मंगलवार को सिंगापुर में ट्रंप और किम के पास है इंटरनेशनल हीरो बनने का मौका!
सिंगापुर। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और नॉर्थ कोरिया के नेता किम जोंग उन की मंगलवार को सिंगापुर में मुलाकात होने वाली है। दोनों नेताओं की यह मुलाकात कई मायनों में खास हैं। किम जोंग उन नॉर्थ कोरिया के पहले ऐसे नेता हैं जो किसी अमेरिकी राष्ट्रपति से मिलेंगे। यह बात भी काफी दिलचस्प है कि दोनों नेताओं की लिस्ट में पसंद करने वालों की तुलना में उन्हें नापसंद करने वालों के नाम ज्यादा होंगे। ऐसे में दोनों के पास मौका है कि वे न सिर्फ एक नया इतिहास लिख सकेंगे बल्कि दोनों को आगे चलकर एतिहासिक वर्ल्ड लीडर के तौर पर भी जाना जाएगा।
सात दशकों बाद सच होगा सपना
मंगलवार को ट्रंप और किम की मुलाकात सिंगापुर मे मुलाकात की शुरुआत वन-ऑन-वन मीटिंग के साथ होगी। दोनों नेताओं के साथ उनके ट्रांसलेटर्स भी मौजूद होंगे। 70 वर्षों में किसी ने नहीं सोचा था कि इस तरह से एक दिन अमेरिका के राष्ट्रपति नॉर्थ कोरिया के किसी नेता से मुलाकात करेगे। इससे अलग पिछले कुछ माह के अंदर दोनों देशों के बीच इस तरह की बयानबाजी हुई थी कि हर किसी को इस बात का डर सता रहा था कि कहीं कोई परमाणु युद्ध न छिड़ जाए। ऐसे में मंगलवार को ट्रंप-किम की मीटिंग का दिन भी आएगा, इसके बारे में शायद किसी ने कल्पना की होगी। सिंगापुर समिट एक ऐसी प्रक्रिया की शुरुआत कर सकती है जिसके बाद दुनिया का अंतिम शीत युद्ध भी खत्म हो सकता है। नॉर्थ और साउथ कोरिया दोनों देश पहले से ही 50 के दशक से चले आ रहे कोरियाई युद्ध को खत्म करने पर राजी हो गए हैं।
निक्सन और रीगन ने भी किया था कुछ ऐसा
कनाडा में जी-7 के कड़वे अनुभव के साथ ट्रंप सिंगापुर पहुंचे हैं। सोमवार को अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपेयो ने कहा है कि अमेरिका और इसके करीबियों के बीच रिश्तों में अब कड़वाहट आ गई है लेकिन फिर भी उम्मीद है कि संबंध बचे रहेंगे। ऐसे में अब डोनाल्ड ट्रंप के ऊपर इस बात का राजनीतिक दबाव भी है कि जब वह अमेरिका वापस लौटें तो कुछ सकारात्मक हासिल हो सके। अगर यह समिट सफल हुई तो फिर इसे बिल्कुल उस समिट की तरह याद किया जाएगा जो पूर्व राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के दौर में हुई थी। उस समय रिचर्ड निक्सन, चीन के सुप्रीम लीडर माओत्से तुंग से मिलने गए थे। इससे अलग रोनाल्ड रीगन और सोवियत संघ के नेता मिखाइल गोरबाचेव की मुलाकात को भी ऐसी ही सफल समिट में गिना जाता है। उस मुलाकात के बाद सोवियत यूनियन का अंत हो सका था।
ट्रंप के कंधों पर है बड़ी जिम्मेदारी
अमेरिका और नॉर्थ कोरिया दोनों ही इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि सिंगापुर के सैंटोसा द्वीप पर होने वाली यह समिट सफल होगी। लेकिन अगर यह समिट फेल हुई तो फिर दोनों देशों के बीच सैन्य संघर्ष की संभावना काफी बढ़ जाएगी। इस समिट से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि उन्हें लगता है कि किम जोंग उन अपने देशवासियों के लिए कुछ अच्छा चाहते हैं। दोनों नेताओं की यह मुलाकात कई वर्षों के तनाव, परमाणु और मिसाइल टेस्ट्स के अलावा बड़े पैमाने पर हो रही कूटनीति के बाद संभव हो रही है। ट्रंप के कंधों पर एक बड़ी जिम्मेदारी है जहां पर उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ ही साथ उस खतरे से भी अमेरिका को बचाना है जो करोड़ों अमेरिकी नागरिकों की जिंदगी को खतरे में डाल सकता है। साथ ही यह समिट एक ऐसा मौका बन सकती जिसे एक बड़े बदलाव के तौर पर इतिहास में देखा जाएगा।