6 मुद्दे जिन पर हो सकती मोदी और ओबामा के बीच बात
न्यूयॉर्क।
व्हाइट
हाउस
में
सोमवार
को
अगर
एक
तरफ
दुनिया
की
सुपर
पावर
को
लीड
कर
रहे
बराक
ओबामा
शामिल
होंगे
तो
वहीं
दूसरी
तरफ
भारत
को
दुनिया
की
सुपरपवार
कंट्री
बनाने
का
सपना
देखने
वाले
भारत
के
सुपर
पीएम
नरेंद्र
मोदी
होंगे।
मंगलवार को ओवल हाउस और अहम मुद्दे
30 सितंबर को जब मोदी व्हाइट हाउस में व्हाइट हाउस में ओवल हाउस में ओबामा और मोदी के बीच मीटिंग होगी। यही वह पल होगा जब मोदी और ओबामा के बीच कई मुद्दों पर चर्चा होगी। एक नजर डालिए कि वह कौन से मुद्दे हैं जिन पर व्हाइट हाउस में चर्चा होगी।
व्यापार
यह
एक
बड़ा
मुद्दा
होने
वाला
है।
अमेरिका
और
भारत
के
बीच
वर्तमान
समय
में
करीब
100
बिलियन
से
120
बिलियन
डॉलर
का
व्यापार
होता
है।
अमेरिका का लक्ष्य है कि वह वर्ष 2030 तक भारत के साथ करीब एक ट्रिलियन का व्यापार कर पाए। विशेषज्ञों की मानें तो मोदी की इकोनॉमिक डिप्लोमेसी इस सपने को पूरा कर सकती है।
भारत ने करीब 82 देशों के साथ बाइलिट्ररल ट्रीटी साइन की हुई है। लेकिन इस ट्रीटी में एक पेंच यह है कि भारत चाहता है कि इस ट्रीटी से जुड़े सारे विवादों का निपटारा भारतीय अदालतों में हो।
रणनीतिक संबंध
अमेरिका और भारत दोनों के बीच ही रणनीतिक संबंध काफी अहम रहे हैं लेकिन यूपीए 2 के दौरान इन संबंधों में काफी उतार-चढ़ाव आए थे। इसकी सबसे बड़ी वजह थी न्यूक्लियर डील। वर्ष 2010 में संसद की ओर से पास हुए न्यूक्लियर लाइबिलिटी बिल की वजह से अमेरिका और भारत के संबंध काफी बिगड़े।
मोदी ने अपनी अमेरिका यात्रा शुरू होने से पहले संकेत दिया था कि भारत इस बिल में संशोधन करने को तैयार है। विशेषज्ञों की मानें तो मोदी और ओबामा के बीच यह मुद्दा काफी अहम होने वाला है।
इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि मोदी, ओबामा के सामने स्नूपिंग का मुद्दा जरूर उठाएंगे।
आईएसआईएस
इराक और सीरिया में मौजूद आईएसआईएस के खात्मे को लेकर अमेरिका ने थोड़े ही दिनों पहले हवाई हमले शुरू कर दिए हैं। ओबामा आईएसआईएस के खिलाफ लड़ाई में भारत से मदद की मांग कर सकते हैं।
डिफेंस पार्टनरशिप
भारत दुनिया का ऐसा देश है जो डिफेंस प्रोडक्ट खरीदने में सबसे ज्यादा खर्च करता है। अमेरिका धीरे-धीरे एक ऐसे देश में तब्दील होता जा रहा है तो भारत को सबसे ज्यादा उत्पाद निर्यात करता है। अमेरिका चाहता है कि भारत अमेरिका के साथ डिफेंस स्ट्रेटजिक डील को पांच वर्ष के लिए और बढ़ा दे जो फिलहाल अभी 10 वर्षों के लिए ही है।
वहीं मोदी, ओबामा से इस बात का अनुरोध कर सकते हैं कि अमेरिका अपनी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर पॉलिसीज को और आसान करे। साथ ही वह भारत को स्टेट-ऑफ-द-आर्ट डिफेंस इक्विपमेंट भारत को दे।
काउंटर
टेररिज्म
भारत
और
अमेरिका
दोनों
ही
इस
मुद्दे
पर
एक
साथ
खड़े
नजर
आते
हैं।
दोनों
नेता
जब
मिलेंगे
तो
वह
जरूर
इस
बिंदु
पर
अपने
संबंधों
को
मजबूत
करने
के
बारे
में
चर्चा
करेंगे
क्योंकि
दोनों
ही
देश
आतंकवाद
का
सामना
करने
को
मजबूर
हैं।
भारत और अमेरिका दोनों ही इस बात पर राजी हो सकते हैं कि दोनों देशों की इंटेलीजेंस एजेंसियों के बीच इंटेलीजेंस इंफॉर्मेशन को साझा किया जाए, होमलैंड सेक्रेटी लेवल की बातचीत हो, एक ज्वाइंट वर्कग्रुप बनाया जाए और साथ ही कई आतंकी संगठनों पर एक साथ कार्रवाई पर भी दोनों देशों के बीच चर्चा हो सकती है।
पाकिस्तान
पाक की ओर से पिछले दिनों कई बार सीजफायर का वॉयलेशन किया गया है। 26/11 के साजिशकर्ता अभी तक आजाद घूम रहे हैं। ऐसे में जब मोदी, ओबामा से मिलेंगे तो वह इस बात पर जरूर गौर करेंगे कि अमेरिका उसी कड़े अंदाज में पाक की निंदा करता है, जिस अंदाज में भारत करता है या बस सुनकर ही बात को अनसुना कर देता है।