चीन के दबाव में आकर मालदीव ने किया FTA समझौता, विपक्ष और जनता सरकार से नाराज
माले। मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन ने हाल ही में चीन जाकर दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौता (FTI) पर हस्ताक्षर किए थे। मालदीव के राष्ट्रपति और चीन ने इस महत्वपूर्ण समझौते पर भले ही हस्ताक्षर कर आपसी सहमति बना ली है, लेकिन इसे लागू करने में आगे परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। दोनों देशों के बीच हुए इस समझौते को लेकर ना सिर्फ मालदीव के विपक्ष ने आपत्ति जताई है, बल्कि वहां के व्यापारी समुदाय भी इसके विरोध में उतर आए हैं।
FTA से सिर्फ चीन को फायदा
मालदीव के लोगों को मानना है कि मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने से सिर्फ चीन को फायदा होने वाला है और इससे मालदीव इकनॉमी पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा। मालदीव के व्यापारी इस समझौते से बेहद नाराज है और चीन पर अपना एजेंडा चलाने के आरोप लगाया है। मालदीव में विपक्ष और वहां के व्यापारी समूदाय के लोगों का मानना है कि राष्ट्रपति यमीन ने चीन के दबाव में आकर इस समझौते पर हस्ताक्षर किया है। उनके अनुसार, इस डील से मालदीव में कई प्रोजेक्ट्स को चीनी कंपनियों को सौंपने की योजना बनाई जा रही है।
चीन के दबाव में मालदीव ने की FTA डील
सूत्रों के अनुसार, मालदीव सरकार ने चीन के दबाव में आकर मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किया है। मालदीव ने पहली बार किसी दूसरे देश के साथ एफटीए पर हस्ताक्षर किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, माले में चीन के दूतावास ने मालदीव सरकार को स्पष्ट कहा था कि वे तभी आर्थिक सहायता करेंगे, जब तक कि दोनों देशो के बीच एफटीए डील नहीं हो जाती। मालदीव के साथ चीन अपनी सभी आर्थिक मदद को एफटीए से लिंक करना चाहता है।
ऐसे होगा व्यापार
इस समझौते के बाद मालदीव को जीरो ड्यूटी पर फिशरी प्रोडक्ट्स, नारियल, कपास के बीज, संसाधित पनीर, अंडे और सोयाबीन जैसे खाद्य पदार्थ चीन को देगा। बदले में मालदीव को अपने कंस्ट्रक्शन, ट्यूरिजम एंड ट्रैवल, शिक्षा, अपशिष्ट प्रबंधन, जल प्रबंधन, बीमा, पारंपरिक चिकित्सा, समुद्री परिवहन सेवाओं सहित परिवहन आदि चीन के लिए खोलेगा।
भारत के साथ होने वाली थी यह डील
मालदीव सरकार ने चीन के साथ भले ही एफटीए का समझौता कर लिया है, लेकिन वहां की जनता और विपक्ष इसके खिलाफ खड़ी है। मालदीव में विपक्ष एकजूट होकर इस डील को रद्द करने के लिए लगातार सरकार पर दबाव डाल रही है। यह एफटीए डील पहले भारत के साथ होने वाली थी, लेकिन बाद में मालदीव सरकार ने चीन के साथ हस्ताक्षर कर सभी चौंका दिया। हालांकि, वहां की विपक्ष और जनता हमेशा प्रो-इंडियन रही है।
मालदीव और चीन के बीच FTA समझौते ने भारत की क्यों बढ़ाई चिंता?