई को एक वेबीनार में जनरल नरवाणे ने कहा था, 'हकीकत में नेपाल के राजदूत ने कहा है कि काली नदी के पूर्व का इलाका उनकी सीमा में आता है। उस पर कोई भी विवाद नहीं है। जिस सड़क का निर्माण हो रहा है वह नदी के पश्चिम में है।इस बात पर यकीन करना होगा कि उन्होंने किसी के कहने पर यह मुद्दा उठाया हो और इस बात की संभावना काफी ज्यादा है।'