मॉडर्ना ने कहा- हमारी कोरोना वैक्सीन दूसरी डोज के 6 महीने बाद भी 93 फीसदी प्रभावी
मॉडर्ना की कोरोना वैक्सीन दूसरी डोज के 6 महीने बाद भी 93 फीसदी प्रभावी
नई दिल्ली, 5 अगस्त: अमेरिकी फार्मा कंपनी मॉडर्ना ने कहा है कि उसकी कोरोना वैक्सीन दूसरी खुराक के चार से छह महीने बाद लगभग 93 प्रतिशत प्रभावी है। कंपनी ने क्लीनिकल ट्रायल के दौरान वैक्सीन के 94 प्रतिशत प्रभावी होने की बात कही थी। जिसमें कोई खास बदलाव नहीं आया है। गुरुवार को कंपनी की ओर से ये जानकारी दी गई है।
मॉडर्ना के चीफ एग्जेक्यूटिव स्टीफन बेंसेल ने एक बयान में कहा कि हम बहुत खुश हैं कि हमारी कोरोना वैक्सीन की प्रभावकारिता चार से छह महीने बाद 93 फीसदी पर स्थिर है। इससे उन करोड़ों लोगों को लाभ होगा, जिन्हें अब तक मॉडर्ना के टीके लग चुके हैं। उन्होंने बताया कि कंपनी के पास 2021 के लिए क्षमता सीमित है, और 2021 में डिलीवरी के लिए कोई और ऑर्डर नहीं ले रहे हैं।
बीते हफ्ते फाइजर इंक और बायोएनटेक एसई ने जो आंकड़े जारी किए थे, उसमें कहा था कि उनके टीके की प्रभावकारिता हर दो महीने में लगभग 6 फीसदी कम हो जाती है। ऐसेमें टीके की प्रभावकारिता दूसरे शॉट के छह महीने बाद गिरकर लगभग 84 फीसदी हो गई।
इस साल के शुरू में मॉडर्ना ने बताया था कि उसकी कोरोना वैक्सीन के तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल के विश्लेषण के नतीजों से यह पता चलता है कि यह कोरोना के संक्रमण को रोकने और गंभीर बीमारी की स्थिति में 94.1 फीसदी असरदार है। कंपनी की ओर से कहा गया कि ट्रायल के नतीजों से पता चलता है कि यह टीका कोरोना वायरस के खिलाफ 94.1 फीसदी प्रभावी है। साथ ही मॉडर्ना की वैक्सीन गंभीर बीमारी की स्थिति में भी असरदार है।
भारत सरकार ने भी मॉडर्ना को इमरजेंसी अप्रूवल की अनुमति दी थी। हालांकि मॉडर्ना के टीके भारत को मिलने की उम्मीद कम ही है। हालही में मॉडर्ना की ओर से कहा गया था कि वैक्सीन की भारत आने की उम्मीदें खत्म होती दिख रही हैं। इसकी बड़ी वजह है कि भारत सरकार के प्रतिनिधि साइड इफेक्ट होने पर इन्डेम्निटी यानी क्षतिपूर्ति से राहत वाली शर्त पर सहमत नहीं हुए हैं। ऐसे में कोवैक्स प्रोग्राम के तहत अमेरिका से भारत को को मिलने वाली मॉडर्ना और फाइजर कंपनियों की करीब एक करोड़ वैक्सीन के आने पर भी संकट है।
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