तालिबान के फरमान पर भड़कीं मलाला युसुफजई, कहा- "बुर्का कबूल नहीं है"
पाकिस्तान की नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने तालिबान सरकार द्वारा महिलाओं को सार्वजनिक रूप से अपना चेहरा ढंकने के लिए मजबूर करने के आदेश पर गहरी नाराजगी जताई है।
इस्लामाबाद, 09 मईः पाकिस्तान की नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने तालिबान सरकार द्वारा महिलाओं को सार्वजनिक रूप से अपना चेहरा ढंकने के लिए मजबूर करने के आदेश पर गहरी नाराजगी जताई है। बालिका शिक्षा के लिए अभियान चलाने वाली पाकिस्तान मूल की नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने विश्व नेताओं से मानवाधिकार कानूनों के उल्लंघन के लिए तालिबान को जवाबदेह ठहराने के लिए सामूहिक कार्रवाई करने की अपील की है।
महिलाओं को मिटाना चाहता है तालिबान
ट्विटर पर जारी एक कठोर बयान में मलाला ने कहा कि तालाबिन, अफगानिस्तान में सभी सार्वजनिक जीवन से लड़कियों और महिलाओं को मिटाना चाहता है। युसुफजई ने कहा कि तालिबान, लड़कियों को स्कूल से और महिलाओं को काम से बाहर रखना चाहता है। उन्हें परिवार के किसी सदस्य के बिना यात्रा करने की क्षमता से वंचित करना चाहता है। उन्हें अपने चेहरे और शरीर को पूरी तरह से ढकने के लिए मजबूर करना चाहता है।
वैश्विक नेताओं से कार्रवाई की अपील
मलाला ने कहा कि तालिबान द्वारा लगातार की जा रही वादाखिलाफी के बीच हमें अफगानी महिलाओं के लिए चिंतित होना चाहिए। अब भी अफगानिस्तान में महिलाएं, अपने अधिकारों के लिए, अपने सम्मान के लिए सड़कों पर उतर रही हैं, संघर्ष कर रही हैं। हम सभी को, विशेष तौर पर मुस्लिम देशों को उनके लिए खड़े होना चाहिए। मलाला ने विश्व नेताओं से मानवाधिकार कानूनों के उल्लंघन के लिए तालिबान को जवाबदेह ठहराने के लिए सामूहिक कार्रवाई करने की अपील की।
तालिबान प्रमुख ने जारी किया फरमान
इससे पहले शनिवार को तालिबान ने एक फरमान जारी कर अफगान महिलाओं को सार्वजनिक जगहों पर बुर्का पहनने का आदेश जारी किया था। अफगानिस्तान के सर्वोच्च नेता और तालिबान प्रमुख हिबतुल्लाह अखुंदज़ादा ने शनिवार को काबुल में एक समारोह के दौरान ये फरमान जारी किया। इसके साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि फरमान नहीं मानने पर उस औरत के साथ उसके घरवाले भी इस्लामिक कानून के मुताबिक गुनहगार माने जाएंगे और सजा के भागीदार होंगे।
परिवार के पुरूष सदस्य को जेल
तालिबान के मजहबी मंत्रालय ने अपने नियंत्रण वाले अफगानिस्तान के ज्यादातर क्षेत्रों में पोस्टर्स चिपकाएं थे, जिनमें महिलाओं के लिए बुर्का पहनना अनिवार्य बताया गया। पोस्टर्स में साफ संदेश लिखा है, कि बुर्के में सिर से लेकर पैर तक ढंका होना चाहिए, क्योंकि इस्लामिक कानून यही कहता है। इसका उल्लंघन करने पर परिवार के एक पुरूष सदस्य को तीन दिनों के जेल की सजा दी जाएगी। हालिया आदेश के मुताबिक अगर कोई महिला हिजाब नहीं पहनती है तो सबसे पहले उसके अभिवावक को चेतावनी दी जाएगी। यदि वह दोबारा दोषी पायी जाती है तो उसके अभिभावक को तलब किया जाएगा और परिवार के एक पुरूष सदस्य को तीन दिनों की कैद की सजा दी जाएगी।
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