जानें आखिर कौन है पेशावर में मौत का तांडव करने वाले गिरोह का मुखिया 'मुल्ला रेडियो'
नयी दिल्ली (ब्यूरो)। दो पांव जिस पर ठुमकते हुए कभी देखा था, वो हाथ जो स्कूल जाते वक्त हिलाकर बाय बोला करता था, वो आवाज जो कभी चहकते हुए कानों में मिसरी घोलती थी... एकाएक थम गई। सपनें जो देखे थे वह पल में बिखर गए। अब वो स्कूल से कभी नहीं लौटेगा। अब उसकी आवाज घर आंगन में कभी नहीं गूंजेगी। वह अब नहीं आएगा। जी हां मंगलवार को पेशावर के आर्मी स्कूल में तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के आतंकियों ने मौत का जो नंगा तांडव मचाया उसने सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं बल्कि पूरे दुनिया में मातम फैला दिया है।
इस हमले में 132 बच्चों सहित 141 लोगों की मौत हुई है। मगर एक बात आप सुनकर हैरान रह जाएंगे कि मौत का तांडव मचाने वाले इस खूनी गिरोह का मुखिया खुद पाकिस्तान की ही पैदाईश है। गिरोह के मुखिया का नाम मौलाना फज़लुल्ला उर्फ मुल्ला रेडियो है। उसका पैदाइशी नाम फज़ल हयात था और पिछले नवंबर में ही वही टीटीपी के जिम्मेदार पद पर आया और आतंकी कार्रवाइयों को तेज कर दिया। मुल्ला रेडियो का जन्म 1974 में पाकिस्तान के स्वात जिले में हुआ था। मुल्ला देवबंद सुन्नी इस्लाम का समर्थक है और देश में शरिया कानून लागू करवाना चाहता है।
वह बहुत ही कट्टर विचारधारा का व्यक्ति है। एक और अहम बात यहां बताने की जरूरत है कि मुल्ला रेडियो उसी समुदाय का सदस्य है जिसकी नोबल प्राइज़ विजेता मलाला हैं, यानी यूसुफज़ई। उसने ही मलाला को मार डालने का हुक्म दिया था। मुल्ला शुरू से ही अपराधी मानसिकता का व्यक्ति था और कहा जाता है कि वो तहरीक-ए-नफज़-ए-शरियत-ए-मुहम्मदी के संस्थापक सूफी मुहम्मद की बेटी को मदरसे से ले भागा था। मौलाना बहुत शातिर है और छुपकर रहता है। उसकी एक ही तस्वीर है जो अमेरिका के किसी न्यूज चैनल ने खींची थी।
2005 में पाकिस्तान में गिरफ्तार हुआ था मुल्ला रेडियो
फज़ल हयात, उर्फ मौलाना फज़ुलुल्ला उर्फ मुल्ला रेडियो को पाकिस्तान की सरकार ने 2005 में गिरफ्तार कर लिया था। उसने जेल में ही रहकर तमाम धार्मिक किताबें पढ़ीं। वहां से ही उसके कट्टरवाद की शुरुआत हुई। जेल से छूटने के बाद उसने पाकिस्तान की सरकार और कट्टरपंथियों के बीच समझौता करवाया जिसके फलस्वरूप सरकार ने मालकंड जिले में शरिया कानून लागू करने पर सहमति दे दी। धीरे-धीरे वह स्वात घाटी के इलाके में मजबूत होता चला गया। उसने खूंखार आतंकी बैतुल्ला महसूद के साथ हाथ मिला लिया। वह उसकी बातें मानने लगा और भीतर ही भीतर अपनी पोजीशन बनाता चला गया। 2007 तक उसने 4500 लड़ाकों की फैज बना ली और स्वात घाटी के 59 गांवों पर अपनी हुकूमत चलाने लगा।
पाकिस्तान फौज से बदला लेने की खाई थी कसम
10 जुलाई 2009 को पाकिस्तानी फौज के हमले में मुल्ला घायल तो हो गया था लेकिन बच निकलने में कामयाब हो गया। पाकिस्तानी फौज ने करोड़ों रुपये की लागत से बने उसके मदरसे को नेस्तनाबूत कर दिया था। फौज के हमले के बाद वह अफगानिस्तान में छिप गया और उसने उसी समय से पाकिस्तानी फौज से बदला लेने की ठान ली। वह अफगानिस्तान से रहकर ही पाकिस्तानी फौजों पर हमले करता था। पिछले साल अक्टूबर में वह पाकिस्तान के कबायली इलाके में आ गया। उसके तुरंत बाद ही उसे तालिबान का अमीर बना दिया गया क्योंकि उस समय के चीफ हकीमुल्ला मसूद को अमेरिकी ड्रोन ने उड़ा दिया था।
बदले की आग में झुलसता हुआ फज़ल पाकिस्तान और उसकी फौजों पर लगातार हमले करता रहा। वह कड़े शरिया कानून का पक्षधर है और उन्हें तोड़ने वालों को कड़ी सजा देता था जिनमें गर्दन काटना तक शामिल था। वह संगीत, टीवी, सिनेमा वगैरह का घोर विरोधी है और ऐसा करने वालों को सजा देता है। उसने कंप्यूटर की दुकानों में आग लगवा दी थी। फज़ल महिला शिक्षा के सख्त खिलाफ है और उसने उस पर पूरी तरह से बैन लगा रखा है। उसने लड़कियों के दस स्कूलों को बम से उड़ा दिया था। उसने कुल 170 स्कूलों को नेस्तनाबूत कर दिया। उसने ही 2012 में मलाला को मारने के लिए एक हत्यारे को भेजा था।