अफगानिस्तान को लेकर बुधवार को रूस में बैठक: दूसरी बार तालिबान के सामने मंच पर होगा भारत
अफगानिस्तान के मसले पर तीसरी मास्को फॉर्मेट वार्ता कल यानी 20 अक्टूबर को होगी। इस बैठक में तालिबान समेत 10 देशों के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे।
मास्को, 19 अक्टूबर। अफगानिस्तान के मसले पर तीसरी मास्को फॉर्मेट वार्ता कल यानी 20 अक्टूबर को होगी। इस बैठक में तालिबान समेत 10 देशों के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। भारत भी इस वार्ता में शामिल होगा। इस बैठक में हिस्सा लेने वाले विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों को रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव संबोधित करेंगे। रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस चर्चा में अफगानिस्तान में सैन्य राजनीतिक स्थिति के विकास और समावेशी सरकार के गठन की संभावनाएं जैसे मुद्दे शामिल होंंगे। इस बैठक के प्रतिभागी भारत, अमेरिका, अफगानिस्तान, चीन, पाकिस्तान, ईरान और मध्य एशियाई राज्य तालिबान शासित देश में मानवीय संकट रोकने के लिए अंतराष्ट्रीय समुदाय के प्रयासों को मजबूत करने के मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे।
क्या भारत देगा तालिबानी सरकार को मान्यता
तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद रूस पहली बार मास्को फॉर्मेट वार्ता आयोजित कर रहा है। अफगानिस्तान मुद्दों पर रूस 2017 से मास्को फॉर्मेट का आयोजन करता रहा है। वहीं, इस बैठक में तालिबान को लेकर भारत के रुख पर सबकी नजरें होगीं। भारत का तालिबान से पहला औपचारिक संपर्क 31 अगस्त को दोहा में हो चुका है। वहीं, कल होने वाली बैठक से पहले लावरोव ने कहा कि रूस अभी के लिए आधिकारिक तौर पर तालिबान को मान्यता नहीं देगा। रूस चाहता है कि तालिबान अफगानिस्तान में सत्ता में आने पर किए गए वादों को पूरा करे। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान ने सरकार के गठन में राजनीतिक और जातीय समावेश की बात की थी।
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अंतराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिलने के लिए गिड़गिड़ा रहा तालिबान
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बता दें कि तालिबान अफगानिस्तान में बनने जा रही उसकी सरकार को अंतरराष्ट्रीय मान्यता देने की मांग कर रहा है। तालिबान ने चेतावनी दी है कि यदि उसकी सरकार को कमजोर करने की कोशिश की गई तो इससे देश की सुरक्षा प्रभावित होगी और देश भारी संख्या में लोगों का पलायन होगा। हालांकि संयुक्त राष्ट्र ने इस इस वार्ता में शामिल होने से इंकार किया है। संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता ने कहा कि हम भविष्य में उस मंच में शामिल होने की आशा करते हैं, लेकिन इस सप्ताह इस वार्ता में शामिल होने की स्थिति में नहीं हैं। बता दें कि तालिबान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिन चुनिंदा देशों का साथ मिला है वे भी उसे मान्यता नहीं दे रहे हैं। ऐसे में इस वार्ता में भारत का रुख क्या होगा यह देखने वाली बात होगी।