हमारी आकाशगंगा में दिखा 'रहस्यमयी विस्फोट', जल्द सुलझेगी अब तक की सबसे बड़ी पहेली
नई दिल्ली, 10 जुलाई: हमारा ब्रह्मांड कैसे बना? इस सवाल का जवाब जानने के लिए वैज्ञानिकों ने काफी खोज की लेकिन उनके हाथ कोई ठोस सबूत नहीं लगे। हालांकि अब खगोलविदों ने इस विषय पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें बताया गया कि हमारी आकाशगंगा में एक तारकीय विस्फोट हुआ। इससे जुड़े कुछ सबूत भी मिले हैं। इस पर विस्तार से अध्ययन करने से ब्रह्मांड के 13 अरब साल पहले के रहस्य सुलझ सकते हैं।
मिला एक खास तारा
अध्ययन के मुताबिक तारा "SMSS J200322.54-114203.3" हमारे सूर्य से 7500 प्रकाश वर्ष दूर मिल्की वे (आकाशगंगा) में ही स्थित है। माना जा रहा है कि उसमें एक तारकीय विस्फोट हुआ था, जो सुपरनोवा से भी ज्यादा शक्तिशाली है। इसे 'हाइपरनोवा' के नाम से जाना जाता है। सीधे शब्दों में कहें तो लोहे से भारी किसी भी तत्व के निर्माण के लिए अपार शक्ति की जरूरत होती है। वैज्ञानिकों को लग रहा है कि न्यूट्रोन सितारों का विलय और अन्य सितारों का पतन इन्हीं सुपरनोवा विस्फोट के जरिए हुआ होगा।
कैसे मिल्की वे को मिला आकार?
शोधकर्ताओं के मुताबिक 13 अरब साल पहले एक विशाल हाइपरनोवा विस्फोट हुआ था। जिसने सुपरनोवा से 10 गुना ज्यादा ऊर्जा छोड़ी। आमतौर पर तारों में लोहे की कम मात्रा होती है, इसलिए इसका निर्माण तब हुआ होगा जब आकाशगंगा बहुत छोटी थी। ऐसे में लगता है कि इसी तरह के हाइपरनोवा ने हमारी मिल्की वे को आकार देने में भूमिका निभाई है। अब अगर ब्रह्मांड के बारे में और गहरी जानकारी लेनी है, तो ऐसे और कई तारों को खोजना होगा। जो सुपरनोवा या फिर हाइपरनोवा से जुड़े हों।
600 मिलियन तत्वों का अध्ययन
ऑस्ट्रेलियाई नेशनल यूनिवर्सिटी के रिसर्चर और इस अध्ययन के लेखक डेविड योंग के मुताबिक जिस तारे पर अध्ययन हो रहा है, उसमें कम मात्रा में आयरन था, जबकि नाइट्रोजन, जिंग, यूरोपियम और थोरियम की मात्रा ज्यादा थी। डॉ. के मुताबिक टीम जिस सितारे की तलाश कर रही थी, उसका एक निश्चित प्रोफाइल था। इसके लिए उन्होंने स्काईमैपर के जरिए 600 मिलियन ब्रह्मांडीय वस्तुओं का अध्ययन किया। जिसमें 26 हजार सितारे भी शामिल थे। तभी SMSS J200322.54-114203.3 दिखा, जिसमें भारी तत्व काफी ज्यादा थे। जो एक दूसरे सितारे को खत्म करने के लिए काफी हैं।
क्या है सुपरनोवा?
जब भी किसी तारे में भयंकर विस्फोट होता है, तो उसे सुपरनोवा कहते हैं। इससे इतना ज्यादा प्रकाश और रेडीएशन निकलता है कि वो आकाशगंगा को काफी देर के लिए धुंधला कर देता है। कई बार तो सुपरनोवा इतनी ऊर्जा उत्पन्न कर देता है, जितना हमारा सूरज एक अरब साल में भी ना कर पाए।
शोध में हुआ बड़ा खुलासा, मनुष्य अपनी आकाशगंगा में अकेला नहीं है,बल्कि हैं....